अंबानी के वनतारा पर क्यों फिदा हैं मोदी, क्या नियम टूट रहे हैं?

06:03 pm Mar 05, 2025 | सत्य ब्यूरो

इन दिनों प्रधानमंत्री मोदी की नई तस्वीरों ने सोशल मीडिया पर धूम मचा रखा है। अनंत अंबानी के निजी चिड़ियाघर में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शेरों से आँख मिचौली करते हुए नज़र आ रहे हैं। उनकी गोद में रैकून और ऑरंगुटान जैसे जानवरों के बच्चे उधम मचा रहे हैं। क्या आप जानते हैं कि जिस निजी चिड़ियाघर में मोदी जी इतना आनंद उठा रहे थे उसे भारत सरकार चिड़ियाघर मानती ही नहीं।

अंबानी परिवार के साथ पीएम मोदी

जी हां, यह ताजा जानकारी मिली है एक आर टी आई के हवाले से। पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से आर टी आई अपील में वनतारा में जानवरों से जुड़ी सूचना मांगी गई थी। आर टी आई ऐक्टिविस्ट कुणाल शुक्ला ने मंत्रालय से अनुरोध किया था कि रिलायंस इंडस्ट्री के जामनगर स्थित परिसर में मौजूद निजी चिड़ियाघर में कितने जानवरों की मृत्यु हुई है, उसकी जानकारी मुहैया करवाएं।

इस आर टी आई अपील का जवाब देते हुए मंत्रालय ने कहा कि ऐसे कोई चिड़ियाघर मंत्रालय की नज़र में नहीं है जिसका नाम वनतारा है। आर टी आई ऐक्टिविस्ट के इस खुलासे के बाद कई सवाल उठाए जा रहे हैं। जैसे–

  • वनतारा के लिए इस्तेमाल की जा रही 3000 एकड़ जमीन किस काम के लिए औऱ कब एलॉट की गई थी?
  • रिफ़ाइनरी के प्लांटेशन के लिए दी गई जमीन में चिड़ियाघर कैसे खोल सकते हैं?
  • जंगली जानवरों को निजी अभ्यारण में रखे जाने हेतु केंद्र और राज्य सरकार की अनुमति से संबंधित दस्तावेज कहां हैं?
  • दूसरे प्रदेशों से लाये जा रहे जंगली जानवरों का ट्रांसपोर्टेशन कैसे किया जा रहा है? इसकी अनुमति कब और किससे ली जा रही है?

रिलायंस इंडस्ट्रीज़ के चेयरमैन मुकेश अंबानी के छोटे बेटे अनंत अंबानी अपने इस निजी वनतारा अभ्यारण को लेकर काफी चर्चा में रहे हैं। वनतारा का शाब्दिक अर्थ होता है जंगल का सितारा। इस 3000 एकड़ में फैले निजी अभ्यारण को गुजरात का हरित प्रदेश कहकर इसका काफी विज्ञापन किया जाता है।

वनतारा के बारे में मीडिया में अक्सर कहा जाता रहा है कि यह केवल चिड़ियाघर नहीं है। यह उन जानवरों के लिए एक पुनर्वास केंद्र भी है जिन्हें भिन्न जगहों से बचाया गया है। इसे जानवरों के बेहतर हालात के लिए एक हरे-भरे आवास के तौर पर भी विकसित किया गया है।

बताया जाता ही कि वनतारा में अत्याधुनिक स्वास्थ्य सुविधाएं, अस्पताल, शोध संस्थान और शैक्षणिक केंद्र हैं। वनतारा में लगभग 2100 लोग काम कर रहे हैं। और दावा किया जाता है कि वनतारा ने 200 से अधिक हाथियों और अलग-अलग तरह के सरीसृपों और पक्षियों को सफलतापूर्वक बचाया है। कहा जाता है कि बचाए गये जानवरों में गैंडे, तेंदुए और मगरमच्छ जैसी महत्वपूर्ण प्रजातियां शामिल हैं। एनिमल वेलफेयर बोर्ड इसे प्राणीमित्र पुरस्कार भी दे चुका है।

लेकिन आर टी आई के जरिए हुए हालिया खुलासे के बाद कि वनतारा चिड़ियाघर नहीं है, कई और सवाल सामने आए हैं। लोग यह पूछ रहे हैं कि जिन जानवरों को बचाया गया वे किन जगहों से बचाए गये?

इस दौरान एक ख़बर यह भी सिर उठा रही है कि  छत्तीसगढ़ के जंगल सफारी के दो सफेद भालू भी इस वनतारा में भेजे जाने वाले हैं. इसके बाद छत्तीसगढ़ में फिर कोई सफेद भालू नहीं बचेगा। 

इन तमाम खुलासों के बीच अनंत अंबानी के इस बहु-प्रचारित निजी अभ्यारण और रेस्क्यू सेंटर फिलहाल सवालों के घेरे में है। इसके साथ केंद्र सरकार पर भी उँगलियाँ उठ रही हैं। क्या वनतारा को लेकर मामला साफ़ होगा? अगर गुजरात के जामनगर स्थित वनतारा चिड़ियाघर नहीं है तो क्या है? 

(रिपोर्टः अणु शक्ति सिंह, संपादनः यूसुफ किरमानी)