डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ़ वार से अमेरिकी अर्थव्यवस्था मज़बूत होगी या इसकी हालत बिगड़ेगी? कम से कम ट्रंप अमेरिकियों को जो सपने दिखा रहे हैं वह तो अमेरिका को फिर से महान बनाने का है, लेकिन अमेरिका को इसकी क्या क़ीमत चुकानी पड़ेगी, क्या इसका अंदेशा उनको है? यदि ऐसा होता तो टैरिफ़ वार पर लगातार वह क्या इतना मुखर होते?
ट्रंप ने मंगलवार को फिर से कहा है, 'व्यापार के मामले में मैंने निष्पक्षता के उद्देश्य से यह निर्णय लिया है कि मैं जवाबी टैरिफ लगाऊंगा, जिसका मतलब है कि जो भी देश संयुक्त राज्य अमेरिका से शुल्क लेंगे, हम उनसे शुल्क लेंगे - न अधिक, न कम!' उन्होंने कहा है, 'कई वर्षों से, अमेरिका के साथ अन्य देशों द्वारा अनुचित व्यवहार किया गया है, चाहे वे मित्र हों या शत्रु। ...अब समय आ गया है कि ये देश इसे याद रखें, और हमारे साथ निष्पक्ष व्यवहार करें।'
राष्ट्रपति पद संभालने के तुरंत बाद ट्रंप ने जब से कनाडा, मैक्सिको और चीन से आने वाले सामानों पर हैवी टैरिफ़ लगाने वाले एग्ज़क्यूटिव ऑर्डर पर दस्तख़त किया है तब से एक बड़ा आर्थिक संघर्ष भड़कने की आशंका जताई जा रही है। ट्रंप के इस फ़ैसले के बाद उसके पड़ोसी देश कनाडा और मैक्सिको ने जवाबी कार्रवाई की और अमेरिका पर जवाबी शुल्क लगा दिया। चीन ने भी ऐसा ही किया है। यूरोपीय संघ पर भी टैरिफ़ लगाने की बात चल रही है। भारत के मामले में ट्रंप ने तो साफ़-साफ़ दो टूक कह ही दिया है कि टैरिफ़ लगेगा।
तो क्या अमेरिका के टैरिफ़ लगाने से दुनिया के देशों को बड़ा नुक़सान होगा और अमेरिका बहुत बड़े फ़ायदे में होगा? इसका असर दुनिया सहित तमाम देशों पर क्या होगा, इस पर चर्चा बाद में पहले यह जान लें कि ट्रंप ने किस तरह के टैरिफ़ की घोषणा की है और इसके जवाब में अन्य देशों ने क्या किया है।
ट्रंप की सबसे बड़ी घोषणा तो चीन, मैक्सिको और कनाडा पर टैरिफ़ लगाने की थी। चीन, मैक्सिको और कनाडा ने मिलकर 2024 में 40% से अधिक हिस्सा अमेरिका में निर्यात किया।
चीन
चीन से अमेरिका में आयात किए जाने वाले सभी सामानों पर 10% शुल्क 4 फरवरी को लागू हुआ। बीजिंग ने अपने टैरिफ के साथ जवाबी कार्रवाई की, जो 10 फरवरी को प्रभावी हुआ। इसमें अमेरिकी कोयला और तरल प्राकृतिक गैस उत्पादों पर 15% टैरिफ और कच्चे तेल, कृषि मशीनरी और बड़े इंजन वाली कारों पर 10% टैरिफ शामिल हैं।
कनाडा
कनाडा से आने वाले सभी सामानों पर 25% का प्रस्तावित टैरिफ भी 4 फरवरी से शुरू होने वाला था। हालाँकि, इसमें 30 दिनों की देरी हुई। इस वजह से कनाडा ने 155 बिलियन कनाडाई डॉलर के अमेरिकी आयात पर 25% के अपने जवाबी टैरिफ को भी रोक दिया।
इससे पहले ट्रंप द्वारा टैरिफ़ लगाए जाने की घोषणा करने के बाद कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने कहा था कि उनकी सरकार जवाब में 155 बिलियन कनाडाई डॉलर मूल्य के अमेरिकी सामानों पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाएगी।
मैक्सिको
मैक्सिको के ख़िलाफ़ प्रस्तावित 25% टैरिफ़ को भी एक महीने के लिए टाल दिया गया है, क्योंकि मैक्सिको ने अमेरिकी वस्तुओं के ख़िलाफ़ नए उपाय किए हैं। मैक्सिकन राष्ट्रपति क्लाउडिया शिनबाम ने 'ड्रग्स, विशेष रूप से फेंटेनल की तस्करी को रोकने' के लिए यूएस-मैक्सिकन सीमा पर नेशनल गार्ड के 10,000 सदस्यों को भेजने पर सहमति व्यक्त की। शीनबाम ने कहा कि अमेरिका ने मैक्सिको में उच्च क्षमता वाले अमेरिकी हथियारों की तस्करी को रोकने के लिए उपाय बढ़ाने पर सहमति जताई है।
पहले मैक्सिकन राष्ट्रपति क्लाउडिया शिनबाम ने घोषणा की थी कि मैक्सिको अपने हितों की रक्षा के लिए जवाबी शुल्क लगाएगा और अन्य उपाय करेगा। उन्होंने ट्रंप के इस आरोप को भी खारिज कर दिया था कि मैक्सिकन सरकार के आपराधिक संगठनों से संबंध हैं।
भारत
इससे पहले ट्रंप ने वाशिंगटन में पीएम मोदी से मुलाक़ात से पहले टैरिफ़ लगाने की घोषणा की थी और कहा था कि भारत दुनिया भर में सबसे ज़्यादा टैरिफ़ लगाने वाला देश है। हालाँकि, ट्रंप से मुलाक़ात से पहले ही टैरिफ़ भारत ने 13 से घटाकर 11 फ़ीसदी कर दिया था। लग्ज़री कार जैसे सामानों पर सबसे ज़्यादा 150 फ़ीसदी लगने वाले टैरिफ़ को भी घटाकर 70 फ़ीसदी कर दिया गया। वैसे, बड़ी अर्थव्यवस्थाओं वाले देश औसत रूप से 3-4 फ़ीसदी टैरिफ़ लगाते रहे हैं।
दुनिया पर असर
यूरोपीय संघ को भी ट्रंप ने यही चेतावनी दी है। जवाब में यूरोपीय संघ ने भी टैरिफ़ का जवाब देने की घोषणा की है। वैसे, ट्रंप द्वारा हस्ताक्षर किए गए एग्ज़क्यूटिव ऑर्डर में यह भी शामिल है कि अगर देश अमेरिका के खिलाफ जवाबी कार्रवाई करते हैं तो दरों को बढ़ाया जा सकता है। मतलब साफ़ है कि 'टैरिफ़ वार' के बढ़ने की ही आशंका है। टैरिफ़ वार बढ़ने का असर होगा कि लोगों को सामान महंगे मिलेंगे। कई देशों में काफ़ी ज़्यादा महंगाई पहले से ही है और ऐसे में सामानों की क़ीमतें बढ़ने पर संकट और बढ़ेगा ही। यह उन देशों की अर्थव्यवस्थाओं के लिए भी घातक होगा।
अमेरिका पर क्या असर होगा?
साफ़ है कि ट्रंप ने ऐसे मुद्दे को छेड़ दिया है जो अमेरिका के लिए भी कम महंगा साबित नहीं होगा। ट्रंप के इस निर्णय से मैक्सिको, चीन और कनाडा के साथ आर्थिक गतिरोध का ख़तरा बढ़ गया है। बता दें कि ये देश अमेरिका के सबसे बड़े व्यापारिक साझेदार हैं। जब इन मुल्कों से सामानों पर भारी शुल्क लगाया जाएगा तो अमेरिका में इससे महंगाई की स्थिति भी काफी खराब हो सकती है। खुद कनाडा के प्रधानमंत्री ट्रूडो ने इसके संकेत दे दिए हैं। ट्रूडो ने माना है कि अगले कुछ सप्ताह कनाडाई और अमेरिकियों के लिए मुश्किल होंगे।
टैरिफ से काफी बड़ी आर्थिक बाधा आ सकती है। विश्लेषकों ने चेतावनी दी है कि इससे महंगाई बढ़ सकती है। बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार अर्थशास्त्रियों ने चेताया है कि आयातित सामान बेचने वाली कंपनियां शुल्क की लागत को कवर करने के लिए अमेरिकी उपभोक्ताओं के लिए कीमतें बढ़ा सकती हैं।
अगर मैक्सिकन और कनाडाई आयातों के खिलाफ उपाय आगे बढ़ते हैं, तो उनके द्वारा उत्पादित वस्तुओं के भी अधिक महंगे होने की संभावना है।
द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार येल विश्वविद्यालय के बजट लैब ने अनुमान लगाया है कि नए आयात करों के कारण औसत अमेरिकी परिवार को वार्षिक आय में 1,170 डॉलर का नुकसान होगा। इसके अतिरिक्त, इस कदम से आर्थिक विकास धीमा हो सकता है और किराने का सामान, गैसोलीन, आवास और ऑटो की कीमतें और बढ़ सकती हैं।
तो सवाल है कि ट्रंप आख़िर इतना बड़ा जोखिम क्यों ले रहे हैं? आख़िर उनका मक़सद क्या है? ट्रंप के टैरिफ एक व्यापक राजनीतिक रणनीति का हिस्सा हैं जिसका उद्देश्य अमेरिकी उद्योगों की रक्षा करने और अवैध इमिग्रेशन व मादक पदार्थों की तस्करी जैसे मुद्दों से निपटने के अपने अभियान के वादों को पूरा करना है। राष्ट्रपति लंबे समय से यह तर्क देते रहे हैं कि अमेरिका की आर्थिक शक्ति को बहाल करने के लिए टैरिफ ज़रूरी हैं। ट्रंप इसके लिए वे 19वीं सदी के अंत से तुलना करते हैं, जब अमेरिका राजस्व के लिए टैरिफ पर बहुत अधिक निर्भर था।
अब ट्रंप को इसकी भारी क़ीमत भी चुकानी पड़ेगी। उनको महंगाई को काबू में करने की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। उनका प्रशासन यह दांव लगा रहा है कि टैरिफ के कारण आए आर्थिक जोखिम महंगाई को काफ़ी ज़्यादा ख़राब नहीं करेंगे या वैश्विक अर्थव्यवस्था को अस्थिर नहीं करेंगे। दावे कुछ भी किए जाएँ, लेकिन ट्रंप के इस टैरिफ वार के नतीजे दूरगामी होंगे।