लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के ख़िलाफ़ आक्रामक रुख अख़्तियार करने वाले महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के अध्यक्ष राज ठाकरे क्या विधानसभा चुनाव में बैलट पेपर से मतदान कराने की माँग और ऐसा न होने पर चुनाव के बहिष्कार को लेकर आंदोलन छेड़ने वाले हैं राज ठाकरे के बयानों से तो कम से कम ऐसा ही लगता है। उन्होंने हाल ही में कहा था ‘जब मैच फ़िक्स हो तो नेट प्रैक्टिस का क्या फायदा’ इसके बाद ठाकरे दिल्ली चले गए और मुख्य चुनाव आयोग के साथ बैठक के बाद बोले, ‘हमें उनसे शून्य अपेक्षा है और आगे की रणनीति हम महाराष्ट्र में तय करेंगे।’ दिल्ली यात्रा के दौरान ठाकरे ने यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गाँधी से भी उनके निवास पर मुलाक़ात की। इसने भी कई तरह की चर्चाओं को जन्म दिया है।
राज ठाकरे ने दिल्ली में पत्रकारों से कहा कि 2014 से पहले जो भारतीय जनता पार्टी इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन को लेकर अदालत तक का दरवाजा खटखटाती थी वह चुनाव जीतने के बाद मौन है। उन्होंने कहा कि चुनाव का गणित मशीन से सेट कर लेने वाला चुनाव हमें मंजूर नहीं है। इसीलिए वह चुनाव आयोग से भी मिले हैं कि बाद में कोई यह सवाल नहीं उठाये कि ईवीएम को लेकर चुनाव आयोग से कोई बात पहले क्यों नहीं की।
महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव का माहौल गरमा रहा है और ऐसे में राज ठाकरे यदि चुनाव बहिष्कार के लिए कोई आंदोलन छेड़ते हैं तो यह बड़ा मुद्दा बन सकता है और कहीं ना कहीं केंद्र सरकार और चुनाव आयोग को इसका हल निकालने की पहल करनी पड़ेगी।
अभी तक कांग्रेस और अन्य पार्टियों की तरफ़ से ईवीएम या वीवीपैट की पर्चियों को लेकर कई बार सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया लेकिन वहाँ से उन्हें चुनाव आयोग का रास्ता दिखाया जाता है और चुनाव आयोग इस बार के चुनाव में ख़ुद सबसे ज़्यादा सवालों के घेरे में है। चाहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी या अमित शाह को चुनाव प्रचार के दौरान सेना या एयर स्ट्राइक या सर्जिकल स्ट्राइक के नाम पर वोट माँगने की बात हो या पाकिस्तान को सबक सिखाने वाले को वोट देने की अपील, सभी मामलों में चुनाव आयोग द्वारा मोदी और शाह को क्लीन चिट दे दी गयी।
यही नहीं चुनाव आयोग ने अपनी वेबसाइट पर चुनाव परिणाम के जो आंकड़े डाले थे उनमें त्रुटियों को लेकर भी पूरे चुनाव परिणाम ही शक के दायरे में आ गए। ऐसे में यदि राज ठाकरे इन तथ्यों को सामने रखकर चुनाव बहिष्कार की बात करेंगे तो उन्हें ऐसे लोगों का साथ मिल सकता है जो ईवीएम से मतदान की प्रणाली को शक की नज़रों से देखते हैं।
महाराष्ट्र में इस बार के लोकसभा चुनाव में 2014 के चुनाव के मुक़ाबले बीजेपी-शिवसेना को ज़्यादा सीटें मिलीं और तब इस पर बहुत से विपक्षी नेताओं ने आश्चर्य जताया था। देश के अन्य राज्यों की तरह महाराष्ट्र में भी कई लोकसभा सीटों में ईवीएम में डाले गए मत और गिने गए मतों में अंतर आया है।इसके चलते स्वाभिमानी शेतकरी संगठन के राजू शेट्टी ने अदालत में मामला दर्ज कराया है और किसान कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष नाना पटोले ने भी केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के चुनाव को चुनौती दी है।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के सातारा से विजयी सांसद उदयनराजे भौंसले ने भी ईवीएम से हुए मतदान को चुनौती दी है। उन्होंने कहा कि वह चुनाव जीते हैं लेकिन मशीनों में बड़े पैमाने पर गड़बड़ियाँ की जाती हैं। उदयन राजे ने कहा कि बैलट से चुनाव कराया जाता है तो वह अपना इस्तीफ़ा देकर फिर से चुनाव लड़ने को तैयार हैं।
बता दें कि राज ठाकरे ईवीएम के ख़िलाफ़ आंदोलन करने के लिए पिछले कुछ दिनों से तैयारी कर रहे हैं इस सिलसिले में उनकी शेतकरी संगठन के राजू शेट्टी से लेकर कई अन्य पार्टियों के नेताओं से भी चर्चा हो चुकी है।
उल्लेखनीय है कि ईवीएम से चुनाव को लेकर देश भर में अनेक आशंकाएँ जताई जाती रही हैं और अनेक मंचों पर उसे त्रुटि पूर्ण बताया जाता है। राज ठाकरे इस आंदोलन के द्वारा उन लोगों की आवाज़ बनने का प्रयास करेंगे। इसके पीछे एक कारण यह है कि लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान जब राज ठाकरे ने अपनी सभाओं में नरेंद्र मोदी और अमित शाह को निशाना बनाया था तो सोशल मीडिया में देश भर में उनको जबरदस्त समर्थन मिला था। उनके मराठी भाषणों की क्लिप हिंदी-अंग्रेजी या अन्य भाषाओं के टाइटल के साथ ट्विटर, फ़ेसबुक और यू ट्यूब पर देखी जा रही थी।
माना जा रहा है कि राज ठाकरे अब बैलेट से चुनाव कराने की माँग को लेकर आंदोलन छेड़कर वैसी ही सहानुभूति या जन समर्थन अपने पक्ष में करने की कोशिश करेंगे। राज ठाकरे इस आंदोलन के माध्यम से मुंबई, पुणे, नासिक जैसे शहरों में मराठी के साथ साथ ग़ैर-मराठी युवाओं को अपने पक्ष में खड़ा कर अपनी पार्टी को मजबूत करने की भी कोशिश करने वाले हैं।
दिल्ली यात्रा के दौरान राज ठाकरे ने यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गाँधी से भी उनके निवास स्थान पर मुलाक़ात की। महाराष्ट्र में होने वाले विधानसभा के चुनावों के लिए राज ठाकरे ने सोनिया गाँधी से मुलाक़ात कर राजनीतिक चर्चाओं और अटकलों को गर्म कर दिया है। दोनों नेताओं में क्या चर्चा हुई यह तो पता नहीं चला है लेकिन यह लग रहा है कि मनसे को लेकर कांग्रेस के रुख में अब बदलाव आने लगा है।