गजा युद्धविराम: भारत यूएन प्रस्ताव के पक्ष में आया, बाइडेन की नेतन्याहू को चेतावनी

08:57 am Dec 13, 2023 | सत्य ब्यूरो

भारत ने मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा में एक प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया, जिसमें मौजूदा इजराइल-हमास संघर्ष में फौरन मानवीय युद्धविराम के साथ-साथ सभी बंधकों की बिना शर्त रिहाई की मांग की गई है।

इस प्रस्ताव को अल्जीरिया, बहरीन, इराक, कुवैत, ओमान, कतर, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और फिलिस्तीन सहित कई देशों का समर्थन था। अमेरिका और इज़राइल सहित दस देशों ने इसके खिलाफ मतदान किया, जबकि 23 देशों ने भाग नहीं लिया।

एएफपी के मुताबिक यूएन में फिलिस्तीनी दूत रियाद मंसूर ने कहा, "संयुक्त राष्ट्र जनरल एसेम्बली से भेजे गए इस शक्तिशाली संदेश के संदर्भ में यह एक ऐतिहासिक दिन है।" इस प्रस्ताव में हमास का जिक्र नहीं है। अमेरिका ने एक पैराग्राफ के साथ मसौदे में संशोधन का प्रस्ताव दिया। जिसमें कहा गया है- "7 अक्टूबर 2023 से इजराइल पर होने वाले हमास के जघन्य आतंकवादी हमलों को स्पष्ट रूप से खारिज करते हुए लोगों को बंधक बनाने की निंदा करता है।" 

बहरहाल, भारत ने इस संशोधन के पक्ष में मतदान किया। भारत ने अक्टूबर में इसी तरह के एक प्रस्ताव पर मतदान के दौरान गैरहाजिर रहा था। गैरहाजिर रहने के बावजूद, भारत ने गजा पट्टी में बेरोकटोक मानवीय पहुंच का आह्वान किया था। भारत ने खुद भी गजा में मानवीय सहायता भेजी है। भारत का शुरू से यह रुख रहा है कि गजा में युद्ध रुके और उसकी मदद की जाए।

संयुक्त राष्ट्र महासभा में मंगलवार को मतदान अमेरिका द्वारा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में इसी तरह के एक प्रस्ताव पर वीटो करने के कुछ दिनों बाद हुआ है। संयुक्त अरब अमीरात द्वारा पेश और 90 से अधिक सदस्य देशों द्वारा समर्थित यूएनएससी प्रस्ताव को 13 पक्ष में वोट मिले, जबकि यूनाइटेड किंगडम गैरहाजिर रहा।

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन

बाइडेन की इजराइल को चेतावनी

अमेरिकी राष्ट्रपति ने इजराइल से कहा है कि वो रुख बदले अन्यथा गजा युद्ध के लिए समर्थन खो देगा। बाइडेन ने इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को चेतावनी दी कि गजा पर "अंधाधुंध" बमबारी के कारण हमास के खिलाफ युद्ध के लिए ग्लोबल समर्थन खोने का जोखिम है। इजराइल हमास युद्ध 7 अक्टूबर को शुरू हुआ था। उसके बाद बाइडेन की यह टिप्पणी सख्त मानी जा रही है। बाइडेन ने दानदाताओं से कहा कि नेतन्याहू को फिलिस्तीनियों के लिए दो-राज्य समाधान पर अपना रुख "बदलने" की जरूरत है।