हिमाचल विधानसभा उपचुनावः कितने पानी में हैं 6 दलबदलू भाजपा प्रत्याशी

10:09 pm May 27, 2024 |

हिमाचल में कांग्रेस से भाजपा में आए 6 अयोग्य घोषित विधायकों का कहना है कि भले ही उन्हें दलबदलू कहा जाए, लेकिन उनके लिए सबसे पहले जनता है जिसने उन्हें वोट दिया, न कि वह पार्टी जिसके वे सदस्य हैं। हिमाचल के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू का कहना है कि ये 6 लोग बिके हुए माफिया हैं।

हिमाचल में 27 फरवरी को हुए राज्यसभा चुनाव में इन 6 कांग्रेस विधायकों ने भाजपा प्रत्याशी हर्ष महाजन को वोट दिया था। राज्यसभा चुनाव में जाने-माने वकील अभिषेक मनु सिंघवी हार गए थे। विधायक राजिंदर राणा (सुजानपुर), सुधीर शर्मा (धर्मशाला), रवि ठाकुर (लाहौल स्पीति), इंदर दत्त लखनपाल (बड़सर), चैतन्य शर्मा (गगरेट) और देविंदर कुमार भुट्टो (कुटलेहर) ने पार्टी व्हिप को तोड़कर भाजपा को वोट दिया था। इससे सुक्खू सरकार पर संकट के बादल मंडरा उठे थे।

राज्यसभा चुनाव के घटनाक्रम के दो दिन बाद सदन में उपस्थित रहने और सरकार के पक्ष में मतदान करने के लिए पार्टी व्हिप का उल्लंघन करने के लिए छह कांग्रेस विधायकों को विधानसभा से अयोग्य घोषित कर दिया गया। बाद में वे भाजपा में शामिल हो गए और भाजपा टिकट पर अपने-अपने विधानसभा क्षेत्रों से चुनाव मैदान में उतरे। 1 जून को मतदान है।

 

इन 6 भाजपा प्रत्याशियों को अब तरह-तरह के आरोपों का सामना करना पड़ रहा है। हिमाचल के शांतिप्रिय लोग दलबदलुओं को पसंद नहीं करते। ये सभी प्रत्याशी जहां-जहां जनसंपर्क के लिए जाते हैं, वहां उनसे सवाल पूछा जाता है कि हमने तो आपको कांग्रेस टिकट पर जिताया था। अब भाजपा से कैसे। ये सवाल चुभ रहे हैं। कांग्रेस ने पूरी ताकत से इन पर गंभीर आरोपों की बौछार कर दी है। मुख्यमंत्री सुक्खू ने इन्हें हाल ही में "काले नाग" कहा और आरोप लगाया कि ये लोग "ब्रीफकेस" के भूखे हैं, "सम्मान" के नहीं। सुक्खू ने यह भी आरोप लगाया कि छह बागियों को वोट बेचने के लिए 15-15 करोड़ रुपये मिले। जनता आरोपों को गंभीरता से ले रही है।

6 पूर्व विधायक और भाजपा प्रत्याशी हिम्मत नहीं हार रहे और डटे हुए हैं। उनका कहना है कि ''जिन मतदाताओं ने हमें चुना है वे पहले आते हैं और फिर पार्टी। अगर मुख्यमंत्री के पास अनावश्यक टिप्पणियां करके लोगों को गुमराह करने के बजाय कोई सबूत है तो उन्हें कार्रवाई करनी चाहिए।''

पुलिस ने दो कांग्रेस विधायकों की शिकायत पर राज्यसभा चुनाव से संबंधित "चुनावी अपराध" को लेकर हमीरपुर से निर्दलीय विधायक आशीष शर्मा और चैतन्य शर्मा के पिता राकेश शर्मा के खिलाफ मामला दर्ज किया है। इसके बाद विद्रोहियों यानी भाजपा प्रत्याशियों ने सुक्खू के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया। उन्होंने मुख्यमंत्री पर बिना सबूत आरोप लगाने की बात कही।

1 जून को राज्य की चार लोकसभा सीटों के साथ होने वाले उपचुनाव के लिए प्रचार जैसे-जैसे खत्म होने को है, जुबानी जंग और भी तेज होती जा रही है। 6 भाजपा प्रत्याशियों ने कहा कि अपने मतदाताओं की आकांक्षाओं को पूरा करना उनकी पहली प्राथमिकता है। उनका कहना है-

जनता ने हमें वोट दिया और उनकी अपेक्षाओं को पूरा करना हमारी जिम्मेदारी है, चाहे हम भाजपा में हों, कांग्रेस में हों या निर्दलीय हों। महिलाएं और युवा हमसे 1,500 रुपये प्रति माह और एक लाख नौकरियां मांग रहे हैं, लेकिन हमारे पास कोई जवाब नहीं है।


- 6 बागी और भाजपा प्रत्याशी, हिमाचल 27 मई 2024 सोर्सः मीडिया रिपोर्ट

गगरेट से पूर्व कांग्रेस विधायक चैतन्य शर्मा, जहां वह अब भाजपा उम्मीदवार हैं, का दावा है कि उनके विधानसभा क्षेत्र में स्वास्थ्य और शिक्षा केंद्रों को डाउनग्रेड कर दिया गया और विधायक स्थानीय क्षेत्र विकास निधि छह महीने के लिए रोक दी गई। वे कहते हैं, ''अब मुख्यमंत्री बदला लेना चाहते हैं क्योंकि उनके पास दिखाने के लिए कोई उपलब्धि नहीं है।''

कुटलेहर से दोबारा चुनाव लड़ रहे देविंदर कुमार भुट्टो ने मुख्यमंत्री को जनता को गुमराह करने के लिए झूठे आरोप लगाने के बजाय सबूत होने पर कार्रवाई करने की सलाह दी। उन्होंने कहा, ''कांग्रेस सरकार उसी तरह गिर जाएगी जैसे वह बहुमत में होने के बावजूद राज्यसभा चुनाव हार गई।''

लाहौल और स्पीति से उम्मीदवार ठाकुर ने दावा किया कि उनके खिलाफ झूठे मामले दर्ज किए जा रहे हैं। जिन लोगों ने कांग्रेस छोड़ा, उन पर केस दर्ज किए गए। उन्होंने सुक्खू पर भी हमला करते हुए कहा कि नवंबर 2022 में सत्ता संभालने के बाद से राज्य की कांग्रेस सरकार ने 18,000 करोड़ रुपये का कर्ज लिया है और आरोप लगाया कि पार्टी विधायकों को भी नहीं पता कि फंड कहां जा रहा है। इसी तरह या इससे मिलते जुलते आरोप भाजपा प्रत्याशी सुधीर शर्मा, राणा और लखनपाल ने भी लगाए। 

इन दलबदलू पूर्व विधायकों को अपनी जीत का भरोसा है। उनका कहना है कि जनता के लोग अलग से आकर उन्हें समर्थन दे रहे हैं। लेकिन इन विधायकों की अपने क्षेत्र में हो रही रैलियों में भीड़ नहीं जुट रही है। हिमाचल भाजपा  के पास ऐसे वक्ता नहीं हैं जो इनके लिए आकर प्रचार कर सके। भाजपा के लोकसभा प्रत्याशियों के लिए मोदी और अमित शाह ने जो रैलियां यहां की हैं, उनमें इन विधायकों के लिए वोट मांगना भाजपा भूल गई। उनमें सिर्फ लोकसभा प्रत्याशी को मंच पर खड़ा करवा कर वोट मांगे गए।

छह विधायकों की अयोग्यता के बाद, 68 सदस्यीय हिमाचल प्रदेश विधानसभा में वर्तमान में 62 विधायक हैं। सदन में फिलहाल कांग्रेस के 34 सदस्य हैं जबकि भाजपा के 25 सदस्य हैं। बाकी निर्दलीय विधायक हैं जो सुक्खू सरकार का समर्थन कर रहे हैं। निर्दलीयों में से सिर्फ 3 विधायकों ने सरकार से समर्थन वापस लिया था और भाजपा के साथ चले गए थे।