हाथरस पीड़िता के साथ हुई हैवानियत के मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच आज सुनवाई करेगी। पीड़िता के शव को देर रात को जलाने और मामले में अधिकारियों की 'ज़्यादती' पर अदालत ने हस्तक्षेप किया था। कोर्ट ने इस मामले का स्वत: संज्ञान लेते हुए उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया था।
अदालत ने नोटिस में कहा था कि यह मामला 'सार्वजनिक महत्व और सार्वजनिक हित का है क्योंकि इसमें राज्य के अधिकारियों द्वारा ज़्यादती किए जाने का आरोप शामिल है। इस कारण न केवल मृतक पीड़िता बल्कि उसके परिवार के सदस्यों के बुनियादी मानव और मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होता है।'
सुनवाई में शामिल होने के लिए पीड़िता का परिवार भारी सुरक्षा के बीच सुबह 6 बजे के आसपास लखनऊ के लिए रवाना हो गया। पीड़िता के माता-पिता, दो भाई और भाभी अदालत के सामने हाजिर होंगे। हाथरस की एसडीएम अंजलि गंगवार ने न्यूज़ एजेंसी एएनआई से कहा कि वह भी परिवार के साथ लखनऊ जा रही हैं और सुरक्षा के पूरे इंतजाम किए गए हैं।
इससे पहले रविवार को सीबीआई ने इस मामले की जांच को अपने हाथ में ले लिया था और एक एफ़आईआर भी दर्ज की थी। सीबीआई के द्वारा इस मामले में जांच के लिए टीम भी बनाई गई है। दलित युवती के परिजनों ने आरोप लगाया था कि युवती के साथ गांव के चार लोगों ने गैंग रेप किया था। कई दिनों तक मौत से लड़ने के बाद दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में युवती की मौत हो गई थी और इसके बाद उत्तर प्रदेश सहित देश भर में प्रदर्शन हुए थे।
चौतरफा दबाव बढ़ने के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने हाथरस के एसपी, डीएसपी और कुछ अन्य पुलिस अफ़सरों को निलंबित कर दिया था और मामले की सीबीआई जांच की सिफारिश की थी।
‘मामला भयावह’
6 अक्टूबर को उत्तर प्रदेश सरकार ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में हलफ़नामा दायर किया था। राज्य सरकार ने इसमें कहा था कि वह शीर्ष अदालत की निगरानी में इस मामले की सीबीआई जांच चाहती है। राज्य सरकार ने यह भी कहा था कि कुछ लोग अपने स्वार्थों के कारण इस मामले की जांच में देरी करने की कोशिश कर रहे हैं।
सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने कहा था कि हाथरस का मामला भयावह और हैरान करने वाला है।
पीड़िता के शव को रात के अंधेरे में ही जला दिए जाने के बाद हजारों सवालों का सामना कर रही उत्तर प्रदेश सरकार ने हलफ़नामा दायर कर शीर्ष अदालत से कहा था कि उस वक्त हालात कुछ ऐसे बन गए थे कि जिला प्रशासन को पीड़िता के शव का रात में ही दाह संस्कार करना पड़ा। राज्य सरकार ने कोर्ट से कहा था कि उसने इसके लिए पीड़िता के परिजनों से अनुमति ली थी।
हाथरस मामले में देखिए, वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष की टिप्पणी-
सरकार बोली- छवि बिगाड़ने की साज़िश
योगी सरकार का कहना है कि हाथरस मामले में जातीय तनाव पैदा कर दंगा कराने की कोशिश की गई और ऐसा सिर्फ़ उसकी छवि को ख़राब करने के लिए किया गया। योगी सरकार के सलाहकारों का कहना है कि हाथरस में विपक्ष, कुछ पत्रकारों व नागरिकता कानून विरोधी आंदोलन से जुड़े संगठनों के साथ कुछ सामाजिक संगठन योगी सरकार की छवि बिगाड़ने की साजिश रच रहे थे और इनके ख़िलाफ़ कारवाई की जा रही है।इस संबंध में सरकार के सलाहकारों की ओर से ‘जस्टिस फ़ॉर हाथरस रेप विक्टिम’ नाम की बेवसाइट का हवाला दिया गया है। कहा गया है कि इस वेबसाइट के तार एमनेस्टी इंटरनेशनल से जुड़े हैं और इसे इसलामिक देशों से जमकर फंडिंग हुई है। दावा किया गया है कि जांच एजेंसियों के हाथ अहम और चौंकाने वाले सुराग लगे हैं।