चर्चित पत्रिका 'तहलका' के प्रधान संपादक तरुण तेजपाल को गोवा की सेशंस कोर्ट ने शुक्रवार को बरी कर दिया है। तरुण तेजपाल के ख़िलाफ़ उनकी एक महिला सहयोगी ने 2013 में गोवा के एक फ़ाइव स्टार रिजॉर्ट में बलात्कार का आरोप लगाया था।
महिला पत्रकार के द्वारा आरोप लगाए जाने के बाद तरूण तेजपाल को तहलका के संपादक पद से हटा दिया गया था। उन्हें नवंबर, 2013 में गिरफ़्तार कर लिया गया था हालांकि मई, 2014 में उन्हें जमानत मिल गई थी। गोवा पुलिस ने इस मामले में 2,684 पन्नों की चार्जशीट गोवा की फास्ट ट्रैक कोर्ट में दायर की थी। पुलिस ने कहा था कि इसमें तेजपाल के ख़िलाफ़ काफ़ी सबूत हैं।
2017 में ट्रायल कोर्ट ने तेजपाल पर बलात्कार और यौन उत्पीड़न के आरोप तय किये थे। तेजपाल ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। कोर्ट ने अपने आदेश में गोवा में ही जांच को जारी रखने के निर्देश दिए थे। 2017 में बॉम्बे हाई कोर्ट ने इस केस को रद्द करने की तेजपाल की मांग को खारिज कर दिया था।
‘झूठा फंसाया गया’
तेजपाल की बेटी कारा तेजपाल ने एक बयान जारी कर कहा था कि उसके पिता को इस मामले में झूठा फंसाया गया है। बेटी ने कहा था कि बीते साढ़े सात साल उसके परिवार के लिए बेहद दुखद रहे हैं और इन झूठे आरोपों के कारण उन्हें भयंकर दुख से गुजरना पड़ा।
सेशंस कोर्ट को इस मामले में बुधवार को फ़ैसला सुनाना था लेकिन ताउते चक्रवाती तूफ़ान के कारण गोवा में बिजली चली गई थी और उस दिन फ़ैसला नहीं सुनाया जा सका था।
दिसंबर 2018 में एडिटर्स गिल्ड ऑफ़ इंडिया ने तरुण तेजपाल और एम. जे. अकबर की सदस्यता निलंबित कर दी थी। अनेक प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं के संपादक रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री अकबर के साथ काम कर चुकी कई महिला पत्रकारों ने 'मीटू' अभियान के तहत अकबर पर यौन-उत्पीड़न और छेड़छाड़ के गंभीर आरोप लगाए थे।