चीन ने अपनी काउंटी में भारतीय हिस्से को दिखाया; जानें सरकार का कैसा विरोध

09:37 pm Jan 03, 2025 | सत्य ब्यूरो

'चीन को लाल आँखें दिखाने' से क्या मतलब होना चाहिए? राजनयिक चैनल के माध्यम से विरोध दर्ज कराना या फिर 'जैसे को तैसे' के अंदाज में जवाब देना? इसका जवाब तो हर कोई अपने तरीक़े से दे सकता है। चीन द्वारा बनाई गई दो काउंटी में भारत के हिस्से को दिखाये जाने पर भारत के विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को कड़ी प्रतिक्रिया दी है। इसने कहा है कि भारत ने चीन द्वारा दो काउंटी स्थापित करने के बाद राजनयिक चैनलों के माध्यम से अपनी आपत्ति और विरोध व्यक्त किया है।

वैसे, इस चीन द्वारा दो काउंटी बनाए जाने की पहले आई ख़बरों को लेकर बीजेपी के ही नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने मोदी सरकार पर तीखा हमला किया है। उन्होंने चार दिन पहले एक्स पर एक पोस्ट में कहा, "मोदी पर आगे आने वाली भाजपा सरकार द्वारा देशद्रोह का मुकदमा चलाया जाना चाहिए, क्योंकि वे लगातार कहते रहे कि 'कोई आया नहीं…' जो कि जानबूझकर बोला गया झूठ है। इसके अलावा, वे हाल ही में एक फर्जी सीमा समझौते के तहत भारतीय क्षेत्र पर चीन के कब्जे को वैध बनाने के लिए भी सहमत हुए, जिसमें वेटर (जयशंकर) और डोभाल की मिलीभगत है।" 

सुब्रमण्यम स्वामी ने एक पोस्ट पर यह प्रतिक्रिया दी है जिसमें वियोन न्यूज़ की एक ख़बर को साझा करते हुए कहा गया है कि, 'चीन ने भारत की 38,000 वर्ग किलोमीटर ज़मीन पर कब्ज़ा किया। चीन ने कथित तौर पर दो नई काउंटी बनाई!'

वैसे, सुब्रमण्यम स्वामी की इस प्रतिक्रिया से संकेत मिलता है कि वह शायद चीन को 'लाल आँख दिखाने' की नसीहत दे रहे हैं। खुद प्रधानमंत्री मोदी ने क़रीब 11 साल पहले कुछ ऐसा ही करने की सलाह दी थी। तब गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री और बीजेपी की ओर से 2014 के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने देश के लोगों को लगा था कि वह सत्ता में आने के बाद चीन को टाइट कर देंगे। तब उन्होंने कहा था, ‘चीन के साथ उसकी हरक़तों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठानी चाहिए थी, लाल आंखें करके चीन को समझाना चाहिए था, उसके बजाय हिंदुस्तान के विदेश मंत्री ने चीन में जाकर बयान दिया कि बीजिंग इतना बढ़िया शहर है कि मुझे यहां रहने का मन कर जाता है। डूब मरो-डूब मरो, मेरे देश की सरकार चलाने वालों डूब मरो, आपको शर्म आनी चाहिए।’ 

बहरहाल, दो काउंटी बनाए जाने की ख़बरों पर भारत ने शुक्रवार को तीखी प्रतिक्रिया दी है। चीनी सरकारी मीडिया शिन्हुआ ने 27 दिसंबर को बताया कि उत्तर-पश्चिमी चीन के झिंजियांग उइगर स्वायत्त क्षेत्र की सरकार ने क्षेत्र में दो नई काउंटी - हेआन काउंटी और हेकांग काउंटी की स्थापना की घोषणा की है। चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की केंद्रीय समिति और राज्य परिषद ने दो नई काउंटियों को मंजूरी दी है। इनका प्रशासन हॉटन प्रान्त द्वारा किया जाएगा। 

इस ख़बर पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि तथाकथित काउंटियों के कुछ हिस्से लद्दाख के अंतर्गत आते हैं, और भारत ने 'इस क्षेत्र में भारतीय क्षेत्र पर अवैध चीनी कब्जे को कभी स्वीकार नहीं किया'। उन्होंने कहा, '

नई काउंटी के निर्माण से न तो इस क्षेत्र पर हमारी संप्रभुता के बारे में भारत की दीर्घकालिक और लगातार बनी स्थिति पर कोई असर पड़ेगा और न ही चीन के अवैध और जबरन कब्जे को वैधता मिलेगी। हमने कूटनीतिक चैनलों के माध्यम से चीनी पक्ष के समक्ष गंभीर विरोध दर्ज कराया है।


रणधीर जायसवाल, विदेश मंत्रालय प्रवक्ता

जायसवाल ने कहा कि सरकार तिब्बत में यारलुंग त्सांगपो नदी पर चीन द्वारा एक जलविद्युत परियोजना के निर्माण से अवगत है।

बता दें कि यह पहली बार नहीं है जब बीजिंग ने अपने नक्शे में भारतीय क्षेत्रों पर दावा किया है। 2017 में चीन ने अरुणाचल प्रदेश में छह स्थानों के लिए 'मानकीकृत' नामों की प्रारंभिक सूची जारी की थी। 2021 में इसने 15 स्थानों वाली दूसरी सूची जारी की, जिसमें 2023 में 11 अतिरिक्त स्थानों के नाम शामिल हैं।

भारत और चीन के बीच 2020 में तब गंभीर स्थिति पैदा हो गई थी जब सौनिकों के बीच पूर्वी लद्दाख में झड़प हुई थी। इसमें भारतीय जमीन पर कब्जे का आरोप लगा था जिस पर पीएम ने कहा था कि 'न वहां कोई हमारी सीमा में घुसा हुआ है, न ही हमारी कोई पोस्ट किसी दूसरे के कब्जे में है।'

2017 में चीनी सैनिक भूटान के डोकलाम इलाक़े में घुस आए थे और भारतीय सैन्य चौकियों के लिये ख़तरा पैदा कर रहे थे। तब दो महीने से ज़्यादा वक्त तक भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच विवाद हुआ था और धक्का-मुक्की की ख़बरें भी आईं थीं। लेकिन तब भी भारत ऐसा कोई सबक चीन को नहीं सिखा पाया था कि वह गलवान घाटी में घुसने की हिमाकत करता। 

ब्रह्मपुत्र नदी बांध पर चिंताएँ

तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी पर दुनिया के सबसे बड़े बांध के निर्माण को बीजिंग द्वारा मंजूरी दिए जाने के कुछ दिनों बाद भारत ने चिंताएँ जताईं। इसने शुक्रवार को कहा कि उसने इस मेगा हाइडल परियोजना पर अपनी चिंताओं से चीनी पक्ष को अवगत करा दिया है। इस परियोजना से भारत और बांग्लादेश के निचले तटवर्ती राज्यों में चिंताएँ बढ़ गई हैं।

भारत ने चीन से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया है कि ब्रह्मपुत्र के निचले इलाकों के राज्यों के हितों को ऊपरी इलाकों में गतिविधियों से नुकसान न पहुँचे।

द इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट दी है कि ब्रह्मपुत्र बांध परियोजना के निर्माण के बारे में भारत को चीनी पक्ष द्वारा बताया नहीं गया था, जो कि दोनों देशों के बीच की परंपरा रही है, और मीडिया रिपोर्टों से इसकी जानकारी मिली। इस परियोजना की अनुमानित लागत 137 बिलियन अमेरिकी डॉलर है।

शुक्रवार को सवालों के जवाब देते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, 'हमने चीन के तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र में यारलुंग त्सांगपो नदी पर एक जलविद्युत परियोजना के बारे में 25 दिसंबर 2024 को शिन्हुआ द्वारा जारी की गई जानकारी देखी है। ...हमने लगातार विशेषज्ञ-स्तर के साथ-साथ राजनयिक चैनलों के माध्यम से, चीनी पक्ष को उनके क्षेत्र में नदियों पर मेगा परियोजनाओं पर अपने विचार और चिंताएँ व्यक्त की हैं। ताज़ा रिपोर्ट के बाद पारदर्शिता और निचले हिस्से के देशों के साथ परामर्श की ज़रूरत के साथ-साथ इन्हें दोहराया गया है।' उन्होंने कहा, 'चीनी पक्ष से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया गया है कि ब्रह्मपुत्र के निचले इलाकों के राज्यों के हितों को ऊपरी इलाकों में होने वाली गतिविधियों से नुकसान न पहुंचे। हम अपने हितों की रक्षा के लिए निगरानी करते रहेंगे और ज़रूरी कदम उठाएंगे।'