29 नवंबर से शुरू होने वाले संसद सत्र से पहले सर्वदलीय बैठक बुलाई जाएगी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इसमें हिस्सा लेंगे। यह बैठक 28 नवंबर को होगी। इसमें कृषि क़ानूनों की वापसी और एमएसपी को लेकर गारंटी क़ानून बनाए जाने पर बातचीत हो सकती है। पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कृषि क़ानूनों को वापस लेने के सरकार के फ़ैसले से माना जा रहा है कि सरकार किसानों और विपक्ष के राजनीतिक दबाव के आगे झुक गयी है।
यह भी बताया जा रहा है कि उसी दिन बीजेपी के संसदीय बोर्ड की बैठक होगी। सरकार के कृषि क़ानूनों को वापस लिए जाने के फ़ैसले के बाद से ही संसद सत्र पर सभी की नज़रें टिक गई हैं।
किसान नेताओं का कहना है कि वे तभी सरकार की बात पर भरोसा करेंगे, जब संसद से कृषि क़ानूनों को संवैधानिक रूप से निरस्त कर दिया जाए।
पेगासस जासूसी मामले पर हंगामा
बीते संसद सत्र के दौरान कृषि क़ानूनों व पेगासस जासूसी मामले को लेकर खासा हंगामा हुआ था और सदन का कामकाज बुरी तरह प्रभावित हुआ था। इस बार विपक्ष एमएसपी के मुद्दे के अलावा किसानों की बाक़ी मांगों को पूरा करने के लिए सरकार पर दबाव बना सकता है।
टीएमसी के सांसद त्रिपुरा में उनके कार्यकर्ताओं पर हुए हमले का मामला उठा सकते हैं। इसे लेकर उन्होंने सोमवार को दिल्ली में धरना भी दिया है।
डटे हुए हैं किसान
किसान एमएसपी को क़ानूनी गारंटी दिए जाने, केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी की बर्खास्तगी सहित छह मांगों को लेकर मैदान में डटे हैं। लखनऊ की किसान महापंचायत में उन्होंने जोर-शोर से इस बात का एलान किया है कि वे इन मांगों के पूरा होने तक आंदोलन जारी रखेंगे।
इससे साफ है कि किसान इतनी जल्दी मानने वाले नहीं हैं और वे इन मांगों पर फ़ैसला करने के सरकार पर दबाव बनाएंगे।
कैबिनेट की बैठक 24 को
इधर, बुधवार को मोदी कैबिनेट की बैठक बुलाई गई है। इस बैठक में कैबिनेट कृषि क़ानूनों को वापस लेने के फ़ैसले को मंजूरी दे सकती है।