बीते साल नवंबर में श्रीनगर के हैदरपोरा में हुए एनकाउंटर की जांच को लेकर तमाम सवाल उठने पर जम्मू कश्मीर पुलिस ने अपना बयान जारी किया है। जम्मू कश्मीर पुलिस के महानिदेशक दिलबाग सिंह ने कहा है कि इस मामले में की गई जांच पूरी तरह पारदर्शी है और वह नेताओं द्वारा इसकी आलोचना किए जाने से बेहद आहत हैं।
पुलिस ने राजनीतिक दलों के नेताओं को चेताया है कि वह उनके बयानों को लेकर उनके खिलाफ कार्रवाई करेगी।
हैदरपोरा में एनकाउंटर 15 नवंबर को हुआ था और इसमें 4 लोगों की मौत हो गई थी। पूर्व मुख्यमंत्रियों उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती ने मांग की थी कि इस एनकाउंटर की निष्पक्ष जांच कराई जाए। हुर्रियत कांफ्रेंस ने इसके खिलाफ बंद का आह्वान किया था।
जम्मू-कश्मीर पुलिस के आईजी विजय कुमार ने कहा है कि केवल अदालत और जज ही इस मामले में फैसला कर सकते हैं कि जांच सही थी या गलत। राजनेताओं और मीडिया से जुड़े लोगों को इस तरह की बयानबाजी करने का कोई हक नहीं है और अगर वे ऐसा करते हैं तो इसका मतलब यह है कि उन्हें अपने पेशे के बारे में जानकारी नहीं है। उन्होंने कहा कि राजनेता लोगों को न भड़काएं और अदालत को इस मामले में फैसला करने दें।
पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि इस मामले में पुलिस की रिपोर्ट गलत है और उसने खुद को बचाने के लिए ऐसी रिपोर्ट बनाई है। उन्होंने कहा कि एनकाउंटर में मारे गए लोगों को पुलिस ने मारा है और इस बात में कोई शक नहीं है। उन्होंने कहा कि इस घटना की न्यायिक जांच होनी चाहिए।
परिजनों ने किया था इनकार
हैदरपोरा एनकाउंटर में मारे गए मोहम्मद आमिर, अल्ताफ भट और मुदस्सिर गुल के परिजनों ने पुलिस के आरोपों को गलत बताया था और इस एनकाउंटर की निष्पक्ष जांच की मांग की थी। इनके परिजनों ने कहा था कि मारे गए लोगों का आतंकवाद से किसी तरह का कोई संबंध नहीं था।
जबकि जम्मू-कश्मीर पुलिस के आईजी विजय कुमार ने कहा था कि मुदस्सिर गुल ने आतंकी हैदर और उसके सहयोगी को अपने वहां शरण दी थी। आईजी का कहना था कि गुल आतंकियों का सहयोगी था और इस इलाके में एक अवैध कॉल सेंटर चला रहा था जबकि अल्ताफ भट ने उसे अपना घर किराए पर दिया था। मोहम्मद आमिर अल्ताफ के दफ्तर में ही काम करता था।