बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता गुरु प्रकाश पासवान को 14 अप्रैल को अंबेडकर जयंती के मौके पर दिल्ली के लेडी श्री राम (एलएसआर) कॉलेज में अपनी बात रखने के लिए बुलाया गया था। लेकिन विरोध के बाद उन्हें कार्यक्रम में आने से मना कर दिया गया।
गुरु प्रकाश पासवान पूर्व केंद्रीय मंत्री संजय पासवान के बेटे हैं और 2020 में उन्हें राष्ट्रीय प्रवक्ता जैसी बड़ी जिम्मेदारी दी गई थी।
'अव्वल दर्जे की असहिष्णुता'
पासवान ने इस मामले में द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा कि यह अव्वल दर्जे की असहिष्णुता है। वह एलएसआर कॉलेज में अपनी राजनीतिक विचारधारा से हटकर अपनी बात रखना चाहते थे। उन्होंने कहा कि इस तरह किसी भी शख्स को बोलने से रोका जाना गलत है।
पासवान दलित समुदाय से हैं और डॉक्टर अंबेडकर की जयंती पर दलितों के मुद्दे पर बोलना चाहते थे।
पासवान ने कहा कि डॉ. आंबेडकर ने जीवन भर भेदभाव के खिलाफ लड़ाई लड़ी और अगर कोई शिक्षण संस्थान भेदभाव करता है तो इसके खिलाफ बोला जाना चाहिए।
एसएफआई ने किया विरोध
पासवान को एलएसआर कॉलेज की एससी-एसटी सेल ने जूम के जरिये कार्यक्रम में बोलने का निमंत्रण दिया था। लेकिन मंगलवार सुबह उन्हें बताया गया कि उन्हें दिया गया निमंत्रण रद्द कर दिया गया है। क्योंकि छात्र संगठनों ने उनका विरोध किया है। पासवान को बुलाने का विरोध करने वाले छात्र संगठन में एसएफआई शामिल है जो सीपीएम का छात्र संगठन है।
34 साल के गुरु प्रकाश पासवान बिहार से आते हैं और बीते कुछ वक्त में राष्ट्रीय टीवी चैनलों पर बीजेपी का पक्ष रखते हुए प्रमुखता से दिखाई दिए हैं।
राष्ट्रीय प्रवक्ता होने के साथ ही वह पटना यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं और कानून विषय पढ़ाते हैं। उन्होंने कुछ किताबें भी लिखी हैं।
गुरु प्रकाश पासवान आरएसएस के छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से होते हुए बीजेपी में आए हैं।