मिमिक्री विवाद मामले में अब उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने खुद को पीड़ित बताया है। उन्होंने कहा है कि मैं एक पीड़ित हूं। एक पीड़ित ही जानता है कि उसे क्या सहना पड़ता है। सभी का सामना करना है, सभी अपमान सहने हैं, फिर भी एक ही दिशा में बढ़ते रहना है, जो रास्ता भारत माता की सेवा की ओर जाता है।
उपराष्ट्रपति ने ये बातें अपने आधिकारिक आवास पर भारतीय सांख्यिकी सेवा के प्रोबेशनर्स अधिकारियों के नए मौजूदा बैच को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने इन अधिकारियों को सीख दी है कि उन्हें आलोचना सहना सीखना चाहिए। खुद की आलोचनाओं को लेकर उन्होंने कहा कि संवैधानिक पद पर रहने के बावजूद भी लोग उन्हें नहीं बख्शते हैं।
यहां तक कि मैं राज्यसभा का सभापति और उपराष्ट्रपति के संवैधानिक पद पर हूं इसके बावजूद भी मुझे लोग नहीं छोड़ते हैं। उन्होंने पूछा कि क्या मुझे रास्ता से भटक जाना चाहिए? क्या इससे मेरी मानसिकता बदलनी चाहिए?
उन्होंने कहा कि नहीं… हमें हमेशा धर्म के रास्ते पर आगे बढ़ना चाहिए। अपमान सहने के बावजूद किसी को सेवा के मार्ग से हटना नहीं चाहिए। भारत माता की सेवा करने के लिए आपको लोगों से आलोचना सहना भी सीखना होगा। हम पर सवाल उठाने वाले लोग पुराने आलोचक हैं।
उन्होंने कहा कि जिन लोगों का पाचन तंत्र हमारे विकास के लिए खराब है, उनसे कभी भी डरना नहीं चाहिए।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि हमें दूसरों के पॉइंट ऑफ व्यू पर भी ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि जब उनके व्यू आपको रास्ते से हटाने के लिए हों तो लोगों को अपनी रीढ़ की हड्डी की ताकत दिखानी चाहिए।
भारतीय सांख्यिकी सेवा के प्रोबेशनर्स अधिकारियों के नए मौजूदा बैच को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि यहां तक उस घटना के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फोन कर बताया कि वह भी पिछले 20 वर्ष से इस तरह के अपमान का सामना कर रहे हैं।