देश के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने 1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को अयोग्य घोषित करने के इलाहाबाद हाई कोर्ट के फ़ैसले को बहुत साहसिक निर्णय बताया है। तब उस फ़ैसले ने देश को झकझोर कर दिया था। सीजेआई रमना शनिवार को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के नए भवन परिसर के शिलान्यास समारोह में बोल रहे थे। उस कार्यक्रम में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद भी शामिल हुए थे।
कार्यक्रम के दौरान इलाहाबाद हाई कोर्ट के ऐतिहासिक फ़ैसलों का ज़िक्र करते हुए सीजेआई रमना ने कहा कि कहा, 'इलाहाबाद उच्च न्यायालय का 150 साल से अधिक पुराना इतिहास है। 1975 में वह न्यायमूर्ति जगमोहन लाल सिन्हा थे जिन्होंने ऐसा आदेश पारित किया कि इंदिरा गांधी अयोग्य करार दी गईं। उस फ़ैसले ने देश को हिलाकर रख दिया।' उन्होंने आगे कहा कि वह फ़ैसला बहुत साहस भरा निर्णय था। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि कहा जा सकता है कि इसी फ़ैसले के कारण आपातकाल की घोषणा की गई।
बता दें कि तब उस फ़ैसले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने माना था कि इंदिरा गांधी चुनावी गड़बड़ियों की दोषी थीं और उन्हें छह साल के लिए सार्वजनिक पद पर रहने से अयोग्य घोषित कर दिया गया था। बाद में देश में दो साल के लिए आपातकाल लगा दिया गया था।
इंदिरा गांधी ने उत्तर प्रदेश में रायबरेली सीट से 1971 का लोकसभा चुनाव अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी राज नारायण को हराकर जीता था। लेकिन इंदिरा की जीत को यह कहते हुए चुनौती दी गई थी कि उनके चुनाव एजेंट यशपाल कपूर एक सरकारी अधिकारी थे और उन्होंने निजी चुनाव संबंधी कार्यों के लिए सरकारी अधिकारियों का इस्तेमाल किया था।
हालाँकि इसके साथ ही सीजेआई ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में लंबित आपराधिक मामलों को लेकर चिंता जताई। उन्होंने लंबित मामले के निपटारे के लिए इलाहाबाद उच्च न्यायालय और बार के सदस्यों को इस संदर्भ में मिलकर काम करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि मुझे उम्मीद है कि नये कॉम्पलेक्स के निर्माण से इलाहाबाद बार में फिर से ऊर्जा का संचार होगा।
सीजेआई रमना ने देश की अदालतों के आधारभूत ढांचे पर भी चिंता जताई और कहा कि भारत में अब भी अदालतें जीर्ण-शीर्ण भवनों और ख़राब बुनियादी ढांचे के साथ काम कर रही हैं।
मुख्य न्यायाधीश रमना ने क़ानून मंत्री रिजिजू की भी तारीफ़ की। उन्होंने न्याय तक पहुँच बढ़ाने के लिए न्यायिक बुनियादी ढांचे को मज़बूत करने की दिशा में रिजिजू के दृष्टिकोण की सराहना की। उन्होंने कहा, 'मैंने सोचा था कि वह इलीट (कुलीन) पृष्ठभूमि से हैं। लेकिन आज सुबह मुझे उनसे पता चला कि वह भी ग्रामीण पृष्ठभूमि से हैं। वह आम लोगों की कठिनाइयों को समझते हैं।'
बता दें कि हाल ही में सीजेआई रमना के नेतृत्व वाले सुप्रीम कोर्ट कॉलिजियम ने एक साथ 9 जजों की सिफारिश की थी जिसे सरकार ने मंजूरी दे दी है। बीते कुछ सालों में ऐसा पहली बार हुआ है जब कॉलिजियम की ओर से भेजे गए सभी नामों को केंद्र सरकार ने मंजूर कर लिया। इस बीच कॉलिजियम ने उच्च न्यायालयों में पदोन्नति के लिए 10 महिलाओं सहित 68 नामों की सिफारिश की है। यह पहला मौक़ा है जब कॉलिजियम ने एक साथ इतने नामों को मंजूरी दी है। अब सरकार के पास इन सिफारिशों को भेजा गया है।