केंद्र सरकार ने पतंजलि से कहा है कि वह कोरोना के इलाज के दावे वाली अपनी दवा कोरोनिल का प्रचार तब तक रोक दे जब तक शोध में इस दवा से इलाज के दावे का सत्यापन नहीं हो जाता। आयुष मंत्रालय ने मंगलवार को जारी नोटिफ़िकेशन में पतंजलि से कहा कि वह इस दवा से जुड़ी जानकारियों के बारे में जानकारी दे। इसमें वह दवा का नाम और संयोजन, शोध के अध्ययन का विवरण, इंस्टीट्यूशनल एथिक्स कमेटी की स्वीकृति, क्लीनिकल ट्रायल्स रजिस्ट्री- इंडिया (सीटीआरआई) पंजीकरण और परिणाम के डेटा के बारे में बताए।
नोटिफ़िकेशन में कहा गया है, ‘आयुष मंत्रालय ने मीडिया में पतंजलि आयुर्वेद द्वारा कोरोना के इलाज के लिए बनाई गई दवा के बारे में आ रही ख़बरों का संज्ञान लिया है। इस दावे के पीछे जो तथ्य और विवरण है, इस बारे में मंत्रालय को कोई जानकारी नहीं है।’
कोरोना के इलाज का दावा
बाबा रामदेव और उनके सहयोगी बालकृष्ण ने मंगलवार को ही कोरोनिल दवा से कोरोना वायरस के संक्रमण के इलाज का दावा किया था। उन्होंने कहा था कि कोरोनिल के साथ श्वासारी वटी भी लेनी ज़रूरी है। उन्होंने कहा कि पतंजलि रिसर्च इंस्टीट्यूट और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंस, जयपुर ने मिलकर इस दवा को तैयार किया है। उनके मुताबिक़, दवा के क्लीनिकल कंट्रोल ट्रायल के लिए सीटीआरआई की मंजूरी ली गई थी।
इस मौक़े पर रामदेव ने दावा किया था कि इस दवा से तीन दिनों के भीतर 69 फ़ीसदी कोरोना पॉजिटिव मरीज रिकवर होकर नेगेटिव हो गए थे। इसके अलावा सात दिन के भीतर 100 फ़ीसदी कोरोना के मरीज ठीक हो गए थे।
रामदेव ने कहा था कि सात दिनों के भीतर यह दवा लोगों को मिलनी शुरू हो जाएगी। रामदेव के मुताबिक़, कोरोनिल में गिलोय, तुलसी, अश्वगंधा को शामिल किया गया है जो हमारी इम्यूनिटी को मजबूत बनाता है। उन्होंने कहा था कि एलोपैथिक दवाओं को लेना ज़रूरी नहीं है।