संविधान की धज्जियाँ उड़ाएंगे? केंद्रीय मंत्री क्यों बोले, नियमों के परे कर सकते हैं काम?

04:05 pm Jan 31, 2020 | सत्य ब्यूरो - सत्य हिन्दी

नागरिक विमानन मंत्री हरदीप सिंह पुरी का मानना है कि विमान यात्रियों को दंडित करने के लिए नियम-क़ानून से परे जा कर भी उन्हें सज़ा दी सकती है। स्टैंड अप कॉमेडियन कुनाल कामरा को हवाई यात्रा पर रोक लगाने के चार हवाई कंपनियों के फ़ैसले पर मंत्री ने यह कहा है।

मामला क्या है?

बता दें कि कुनाल कामरा ने हवाई यात्रा के दौरान टेलीविज़न पत्रकार अर्णब गोस्वामी से उनकी इच्छा के विपरीत और उनके जवाब नहीं देने के बावजूद कुछ सवाल पूछे। इसके बाद एक के बाद एक चार हवाई कंपनियों ने 6 महीने तक हवाई यात्रा पर रोक लगाने का एलान किया।

हरदीप पुरी का कहना है कि नियम क़ानून के परे जा कर कार्रवाई की जा सकती है। उन्होंने कहा, ‘यदि इस तरह की असाधारण घटना होती है तो यह ज़रूरी है कि हम नियम के परे जा कर अपने वायु क्षेत्र को सुरक्षित रखें।’

वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष ने इस पर ट्वीट किया,  ‘अब तो यह आधिकारिक तौर पर कह दिया गया। देश संविधान के मुताबिक़ नहीं चलाया जाएगा, नियम क़ानून का कोई मतलब नहीं रह गया है। धन्यवाद!’

लेकिन उस उड़ान के कप्तान ने इस पर नाराज़गी जताई है। उन्होंने वरिष्ठ उपाध्यक्ष असीम मित्रा को लिखी चिट्ठी में कहा : 

‘28 जनवरी को मुंबई-लखनऊ उड़ान संख्या 6ई5317 के कप्तान के रूप में मैंने ऐसी कोई वारदात नहीं देखी जिसकी रिपोर्ट की जाए। हालाँकि कामरा का व्यवहार अनुचित था, इसे किसी रूप से पहले स्तर के अनियंत्रित व्यवहार की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता है। हम पायलट लोग ऐसे कई वारदातों के बारे में बता सकते हैं जो ऐसे ही या इससे भी बदतर थे, लेकिन जिन्हें अनियंत्रित व्यवहार नहीं माना गया।’  

क्या कहते हैं नियम?

नियम के मुताबिक़ इस तरह की कोई घटना होने पर कप्तान की रिपोर्ट माँगी जाती है, उसकी जाँच होती है और उसके बाद ही कोई कार्रवाई की जा सकती है। नियम के अनुसार, हवाई कंपनी ख़राब व्यवहार के लिए 30 दिनों तक किसी की उड़ान पर रोक लगा सकती है, जाँच में दोषी पाए जाने पर अधिकतम 3 महीने के लिए रोक लगाई जा सकती है।

नागरिक विमानन निदेशालय के दिशा निर्देशों के मुताबिक़, कप्तान के रिपोर्ट करने के बाद ही कोई कार्रवाई की जा सकती है, वर्ना नहीं। इस मामले में तो कप्तान ने कोई रिपोर्ट दी ही नहीं है। उन्होंने इसके उलट कहा कि रिपोर्ट करने लायक कुछ है ही नहीं।

कामरा को सज़ा

पर कुनाल कामरा के मामले में बग़ैर किसी जाँच के ही उन पर 6 महीने की रोक लगा दी गई। यह घटना इंडिगो एअरलान्स की उड़ान में हुई थी। लेकिन पहले उसने रोक लगाई। उसके बाद इंडियन एअरलाइन्स, स्पाइसजेट, गोएअर ने भी रोक लगाने का एलान कर दिया। 

इंडिगो ने यह भी माना है कि केबिन क्रू के लोगों के कहने के तुरन्त बाद कामरा अपनी सीट पर चले गए।

साध्वी प्रज्ञा को सज़ा क्यों नहीं?

याद दिला दें कि भोपाल से बीजेपी की सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने व्हील चेअर पर दरवाजे के पास की सीट पर बैठने की जिद कर दी, जो हवाई यात्रा के लिए बेहद ख़तरनाक है। उन्हें बार-बार कहने पर वह इसके लिए तैयार नहीं हुईं कि व्हील चेअर पर किसी और सीट पर बैठ जाएँ।

पायलट ने सुरक्षा कारणों से हवाई जहाज़ उड़ाने से इनकार कर दिया। लगभग 1 घंटे की जद्दोजहद और केबिन क्रू के समझाने-बुझाने और सहयात्रियों के शोरगुल मचाने के बाद ही माननीय सांसद किसी दूसरी सीट पर जाे को तैयार हुईं। उनके ख़िलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। 

क़ानून के परे हैं मोदी के मंत्री?

सवाल यह उठता है कि कोई मंत्री खुले आम यह कैसे कह सकता है कि नियम क़ानून के परे जाकर काम करना चाहिए। पर मोदी सरकार के मंत्री इन दिनों इन्हीं कारणों से खबरों में हैं।

मंत्री जी के बोल

  • इसके पहले केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने लोगों को गोली मारने के लिए भड़काया। एक जनसभा में उन्होंने कहा, ‘देश के गद्दारों को’, उनके समर्थकों ने जवाब दिया, ‘गोली मारो सालों को।’ 
  • इसी तरह पिछली सरकार में मोदी सरकार की मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति ने कहा था, 'आपको तय करना है कि आप किसे वोट देंगे, रामजादों को या हरामजादों को।' वह इसके बाद भी मंत्री बनी रहीं।
  • इसी तरह पिछली सरकार में वित्त राज्य मंत्री जयंत सिन्हा ने हत्या के आरोप में जेल में बंद अभियुक्तों के ज़मानत पर छूटे पर उन्हें फूल मालाओं से लाद दिया था। वह भी इसके बाद पद पर बने रहे। 

अहम सवाल यह है कि कोई मंत्री नियम से परे हट कर काम करने की बात कह कैसे सकता है। भारतीय कैबिनेट व्यवस्था, जिसे ब्रिटेन के ‘वेस्टमिंस्टर मॉडल’ पर ढाला गया है, उसके तहत ‘कलेक्टिव रिस्पॉन्सिबिलिटी’ की बात होती है, जिसे सामूहिक ज़िम्मेदारी कहा जाता है। यानी किसी एक मंत्री के किए काम या कही गई बात को सभी मंत्रियों का काम या बात माना जाएगा।

तो क्या यह माना जाए कि मोदी मंत्रिमंडल के दूसरे सदस्य भी यह मानते हैं कि नियम क़ानून से परे जाकर काम किया जा सकता है। इस पर अब तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोई प्रतिक्रिया नहीं जताई है।