चिदंबरम के मामले में गोगोई करेंगे सुनवाई, ईडी ने जारी किया 'लुकआउट नोटिस'

04:48 pm Aug 21, 2019 | सत्य ब्यूरो - सत्य हिन्दी

पूर्व वित्त और गृह मंत्री पी. चिदंबरम को सुप्रीम कोर्ट से फ़िलहाल कोई राहत नहीं मिली है। तीन जजों के पीठ ने कहा है कि अंतरिम राहत से जुड़ी याचिका मुख्य न्यायाधीश के सामने रखी जाए। अब मुख्य न्यायाधीश गोगोई रंजन गोगोई लंच के बाद इस याचिका पर सुनवाई करेंगे। 

चिंदबरम के वकील कपिल सिब्बल ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार के पास तुरन्त सुनवाई की अपील की थी। रजिस्ट्रार ने उनसे कहा था कि वह बुधवार को सुप्रीम कोर्ट मे इससे जुड़ी याचिका दायर कर सकते हैं। सिब्बल ने जस्टिस एन. वी. रमणा की अगुआई में बनी बेंच के सामने याचिका दायर की। बेंच ने अंतरिम राहत से जुड़ी इस याचिका को मुख्य न्यायाधीश गोगोई के पास भेज दिया है। 

'लुक आउट नोटिस'

प्रवर्तन निदेशालय यानी एनफ़ोर्समेंट डाइरेक्टरेट (ईडी) ने चिदंबरम के ख़िलाफ़ 'लुक आउट नोटिस' जारी कर दिया है। वह पहले से ही उनकी तलाश में जुटी हुई है। 

चिदंबरम पर गिरफ़्तारी की तलवार लटक रही है और प्रवर्तन निदेशालय और सीबीआई उनकी तलाश में हैं। उन्हें दिल्ली हाईकोर्ट से आईएनएक्स मीडिया केस में राहत नहीं मिली थी और उसके बाद से ही चिदंबरम का कुछ पता नहीं है। आईएनएक्स मीडिया मामले में मंगलवार शाम को सीबीआई की एक टीम उनके घर पर पहुँची थी लेकिन कांग्रेस नेता वहाँ नहीं मिले थे। इससे पहले मंगलवार को दिल्ली हाई कोर्ट ने इसी मामले में चिदंबरम की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी। इसके बाद चिदंबरम ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। 

अदालत ने की थी सख़्त टिप्पणी

मंगलवार को अदालत ने चिदंबरम की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए बेहद सख़्त रुख दिखाया था। अदालत ने कहा था कि उन्हें सिर्फ़ इसलिए जमानत नहीं दी जा सकती कि वह सांसद हैं। जस्टिस सुनील गौर ने कहा था, ‘इस मामले में पहली नज़र में तो तथ्य सामने आये हैं वे यह बताते हैं कि याचिकाकर्ता ही इस मामले का सूत्रधार है और वही इस मामले का मुख्य साज़िशकर्ता भी है।’ मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस सुनील गौर ने कहा था कि यह कहना अतिश्योक्ति होगा कि चिदबंरम पर लगे आरोप निराधार हैं, राजनीति से प्रेरित हैं और बदले की भावना से लिये गये हैं। जस्टिस गौर ने कहा था कि यह एक आर्थिक अपराध है और इस मामले से सख़्ती से निपटा जाना चाहिए। उन्होंने कहा था कि इतने बड़े आर्थिक अपराध के मामले में जाँच एजेंसी के हाथों को बाँधकर नहीं रखा जा सकता।