असम में आतंकवादियों की ओर से किए गए हमले में पांच लोगों की मौत हो गई है। यह वाक़या दिमा हसाओ जिले के दिव्युंगब्रा इलाक़े में गुरूवार रात को हुआ। हमला करने का आरोप दिमासा नेशनल लिबरेशन आर्मी (डीएनएलए) पर लगा है।
असम पुलिस ने कहा है कि आतंकवादियों ने ट्रक ड्राइवर्स और कुछ अन्य लोगों पर कई राउंड फ़ायरिंग की और इसके बाद सात ट्रकों में आग लगा दी। इन सभी ट्रकों में कोयला और कुछ अन्य सामान ले जाया जा रहा था। बताया गया है कि कुछ ट्रक ड्राइवर्स विद्रोहियों की चपेट में आने से बच गए और ट्रक लेकर भाग गए।
दिमा हसाओ जिले के एसपी जयंत सिंह ने कहा कि विद्रोहियों ने ऑटोमैटिक हथियारों से फ़ायरिंग की है। उन्होंने कहा कि 5 लोगों के शव मिले हैं और उनकी पहचान कराई जा रही है। वाक़ये के बाद पुलिस और असम राइफल्स के जवानों ने तलाशी अभियान चलाया और हमलावरों की तलाश की।
स्वतंत्र दिमासा राष्ट्र की मांग
डीएनएलए का गठन 2019 में हुआ था, इससे जुड़े आतंकवादियों की मांग है कि दिमासा जनजाति के लोगों के लिए एक अलग संप्रभु और स्वतंत्र राष्ट्र ‘दिमाराजी’ बनाया जाए। असम के दिमा हसाओ, कार्बी आंगलांग, कछार, नागांव और नागालैंड के कुछ हिस्सों में इस जनजाति के लोग रहते हैं।
दिमा हसाओ जिले में 1990 और 2000 के दौरान आतंकवाद चरम पर था। उस दौरान भी इस तरह के कई हमले हुए थे। 2008 में दीमा हलम दाओगाह नाम के संगठन ने एक ट्रक में आग लगा दी थी, इस घटना में 10 लोगों की मौत हो गई थी।
दिमा नेशनल सिक्योरिटी फ़ोर्स नाम के समूह ने सरकार के साथ युद्ध विराम का समझौता कर लिया था लेकिन डीएनएलए का कहना है कि वह स्वतंत्र दिमासा राष्ट्र की मांग को लेकर लड़ाई लड़ता रहेगा।
इस साल मई में डीएनएलए को बड़ा झटका तब लगा था जब इसके शीर्ष छह कमांडर्स को कार्बी आंगलांग जिले में मुठभेड़ के दौरान असम पुलिस और असम राइफल्स के जवानों ने मौत के घाट उतार दिया था।
बीते दिनों मिज़ोरम के साथ हुए सीमा विवाद को लेकर भी असम ख़ासा सुर्खियों में रहा। केंद्रीय गृह मंत्रालय के दख़ल के बाद दोनों राज्यों ने अपने पांव पीछे खींचे लेकिन विवाद भड़कने की आशंका बनी रहती है।