दिल्ली हाई कोर्ट ने मंगलवार को देवांगना कालिता, नताशा नरवाल और आसिफ़ इक़बाल तन्हा को जमानत दे दी है। इन तीनों के ख़िलाफ़ पिछले साल उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों को लेकर यूएपीए क़ानून के तहत मुक़दमा दर्ज किया गया था। देवांगना और नताशा पिंजड़ा तोड़ आंदोलन की कार्यकर्ता हैं जबकि आसिफ़ जामिया मिल्लिया यूनिवर्सिटी के छात्र हैं।
उत्तर-पूर्वी दिल्ली में पिछले साल 23 फरवरी को दंगे शुरू हुए थे और ये तीन दिन तक चले थे। इस दौरान यह इलाक़ा बुरी तरह अशांत रहा था और दंगाइयों ने वाहनों और दुकानों में आग लगा दी थी। जाफराबाद, वेलकम, सीलमपुर, भजनपुरा, गोकलपुरी और न्यू उस्मानपुर आदि इलाक़ों में फैल गए इस दंगे में 53 लोगों की मौत हुई थी और 581 लोग घायल हो गए थे।
जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और जस्टिस एजे भामभानी की बेंच ने इन्हें जमानत देते वक़्त कहा, “ऐसा लगता है कि सरकार के मन में असंतोष की आवाज़ को दबाने को लेकर चिंता है। संविधान की ओर से दिए गए प्रदर्शन के अधिकार और आतंकवादी गतिविधि के बीच का अंतर हल्का या धुंधला हो गया है। अगर इस तरह की मानसिकता बढ़ती है तो यह लोकतंत्र के लिए काला दिन होगा।”
देवांगना के ख़िलाफ़ चार मामलों में जांच चल रही है जबकि नताशा के ख़िलाफ़ तीन मामलों में। अदालत ने उन्हें सभी मामलों में जमानत दे दी है। ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ ने कहा कि उनके वकील अदित पुजारी के मुताबिक़ उन्हें जल्द ही जेल से रिहा कर दिया जाएगा।
अभियुक्तों को निर्देश
अदालत ने अभियुक्तों को निर्देश दिया कि वे स्थानीय एसएचओ को अपने मोबाइल नंबर ज़रूर दें और इस मामले में अभियोजन पक्ष के किसी भी गवाह से संपर्क करने की कोशिश न करें और सबूतों के साथ भी किसी तरह की छेड़छाड़ न करें।
अदालत ने अभियुक्तों से कहा कि जब वे जमानत पर जेल से बाहर हों, उस दौरान किसी भी तरह की ग़ैर-क़ानूनी गतिविधि में शामिल न हों। अदालत ने अभियुक्तों को आदेश दिया कि वे 50 हज़ार रुपये का पर्सनल बॉन्ड भी भरें।
क्या हैं आरोप?
दिल्ली पुलिस ने देवांगना कलिता पर आरोप लगाया था कि जब लोग जाफ़राबाद मेट्रो स्टेशन पर सीएए और एनआरसी के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रहे थे तो देवांगना वहां मौजूद थीं और उसने लोगों को उकसाया था।
पुलिस का कहना था, '5 जनवरी 2020 की एक वीडियो क्लिप है जिसमें देवांगना कलिता सीएए-एनआरसी के ख़िलाफ़ भाषण देती दिख रही हैं। इसके अलावा उनके ट्विटर के वीडियो लिंक से भी यह पता चलता है कि वह 23 फरवरी, 2020 को वहां मौजूद थीं।'
आसिफ़ ने 26 अक्टूबर, 2020 को एक जांच अदालत की ओर से उनकी जमानत याचिका को खारिज किए जाने के आदेश को चुनौती दी थी। हाई कोर्ट में दिल्ली पुलिस के वकील ने आसिफ़ को जमानत देने का यह कहकर विरोध किया कि दंगों की सुनियोजित साज़िश रची गई और आसिफ़ इसका हिस्सा थे।
जबकि आसिफ़ के वकीलों ने कहा कि दंगों के दौरान उनके मुवक्किल दिल्ली में मौजूद नहीं थे।
देवांगना और नताशा की जमानत को जनवरी महीने में एक जांच अदालत ने खारिज कर दिया था और कहा था कि उनके ख़िलाफ़ लगे आरोप पहली नज़र में सही दिखाई देते हैं।