SC फ़ैसले से पहले मुख्य चुनाव आयुक्त के चयन में जल्दबाज़ी क्यों?

10:11 pm Feb 17, 2025 | सत्य ब्यूरो

प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली सीईसी नियुक्ति पैनल ने सोमवार को बैठक में नये सीईसी का चयन किया गया। राजीव कुमार मंगलवार को मुख्य चुनाव आयुक्त के पद से सेवानिवृत्त होने वाले हैं। इस बैठक में लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने सरकार से नई नियुक्ति प्रक्रिया को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने तक नियुक्ति को स्थगित करने को कहा। सुप्रीम कोर्ट इस मामले की सुनवाई बुधवार को करेगा। मीडिया रिपोर्टों में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि राहुल गांधी ने असहमति जताई है। मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्त के पदों के लिए चुने गए पांच-पांच नामों के पैनल समिति के सदस्यों के समक्ष विचार के लिए रखे गए।

कांग्रेस ने मुख्य चुनाव आयुक्त के उस चयन पैनल की बैठक पर आपत्ति जताई है जिसमें भारत के मुख्य न्यायाधीश सदस्य नहीं हैं। इसने कहा है कि इस पद पर नियुक्ति के लिए क़ानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है इसलिए इस क़ानून के तहत नियुक्ति प्रक्रिया को फ़िलहाल टाल देना चाहिए। इसने कहा है कि मोदी सरकार को अहंकार त्यागकर सही प्रक्रिया का पालन करना चाहिए। कांग्रेस ने सोमवार को कहा कि नए मुख्य चुनाव आयुक्त का चयन करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी की सदस्यता वाली चयन समिति का मौजूदा स्वरूप सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन है। यह बात तब कही जा रही है जब चुनाव आयोग के प्रमुख का चयन करने के लिए समिति की बैठक हुई। कांग्रेस ने कहा है कि अदालत के आदेश के अनुसार समिति में गृह मंत्री के बजाय प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता और भारत के मुख्य न्यायाधीश शामिल होने चाहिए।

कांग्रेस नेता अजय माकन, अभिषेक मनु सिंघवी और गुरदीप सप्पल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि सोमवार को मुख्य चुनाव आयुक्त यानी सीईसी के चयन से जुड़ी बैठक हुई। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि 19 फरवरी को इस विषय में सुनवाई होगी और फैसला सुनाया जाएगा कि कमेटी का कांस्टीट्यूशन किस तरीके का होना चाहिए। उन्होंने कहा कि ऐसे में आज की बैठक को निलंबित करना चाहिए था। 

अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, 'मोदी सरकार मुख्य चुनाव आयुक्त के चयन के लिए 2023 में जो नया कानून- मुख्य चुनाव आयुक्त व अन्य चुनाव आयुक्त क़ानून लेकर आई है, इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। अभी तक सुप्रीम कोर्ट ने इसे लेकर 3 ऑर्डर पास किए हैं और अगली सुनवाई 19 फ़रवरी के आस पास होनी है। इसलिए मुख्य चुनाव आयुक्त सीईसी के चयन को लेकर कांग्रेस का रुख बड़ा साफ़ है- सीईसी के चुनाव से जुड़ी आज जो बैठक हुई है, उसे स्थगित किया जाए। मोदी सरकार सुप्रीम कोर्ट को ये याचिका दे कि सीईसी के चुनाव से जुड़ी सुनवाई जल्द की जाए। इसमें कांग्रेस, सरकार का पूरा समर्थन करेगी। मोदी सरकार को अपना अहंकार छोड़कर ये मांग माननी चाहिए।'

सिंघवी ने आगे कहा, 'मुख्य चुनाव आयुक्त के चयन के लिए 2023 में एक एक्ट आया- मुख्य चुनाव आयुक्त व अन्य चुनाव आयुक्त क़ानून। इसके अनुसार प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और नेता विपक्ष की समिति मुख्य चुनाव आयुक्त का चयन करती है, लेकिन उसमें बहुत सारी संवैधानिक और क़ानूनी समस्याएँ हैं। इन्हीं समस्याओं को लेकर सुप्रीम कोर्ट के सामने बात रखी गई और सुप्रीम कोर्ट ने 2 मार्च 2023 को एक फ़ैसला दिया।' उन्होंने कहा, 

इस फ़ैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लोकतंत्र और उसकी निष्पक्षता के लिए सीईसी और ईसी की चयन समिति में प्रधानमंत्री, भारत के मुख्य न्यायाधीश और नेता विपक्ष हों।


अभिषेक मनु सिंघवी, कांग्रेस नेता

सिंघवी ने आगे कहा, 'लेकिन इस फ़ैसले की आत्मा और उद्देश्य को बिना समझे, जल्दबाजी में मुख्य चुनाव आयुक्त व अन्य चुनाव आयुक्त क़ानून लाया गया। इस नए कानून में सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले के ठीक विपरीत काम किया गया, जिसमें पूरी तरह से कार्यपालिका मुख्य चुनाव आयुक्त यानी सीईसी का चयन कर रही है।'

मुख्य चुनाव आयुक्त व अन्य चुनाव आयुक्त क़ानून को लेकर विवाद इसलिए है कि 2 मार्च 2023 को सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने देश के चुनाव आयोग में मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति को लेकर एक फैसला दिया था। इस फैसले में कोर्ट ने पूर्व की चयन प्रक्रिया को खारिज कर दिया था। 

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि अब मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्त की नियुक्ति का भी वही तरीका होगा, जो सीबीआई चीफ की नियुक्ति का है।

सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की संविधान पीठ ने अपने फैसले में कहा था कि ये नियुक्ति प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता और सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एक कमेटी की सिफारिश पर राष्ट्रपति करेंगे। हालांकि, तब सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा था कि यह मौजूदा व्यवस्था तब तक जारी रहेगी, जब तक संसद इस पर कानून ना बना दे।

इस जजमेंट के आने से पहले तक मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्त की नियुक्ति केंद्र सरकार करती थी। तब विपक्षी दलों ने कहा था कि फ़ैसले के साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति में निष्पक्ष नियुक्तियों का रास्ता साफ़ कर दिया था। 

(इस रिपोर्ट का संपादन अमित कुमार सिंह ने किया है।)