एक बार फिर एक और मुसलमान को ‘जय श्री राम’ न बोलने के कारण पीटे जाने की ख़बर सामने आई है। कानपुर में यह घटना हुई है। सवाल यह उठ रहा है कि इस तरह की घटनाएँ रुकेंगी या नहीं सवाल यह भी उठ रहा है कि क्यों देश में मुसलमानों को ‘जय श्री राम’ और ‘वंदे मातरम’ के नाम पर निशाना बनाया जा रहा है।
पीड़ित युवक का नाम मोहम्मद ताज है और उसकी उम्र 18 साल है। ख़बर के मुताबिक़, ताज से कुछ लोगों ने ‘जय श्री राम’ बोलने के लिए कहा और मना करने पर उसके साथ मारपीट की गई। बता दें कि झारखंड में भीड़ के द्वारा कई घंटे तक पीटे जाने के बाद हुई तबरेज़ अंसारी की मौत को लेकर देश भर में लोग सड़कों पर हैं। लोग तबरेज़ को इंसाफ़ दिलाने की और दोषियों के ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई की माँग कर रहे हैं।
पीड़ित के पिता मोहम्मद लुकमान ने अंग्रेजी अख़बार द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, ‘मेरा बेटा मोहम्मद ताज शुक्रवार शाम को अपनी बाइक से उस्मानपुर इलाक़े के एक मदरसे से लौट रहा था। तभी उसे बाइक पर सवार चार-पाँच लोगों ने बर्रा-2 की बाज़ार में उसका रास्ता रोक लिया। पहले उन्होंने उसकी छोटी टोपी (धार्मिक टोपी) को फेंक दिया और फिर उससे ‘जय श्री राम’ का नारा लगाने को कहा। जब मेरे बेटे ने ऐसा करने से इनकार किया तो उन्होंने उसे गालियाँ दीं और उसके साथ मारपीट की। उन्होंने उसका चश्मा भी तोड़ दिया।’
मोहम्मद लुकमान ने बताया कि उनका बेटा किसी तरह हमलावरों के चंगुल से बचकर एक नजदीक की दुकान में पहुँचा और एक दुकानदार से मदद माँगी। पिता के मुताबिक़, ताज ने दुकानदार से कहा कि वह अपना फ़ोन दे दें ताकि वह अपने परिवार वालों को सूचना दे सके। लेकिन दुकानदार ने फ़ोन देने से मना कर दिया। उनके मुताबिक़, इसके बाद हमलावर वहाँ से चले गए और उनका बेटा घर वापस आ गया।
मोहम्मद लुकमान ने बताया कि हम तुरंत उस जगह पर गए और हमने लोगों से हमलावरों के बारे में पूछताछ की। हमने लोगों से पूछा कि क्या उनमें से कोई हमलावरों को जानता है लेकिन सभी ने मना कर दिया। इसके बाद हमने पुलिस को फ़ोन किया और बर्रा पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई। लुकमान ठेकेदारी का काम करते हैं।
कानपुर (दक्षिण) की एएसपी रवीना त्यागी ने घटना के बारे में अख़बार को बताया, ‘आईपीसी की धारा 153ए और 323 के तहत अज्ञात हमलावरों के ख़िलाफ़ धर्म के आधार पर द्वेष फैलाने का मामला दर्ज कर लिया गया है और हमलावरों की तलाश की जा रही है। हम उस इलाक़े में लगे सीसीटीवी कैमरों की फ़ुटेज को खंगाल रहे हैं और उस दौरान वहाँ मौजूद लोगों से भी पूछताछ कर रहे हैं।’बर्रा पुलिस स्टेशन के एसएचओ सतीश कुमार सिंह ने कहा, ‘यह आपसी कहासुनी की घटना थी। ताज़ बाइक चलाते वक़्त कुछ लोगों से आगे निकल गया और इसी को लेकर उसकी उन लोगों से कहासुनी हो गई।’
मुसलमानों के साथ इस तरह की घटनाएँ होना अब आम बात हो गई है। आए दिन ऐसी घटनाएँ सुनने को मिल रही हैं जब मुसलमानों को ‘जय श्री राम’ और ‘वंदे मातरम’ बोलने के लिए मजबूर किया जा रहा है और ऐसा न करने पर उनके साथ मारपीट की जा रही है।
कुछ दिनों पहले कोलकाता में एक मदरसे के टीचर हाफ़िज़ मोहम्मद शाहरूख़ हलदार को ट्रेन में ‘जय श्री राम’ बोलने को मजबूर किया गया और ऐसा न करने पर उन्हें ट्रेन से धक्का दे दिया गया। उससे कुछ दिन पहले देश की राजधानी दिल्ली में मदरसे के एक टीचर मोहम्मद मोमीन से कुछ लोगों ने ‘जय श्री राम’ बोलने को कहा और ऐसा न कहने पर उन्हें कार से टक्कर मारकर घायल कर दिया।
तबरेज़ अंसारी की पिटाई वाले वायरल वीडियो में भी यह देखा गया कि भीड़ उसे बुरी तरह पीटने के साथ ही ‘जय श्री राम’ और ‘जय हनुमान’ का नारा लगाने के लिए कह रही है।
पिछले महीने गुड़गाँव के जैकबपुरा इलाक़े के सदर बाज़ार में मुसलिम युवक मोहम्मद बरकत से कुछ लोगों ने ‘भारत माता की जय’ और ‘जय श्री राम’ का नारा लगाने को कहा था। बरकत ने बताया था कि जब उसने ऐसा करने से मना किया तो हमलावरों में से एक ने उसे सुअर का माँस खिलाने की धमकी दी थी। बरकत के मुताबिक़, ‘हमलावरों में से एक व्यक्ति ने उससे कहा था कि इस इलाक़े में धार्मिक टोपी (छोटी टोपी) पहनना पूरी तरह मना है। जब मैंने उसे बताया कि मैं मसजिद से नमाज पढ़कर लौट रहा हूँ तो उसने मुझे थप्पड़ मार दिया।’
सवाल यह खड़ा हो रहा है कि क्या ऐसी घटनाओं को अंजाम देने वालों के भीतर क़ानून का ख़ौफ़ पूरी तरह ख़त्म हो गया है या उनके ख़िलाफ़ कोई सख़्त कार्रवाई न होने के कारण ही वे ऐसी घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं।
आख़िर ऐसी घटनाएँ बढ़ रही हैं तो इसके पीछे कुछ शातिर और बददिमाग किस्म के लोग ज़रूर होंगे जो सोशल मीडिया से लेकर गली-मोहल्लों में दिन-रात मुसलमानों के ख़िलाफ़ नफ़रत का माहौल बनाने में जुटे हैं और ऐसी घटनाएँ तब और ज़्यादा हो रही हैं जब देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अल्पसंख्यकों का विश्वास जीतने की बात कही है।
सवाल यह है कि ऐसे लोगों को आख़िर कौन संरक्षण दे रहा है जो ये इस तरह की घटनाओं को अंजाम देने के बाद बेख़ौफ़ घूम रहे हैं। पहले मुसलमानों को गो तस्करी के नाम पर निशाना बनाया जाता था अब यह सिलसिला ‘जय श्री राम’ और ‘वंदे मातरम’ के नारे तक पहुँच गया है। देश की सरकार को धर्म के आधार पर नफ़रत फैला रहे ऐसे लोगों के ख़िलाफ़ सख़्त से सख़्त कार्रवाई करनी चाहिए वरना पहलू, रकबर, तबरेज़ के बाद न जाने कितने मुसलमानों को रोज निशाना बनाया जाएगा और सरकारें हाथ पर हाथ धरे बैठी रहेंगी।