अफ़ग़ानिस्तान अफ़ीम की खेती और उसकी तस्करी के लिए तो पहले से ही कुख्यात रहा है, पर तालिबान के सत्ता में आने के बाद से उसकी छाया भारत पर भी पड़ने लगी है। बीते दिनों गुजरात के मुंद्रा बंदरगाह पर नशीले पदार्थ हेरोइन का जो जखीरा पकड़ा गया है, वह अफ़ग़ानिस्तान से आया है और वह लगभग तीन हजार किलोग्राम है।
इसकी कीमत लगभग 15,000 करोड़ रुपए है।
सवाल यह उठता है कि नशीले पदार्थों की तस्करी करने वालों की पसंदीदा जगह गुजरात क्यों बनता जा रहा है?
कांग्रेस पार्टी ने आरोप लगाया है कि बीते 18 महीने से नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के स्थायी प्रमुख का पद खाली पड़ा है।
'नारकोटिक्स जिहाद' का आरोप
याद दिला दें कि बीते दिनों केरल में बीजेपी ने 'नारकोटिक्स जिहाद' का मुद्दा उठाया था और आरोप लगाया था कि कुछ संगठन नशीले पदार्थ भारत में बेच रहे हैं और युवाओं को निशाना बना रहे हैं।
जब नारकोटिक्स जिहाद का नारा दिया गया तो साफ तौर पर एक समुदाय विशेष को निशाने पर लिया गया और यह नैरेटिव बनाने की कोशिश की गई कि इस समुदाय विशेष के लोग सुनियोजित तरीके से भारत को निशाने पर ले रहे हैं।
अब जबकि पकड़ी गई हेरोइन के अफ़ग़ानिस्तान से आने की बात कही जा रही है, यह बात जोर पकड़ सकती है।
क्या कहना है राजनेताओं का?
इस मुद्दे पर राजनीति भी शुरू हो चुकी है और यह सवाल उठाया जाने लगा है कि सुशांत सिंह की मौत से जुड़े ड्रग्स मामले में काफी शोर मचाने वाले लोग और मीडिया का एक हिस्सा आज कहाँ है और क्यों चुप हैं।
शिवसेना की सांसद व प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी ने ट्वीट किया है, "59 ग्राम मैरियुआना पकड़े जाने पर टेलीविज़न एंकरों ने दिल बैठा देने वाले अंदाज में बातें की थीं। यह जान कर आश्चचर्य हो रहा है कि तीन हज़ार किलोग्राम हेरोइन पकड़े जाने पर वैसा कुछ नहीं हो रहा है। साफ है कि इन टेलीविज़न चैनलों का गुस्सा सरकार की सेवा पर निर्भर करता है।"
कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा,
“
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह, दोनों ही गुजरात से हैं। ड्रग्स तस्करी करने का सबसे पसंदीदा रास्ता गुजरात ही कैसे हो गया?
पवन खेड़ा, प्रवक्ता, कांग्रेस
खेरा ने इसके आगे कहा कि चिंता की बात यह है कि नशीले पदार्थो की यह खेप सुनियोजित तरीके से जाल बिछा कर नहीं पकड़ी गई है, यह डीआरआई के रूटीन इंस्पेक्शन में पकड़ी गई। क्या इसके पहले ऐसी 10 खेपें गुजरात से निकल चुकी हैं?
कांग्रेस प्रवक्ता ने यह भी याद दिलाया कि
- जनवरी 2020 में पाँच पाकिस्तानियों को गुजरात में ही पकड़ा गया था जो 175 करोड़ रुपए के ड्रग्स की तस्करी की कोशिश कर रहे थे।
- अप्रैल 2021 में आठ पाकिस्तानियों को 150 करोड़ रुपए के ड्रग्स के साथ गुजरात में ही गिरफ़्तार किया गया था।
मुंद्रा बंदरगाह गौतम अडाणी के स्वामित्व वाले अडाणी समूह के नियंत्रण में है, यानी उसका परिचालन यह कंपनी करती है। अडाणी समूह ने कंटेनरों के ज़ब्त किए जाने की पुष्टि की है, लेकिन कहा है कि देश के किसी पोर्ट संचालक के पास कंटेनरों को खोलकर उनकी जाँच करने का अधिकार नहीं होता है।
क्या कहना है डीआरआई का?
बता दें कि डाइरेक्टरेट ऑफ़ रेवेन्यू इंटेलीजेन्स (डीआरआई) ने दो कंटेनर जब्त किए थे। इस मामले में अहमदाबाद, दिल्ली, चेन्नई, गांधीधाम और गुजरात के मांडवी में तलाशी ली गई थी।
डीआरआई की टीम ने इस मामले में आशी ट्रेडिंग कंपनी के संचालक एम. सुधाकर और उनकी पत्नी दुर्गा वैशाली को कुछ दिन पहले चेन्नई से गिरफ्तार किया था और उन्हें भुज लेकर आई थी।
सोमवार को दोनों को विशेष अदालत में पेश किया गया। विशेष जज सी. एम. पवार ने दोनों को दस दिन की हिरासत में भेज दिया।