आरएसएस पर 52 वर्षों तक अपने नागपुर मुख्यालय में झंडा नहीं फहराने का आरोप है। लेकिन संघ प्रमुख ने 15 अगस्त 2022 को एक बार फिर तिरंगा फहराया। लेकिन इसी के साथ उन्होंने एक विवादास्पद बात भी कही। उन्होंने तिरंगे के हरे रंग को देवी लक्ष्मी का प्रतीक बता दिया। हालांकि तिरंगे के तीनों रंग का धर्म से कोई लेना-देना नहीं है। बहरहाल, इसी के साथ आरएसएस का तिरंगा प्रेम अब बढ़ता ही जा रहा है। कभी भगवा झंडे को ही सब कुछ मानने वाले संघ में यह बदलाव धीरे-धीरे आया है।
कड़ी सुरक्षा के बीच आयोजित इस कार्यक्रम के दौरान आरएसएस के कुछ स्वयंसेवक और प्रचारक ही मौजूद थे।
भागवत ने कहा कि तिरंगा हमें बताता है कि देश कैसा होना चाहिए और जब यह दुनिया में महत्वपूर्ण होगा तो कैसा होगा। यह दुनिया भर में प्यार फैलाएगा और दुनिया के हित के लिए बलिदान करेगा। आने वाले समय में जब तक ऐसे राष्ट्र का निर्माण नहीं हो जाता, लोगों को यह नहीं पूछना चाहिए कि देश और समाज उन्हें क्या देते हैं बल्कि यह सोचना चाहिए कि वे देश को क्या दे रहे हैं। आपको यह प्रश्न छोड़ देना चाहिए और अपने आप से पूछना चाहिए कि मैं अपने लिए क्या दे रहा हूं। हमारी प्रगति के बीच, हमें देश और समाज की प्रगति के बारे में सोचकर अपना जीवन जीना चाहिए। यही जरूरत है।
संघ प्रमुख ने कहा- जिस दिन हम सब इस संकल्प के साथ जीने लगेंगे, निःसंदेह दुनिया भारत को विस्मय से देखेगी। आत्मनिर्भर, समृद्ध और शोषण मुक्त बनने के बाद देश शांति और कल्याण का मार्ग दिखाएगा।
भागवत ने सोमवार को कहा कि भारत को काफी संघर्ष के बाद आजादी मिली और उसे आत्मनिर्भर होने की जरूरत है। भारत दुनिया के बाकी हिस्सों में शांति का संदेश फैलाएगा।
भागवत ने कहा कि आपको दुनिया के साथ संबंध बनाए रखने की जरूरत है, लेकिन अपनी शर्तों पर, और इसके लिए आपको सक्षम बनना होगा। जो स्वतंत्र होना चाहते हैं उन्हें भी अपनी सुरक्षा के मामले में सक्षम होना चाहिए।
आरएसएस ने स्वतंत्रता दिवस पर रेशमबाग क्षेत्र में डॉ हेडगेवार स्मारक समिति में एक कार्यक्रम भी आयोजित किया है, जहां नागपुर महानगर सह संघचालक श्रीधर गाडगे मुख्य अतिथि होंगे। स्वयंसेवक शाम 5 बजे शहर के विभिन्न हिस्सों में 'पथ संचालन' (मार्च पास्ट) भी करेंगे।