एक तरफ जहाँ चीन के साथ लगने वाली सीमा पर तनाव चल रहा है और भारतीय सेना अपने सैनिक और साजो-सामान वहाँ पहुँचाने और रणनीति बनाने में मशगूल है, दूसरी तरफ पाकिस्तान सीमा पर भी हलचल तेज़ हो गई है।
क्यों बढ़ा युद्धविराम उल्लंघन
सिर्फ जून महीने में नियंत्रण रेखा पर पाकिस्तान ने 302 बार युद्धविराम का उल्लंघन किया है। उसने इसके पहले यानी मई में 382 बार युद्धविराम को तोड़ा है।यह इसलिए महत्वपूर्ण है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर अप्रैल में चीनी सेना भारतीय इलाक़े में अंदर तक घुस आई थी और भारतीय सैनिकों के बिल्कुल सामने आ कर तन गई थी। इसके बाद मई और जून में उसने बड़े पैमाने पर सैनिकों को वहां तैनात किया और भारी युद्ध उपकरण व साजो सामान जमा कर लिया। उसके बाद भारतीय सेना ने भी वैसा ही किया।
क्या यह महज संयोग है कि मई-जून में जब वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन ने सैनिक जमावड़ा कर लिया, नियंत्रण रेखा पर पाकिस्तान ने भी युद्धविराम उल्लंघन की वारदात और गोलाबारी बढ़ा दी
ज़्यादा मुठभेड़
लेकिन बात यहीं नहीं रुकती है। इसके अलावा इस दौरान जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियाँ भी बढ़ गईं। लेकिन इस दौरान भारतीय सुरक्षा बलों ने इन आतंकवादियों के ख़िलाफ़ कार्रवाइयों में तेज़ी की, अधिक मुठभेड़ें हुईं और ज़्यादा आतंकवादी मारे गए।इसे इससे समझा जा सकता है कि सिर्फ जून महीने में ही कश्मीर घाटी में सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ों में 41 आतंकवादी मारे गए।
चिनार कोर कमांडर लेफ़्टीनेंट जनरल बी. एस. राजू ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा,
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'लगातार युद्धविराम उल्लंघन की एक ही वजह है, पाकिस्तान कश्मीर घाटी में स्थिति खराब करने के लिए आतंकवादी भेजने की कोशिश करता है और वह उन्हें मदद करने के लिए गोलाबारी करता है।'
लेफ़्टीनेंट जनरल बी. एस. राजू, कमांडर, चिनार कोर
पाक सेना का मंसूबा
दरअसल होता यह है कि पाकिस्तान युद्धविराम का उल्लंघन करते हुए गोलाबारी करता है जो घुसपैठ की घात लगाए आतंकवादियों के लिए एक तरह का कवर फ़ायर होता है। वे इस गोलाबारी के मौके का फ़ायदा उठा कर नियंत्रण रेखा पार कर भारतीय सीमा में घुस जाते हैं।भारतीय सुरक्षा बलों ने नियंत्रण रेखा पर चौकसी बढ़ाने के अलावा घाटी में भी आतंकवाद-विरोधी ऑपरेशन बढ़ा दिए हैं। मोबाइल फ़ोन पर रोक लगाने के बाद आतंकवादियों को सूचना मिलना बंद हो गया, जिससे उन्हें अपने कामकाज में दिक्क़त होती है।
सुरक्षा बल सक्रिय
आधिकारिक आँकड़ों के अनुसार, इस साल 25 जून तक 119 आतंकवादी मारे गए हैं। इसके पहले साल 2018 में 254 तो साल 2017 में 213 आतंकवादी मारे गए थे।राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड के सदस्य लेफ़्टीनेंट जनरल (रिटायर्ड) सुब्रत साहा ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, 'कश्मीर में सुरक्षा बल पहले से अधिक सक्रिय हैं क्योंकि चीन के साथ लगने वाली वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तनाव है।'
सुब्रत साहा इसके पहले चिनार कोर कमांडर रह चुके हैं।
उन्होंने कहा कि कश्मीर घाटी में सुरक्षा बलों की सक्रियता बढ़ने और आतंकवादियों पर दबाव बढ़ने की वजह से पाकिस्तान में उन्हें नियंत्रित करने वाले लोग अधिक संख्या में आतंकवादी यहां भेजना चाहते हैं।
लेकिन सुरक्षा मामलों के जानकारों ने यह भी कहा है कि मौजूदा स्थिति को चीन और पाकिस्तान के साथ दोतरफा युद्ध के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए।
थल सेना प्रमुख जनरल एम. एम. नरवणे ने मनोहर पर्रिकर इंस्टीच्यूट ऑफ़ डिफ़ेन्स स्टडीज़ एंड एनलिसिस में कहा था कि दो मोर्चों पर युद्ध की संभावना है और हर संभावना के प्रति सचेत रहना चाहिए।