दिल्ली दंगा: सलमान खुर्शीद, प्रशांत भूषण, कविता कृष्णन पर भड़काऊ भाषण देने का आरोप

10:25 am Sep 24, 2020 | सत्य ब्यूरो - सत्य हिन्दी

राष्ट्रीय राजधानी में हुए दंगों की जांच कर रही दिल्ली पुलिस ने अब पूर्व विदेश मंत्री और कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद, सीपीआई-एमएल की पोलित ब्यूरो की सदस्य कविता कृष्णन, छात्र नेता कवलप्रीत कौर का नाम भी अपनी चार्जशीट में शामिल किया है। इसके अलावा वैज्ञानिक गौहर रज़ा और वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण का नाम भी पुलिस ने चार्जशीट में दर्ज किया है। इन पर भड़काऊ भाषण देने का आरोप लगाया गया है। 

इससे पहले सीपीएम के महासचिव सीताराम येचुरी, स्वराज इंडिया के संस्थापक योगेंद्र यादव, अर्थशास्त्री ज्योति घोष, डीयू के प्रोफ़ेसर अपूर्वानंद और फ़िल्म निर्माता राहुल रॉय का नाम भी चार्जशीट में शामिल किया जा चुका है।

इस साल फ़रवरी में उत्तर-पूर्वी दिल्ली के सीलमपुर और जाफ़राबाद समेत कुछ इलाक़ों में सांप्रदायिक दंगे भड़के थे, जिसमें 53 लोगों की मौत हो गई थी और सैकड़ों लोग घायल हो गए थे। 

सलमान खुर्शीद का नाम दंगों में अभियुक्त बनाए गए खालिद सैफी और कांग्रेस की पूर्व पार्षद इशरत जहां के बयानों के आधार पर चार्जशीट में शामिल किया गया है। सैफी के बयान के हवाले से चार्जशीट में लिखा है, प्रदर्शनों को जारी रखने की मंशा से उसने और इशरत जहां ने भड़काऊ भाषण देने के लिए खुर्शीद व अन्य लोगों को बुलाया। 

सैफ़ी के हवाले से चार्जशीट में कहा गया है, ‘जो लोग धरने पर बैठते थे, वे इन भड़काऊ भाषणों की वजह से हर दिन आते थे और इससे उन्हें अपने धर्म की ख़ातिर सरकार के ख़िलाफ़ आंदोलन को जारी रखने के लिए हिम्मत मिलती थी।’

यहां बात नागरिकता संशोधन क़ानून (सीएए) के ख़िलाफ़ दिल्ली में कई जगहों पर हुए धरना-प्रदर्शनों को लेकर हो रही है। शाहीन बाग़ का आंदोलन इसका केंद्र था जबकि सीलमपुर, जाफराबाद और चांद बाग और कई अन्य इलाक़ों में सीएए के ख़िलाफ़ धरने चल रहे थे और इनमें बड़ी संख्या में लोग शामिल होते थे।  

सीआरपीसी की धारा 164 के तहत दर्ज कराए गए खालिद सैफी के बयानों के हवाले से यह भी लिखा गया है कि पूर्व केंद्रीय मंत्री खुर्शीद ने भड़काऊ भाषण दिए। 

‘लोगों को जुटाना अपराध नहीं’

खुर्शीद ने इस बारे में ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ से कहा, ‘अगर कोई कहता है कि 12 लोग आए और उन्होंने भड़काऊ भाषण दिए, यह नहीं हो सकता कि सभी 12 लोगों ने एक जैसे भड़काऊ भाषण दिए होंगे और सभी का एक जैसा स्तर रहा होगा। लोगों को जुटाना इस देश में कोई अपराध नहीं है।’ 

चार्जशीट में योगेंद्र, अपूर्वानंद, घोष के नाम क्यों देखिए, वीडियो-

वैज्ञानिक गौहर रज़ा के लिए भी एक सुरक्षा प्राप्त गवाह के हवाले से चार्जशीट में कहा गया है कि उन्होंने दिल्ली के खुरेजी इलाक़े में अपने भाषण के जरिये मुसलमानों को भड़काने की कोशिश की। इसमें कहा गया है कि रज़ा ने सीएए, एनआरसी और भारत सरकार के ख़िलाफ़ आपत्तिजनक बातें कहीं और मुसलमानों को भड़काया। रजा ने ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ से कहा कि वे अपने दिए गए भाषणों और बयानों पर कायम हैं। 

फंसाया जा रहा: प्रशांत भूषण

सैफी और इशरत जहां के बयानों के आधार पर ही प्रशांत भूषण का नाम भी चार्जशीट में आया है। भूषण ने इसे लेकर अख़बार से कहा, ‘यह दिल्ली पुलिस की रणनीति का हिस्सा है कि कोई भी नामचीन शख़्स जिसने सीएए के ख़िलाफ़ हुए प्रदर्शनों का समर्थन किया हो, उसे फंसा दिया जाए।’ भूषण ने कहा कि उन्होंने सरकार के ख़िलाफ़ जमकर बोला है और इससे अगर कोई उग्र हो जाता है तो ऐसे में वे कुछ नहीं कर सकते। 

एक अन्य अभियुक्त शादाब अहमद के बयान के हवाले से चार्जशीट में कहा गया है कि कविता कृष्णन, कवलप्रीत कौर, उमर खालिद के पिता एसक्यूआर इलियास ने चांद बाग में चल रहे धरने में भड़काऊ भाषण दिए थे। इसमें कुल 38 लोगों के नाम शामिल हैं। 

कवलप्रीत कौर ने इन आरोपों को लेकर अख़बार से कहा कि ये पूरी तरह बेबुनियाद और झूठे हैं। उन्होंने कहा कि वह खालिद सैफी के साथ वॉट्सऐप या किसी और सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म के जरिये संपर्क में नहीं थीं।

5 एफ़आईआर एक जैसी कैसे

दिल्ली दंगों में पुलिस की जांच के दौरान एक हैरान करने वाला मामला भी सामने आया है जिसमें एक जैसी 5 एफ़आईआर दर्ज की गई हैं। इन पांच एफ़आईआर में आरोपी के नाम, पकड़ने वाले पुलिसकर्मी के नाम, जगह और समय को छोड़कर बाक़ी तथ्य बिल्कुल एक जैसे हैं। उदाहरण के लिए, पुलिस को देखते ही संदिग्ध तेज़ी से जाने लगा, उसे रोका गया, तलाशी लेने पर उसकी पैंट की दाहिनी जेब में एक लोडेड देसी कट्टा मिला। 

सीएए विरोधी लोग निशाने पर 

दिल्ली पुलिस ने हाल ही में दंगों को लेकर अदालत में 17,500 पेज की चार्जशीट पेश की थी। चार्जशीट में जिन 15 लोगों को नामजद किया गया है, उनमें प्रमुख नाम आम आदमी पार्टी से निलंबित पार्षद ताहिर हुसैन का है। चार्जशीट में वे लोग ज़्यादा नामजद हैं, जो सीएए विरोधी आंदोलन से जुड़े हुए थे और जिन्होंने दिल्ली में कई जगहों पर विरोध प्रदर्शन किए थे। पुलिस ने चार्जशीट में सबूत के तौर पर कॉल डेटा रिकॉर्ड और वॉट्सएप चैट को शामिल किया है। पुलिस ने इन अभियुक्तों पर अनलॉफ़ुल एक्टिविटीज़ प्रीवेन्शन एक्ट यानी यूएपीए लगाने के लिए सरकार से अनुमति ले ली है।