गुजरात के कच्छ जिले की एक अदालत ने मंगलवार को वरिष्ठ पत्रकार प्रनजॉय गुहा ठाकुरता के ख़िलाफ़ गिरफ़्तारी वारंट जारी किया है। पीटीआई के मुताबिक़, ठाकुरता के ख़िलाफ़ यह वारंट अडानी समूह की ओर से 2017 में दायर किए गए मानहानि के एक मामले में जारी किया गया है।
अपने आदेश में न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रदीप सोनी ने कहा है कि ठाकुरता के ख़िलाफ़ भारतीय दंड संहिता की धारा 500 (मानहानि से संबंधित) के तहत आरोप तय किए गए हैं। अदालत ने दिल्ली के निज़ामुद्दीन पुलिस थाने को निर्देश दिया है कि वह ठाकुरता को उसके सामने पेश करे।
अडानी समूह ने ठाकुरता और न्यूज़ वेबसाइट 'द वायर' के ख़िलाफ़ 2017 में लिखे गए एक लेख को लेकर मानहानि का यह मुक़दमा दायर किया था। इस लेख में ठाकुरता ने दावा किया था कि केंद्र सरकार ने अडानी समूह को फ़ायदा पहुंचाने के लिए स्पेशल इकनॉमिक ज़ोन के नियमों में बदलाव किया था। इससे इस समूह को 500 करोड़ का फ़ायदा हुआ था।
हालांकि जुलाई, 2018 में गुजरात की एक अदालत ने आपराधिक मानहानि की याचिका को रद्द कर दिया था और वेबसाइट को समन जारी किया था। मई, 2019 में अडानी समूह ने 'द वायर' के ख़िलाफ़ दर्ज मुक़दमा वापस ले लिया था।
यह लेख पहले 14 जून, 2017 को इकनॉमिक एंड पॉलिटिकल वीकली में प्रकाशित हुआ था लेकिन अडानी समूह की ओर से नोटिस भेजे जाने के बाद इसे वेबसाइट से हटा लिया गया था। इस लेख को हटाए जाने को लेकर ख़ासा विवाद हुआ था और ठाकुरता को संपादक के पद से इस्तीफ़ा देना पड़ा था। 'द वायर' ने इस लेख को इकनॉमिक एंड पॉलिटिकल वीकली से अनुमति लेकर फिर से 19 जून, 2017 को प्रकाशित किया था।
ठाकुरता के वकील आनंद याग्निक ने न्यूजलांड्री से कहा कि ठाकुरता इस मामले में कोरोना महामारी से पहले लगातार अदालत के सामने पेश होते रहे। याग्निक ने कहा कि महामारी की वजह से सभी निचली अदालतें बंद थीं लेकिन कच्छ की अदालत के न्यायिक मजिस्ट्रेट ने ठाकुरता को समन भेजना जारी रखा। उन्होंने कहा कि इसे लेकर हमने सवाल भी उठाया था कि जब अदालत बंद हैं, ऐसी स्थिति में समन कैसे भेजा जा सकता है।
‘वारंट को चुनौती देंगे’
याग्निक ने कहा कि गैर जमानती वारंट जारी करना सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश के ख़िलाफ़ है जिसमें अदालत ने कहा है कि अगर कोई अभियुक्त किसी वजह से सुनवाई में शामिल नहीं होता है और वह वजह अदालत को स्वीकार्य नहीं है तो उसे पहले जमानती वारंट जारी करना चाहिए, लेकिन अगर फिर भी वह अदालत के सामने हाजिर नहीं होता है, तब अदालत ग़ैर जमानती वारंट जारी कर सकती है। उन्होंने कहा कि वह वारंट को चुनौती देंगे।
एडिटर्स गिल्ड ने की निंदा
एडिटर्स गिल्ड ऑफ़ इंडिया ने ठाकुरता को गिरफ़्तारी वारंट भेजे जाने की निंदा की है। गिल्ड ने कहा है कि यह कॉरपोरेट घरानों द्वारा पत्रकारों को डराने की कोशिश है। गिल्ड ने कहा है कि यह दिखाता है कि व्यावसायिक घराने किस तरह अपनी आलोचना को बर्दाश्त नहीं करते।
गिल्ड ने अडानी समूह से अपील की है कि वह ठाकुरता के ख़िलाफ़ दर्ज किए गए मुक़दमे को वापस ले ले। गिल्ड ने न्यायपालिका की ऊंची अदालत से भी अपील की है कि वह इस मामले का संज्ञान ले कि आपराधिक मानहानि के क़ानून का इस्तेमाल अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को रोकने के लिए किया जा रहा है।