गौतम अडानी की कंपनियों के शेयर सोमवार को भी गिरे। अधिकतर कंपनियों के शेयर लोअर सर्किट पर बंद हुए। समूह की सबसे प्रमुख कंपनी अडानी एंटरप्राइजेज में शुरुआती क़रोबार में आज क़रीब 7 फ़ीसदी तक की गिरावट आई। लेकिन दोपहर 2 बजे तक तो इसके शेयरों में सुधार आया और यह हरे निशान में पहुँच गया। इसके अलावा अडानी पोर्ट के शेयर भी क़रीब पाँच फीसदी ऊपर रहे। लेकिन बाक़ी की कंपनियाँ, अडानी ट्रांसमिशन, अडानी गैस, अडानी पावर, अडानी ग्रीन एनर्जी, अडानी विल्मर लोअर सर्किट पर बंद हुए। हालाँकि सेंसेक्स में भी दोपहर दो बजे तक क़रीब साढे तीन सौ अंकों यानी 0.56 फ़ीसदी की गिरावट आई।
हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट के बाद से अडानी कंपनियों के शेयरों की क़ीमतें धड़ाम गिरी हैं और इससे समूह का मूल्य क़रीब आधा ही रह गया है।
हिंडनबर्ग रिसर्च की यह रिपोर्ट अडानी समूह की प्रमुख कंपनी अडानी एंटरप्राइजेज की 20,000 करोड़ रुपये की फॉलो-ऑन शेयर बिक्री से पहले आई। समूह का फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफर यानी एफपीओ 31 जनवरी को बंद हो गया। हालाँकि तय समय में यह पूरी तरह सब्सक्राइब्ड हो गया था, लेकिन इस बीच समूह ने शेयर बाज़ार में उथल-पुथल के बीच अपने एफ़पीओ को वापस लेने यानी रद्द करने की घोषणा कर दी।
एफ़पीओ रद्द किए जाने के बाद भी अडानी की कंपनियों के शेयरों की क़ीमतें गिरनी जारी रहीं। सोमवार दोपहर दो बजे तक अडानी ट्रांसमिशन के शेयर लोअर सर्किट के स्तर 10 फ़ीसदी तक गिरे। अडानी गैस, अडानी विल्मर, अडानी पावर और अडानी ग्रीन एनर्जी के शेयर लोअर सर्किट के स्तर 5 फ़ीसदी गिरकर बंद हुए। एनडीटीवी के शेयर भी 4.49 फ़ीसदी के लोअर सर्किट पर बंद हुए।
अमेरिका स्थित हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट में गौतम अडानी के नेतृत्व वाले समूह पर धोखाधड़ी, लेनदेन और शेयर की कीमतों में हेरफेर सहित कई आरोपों के बाद अडानी समूह के शेयरों में गिरावट आई है। अडानी समूह ने आरोपों को झूठ बताते हुए उस रिपोर्ट को खारिज कर दिया है। उसने कहा कि वो सभी कानूनों का पालन करता है।
विवादों में घिरे अरबपति गौतम अडानी ने गुरुवार को जोर देकर कहा है कि उनके समूह के फंडामेंटल मजबूत थे। लेकिन इसके बावजूद अमेरिकी फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा पिछले सप्ताह किए गए दावों के बाद अडानी के साम्राज्य को बड़ा नुक़सान हुआ है।
शुक्रवार को आई ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद से शुक्रवार तक क़रीब 120 बिलियन यानी 1.2 ख़रब डॉलर का नुक़सान हुआ। यह गिरावट अब कई कंपनियों में 60 फ़ीसदी के आसपास हो गयी है।