कांग्रेस के उत्तर प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे ने बुधवार शाम सपा नेताओं के साथ लखनऊ में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा- "मुझे आपको यह बताते हुए खुशी हो रही है कि यह निर्णय लिया गया है कि कांग्रेस उत्तर प्रदेश में 17 सीटों पर चुनाव लड़ेगी और शेष 63 सीटों पर भारतीय गठबंधन के उम्मीदवार होंगे - सपा और अन्य दलों से।" इस घोषणा से पहले तमाम चुनाव पंडित दोनों दलों के बीच अनबन की जो खबरें बांच रहे थे, उसका बुधवार को अंत हो गया। अब यूपी में इंडिया गठबंधन लड़ेगा।
विपक्षी गठबंधन इंडिया द्वारा घोषित पहली बड़ी सीट शेयरिंग डील है, जो 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को हराने के लिए की गई है। हालांकि इस घोषणा से अब यह भी सवाल मीडिया में रोजाना पूछा जाएगा कि रायबरेली और अमेठी से कौन लड़ेगा। क्योंकि ये दोनों परंपरागत सीटें कांग्रेस को हिस्से में मिली हैं।
17 सीटों के विवरण से एक बार फिर से अटकलें तेज हो गई हैं कि प्रियंका गांधी वाड्रा अपनी मां सोनिया गांधी के राज्यसभा में जाने के बाद रायबरेली से चुनावी मैदान में उतरेंगी। रायबरेली कांग्रेस का गढ़ है जिसे पार्टी खोना नहीं चाहेगी और यह सुनिश्चित करना कि वहां कोई सपा उम्मीदवार न हो, उसके लिए पहला कदम है। जानिए कौन-कौन सी सीटें कांग्रेस को मिली हैंः
इन सीटों पर लड़ेगी कांग्रेसः कांग्रेस-सपा सीट शेयरिंग के तहत कांग्रेस इन 17 सीटों पर लड़ेगी- रायबरेली, अमेठी, फ़तेहपुर सीकरी, सहारनपुर, प्रयागराज, महाराजगंज, वाराणसी, अमरोहा, झांसी, बुलन्दशहर, गाज़ियाबाद, मथुरा, सीतापुर, बाराबंकी, कानपुर, बांसगांव और देवरिया।
रायबरेली, अमेठी के अलावा वाराणसी भी तीसरी महत्वपूर्ण सीट है जो अखिलेश ने कांग्रेस को सौंपी है। वाराणसी प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र है। दूसरी तरफ अमेठी वह सीट है जहां राहुल गांधी 2019 में भाजपा की स्मृति ईरानी से हार गए थे। रायबरेली तब तक सोनिया गांधी की सीट थी जब तक कि उन्होंने स्वास्थ्य कारणों से इसे खाली नहीं कर दिया। एक तरह से अमेठी और रायबरेली जीतना कांग्रेस के लिए फिर से प्रतिष्ठा का सवाल हो गया है। दूसरी तरफ पीएम मोदी के खिलाफ वाराणसी से सशक्त प्रत्याशी देना कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती है।