ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पर बुधवार को किसानों के साथ झड़प के लिए उत्तर प्रदेश पुलिस ने भारतीय जनता पार्टी के अज्ञात कार्यकर्ताओं के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज की है। भारतीय किसान यूनियन के सदस्यों ने इसके लिए शिकायत दी थी। उस घटना के एक दिन बाद ही यानी गुरुवार को दर्ज की गई एफ़आईआर में दंगा करने, जानबूझ कर चोट पहुँचाने, आपराधिक धमकी देने आदि के आरोप लगाए गए हैं।
बीजेपी समर्थकों और किसानों के बीच बुधवार को झड़प के बाद किसान नेता राकेश सिंह टिकैत ने कहा था कि मंच पर कब्जा करने की कोशिश की गई और यह झड़प पुलिस फ़ोर्स की मौजूदगी में हुई। उन्होंने आरोप लगाया था कि बीजेपी समर्थकों की कोशिश यह दिखाने की थी कि उन्होंने संयुक्त किसान मोर्चा के मंच पर कब्जा कर लिया है।
भारतीय किसान यूनियन की ओर से दी गई शिकायत में आरोप लगाया गया है कि बुधवार सुबह क़रीब साढ़े दस बजे डंडे और दूसरे हथियारों से लैस बड़ी संख्या में बीजेपी कार्यकर्ता और समर्थक किसानों के प्रदर्शन की जगह पर आए। 'इंडिया टुडे' की रिपोर्ट के अनुसार शिकायत में आरोप लगाया गया है कि बीजेपी कार्यकर्ता/समर्थक धरना स्थल पर मंच के पास पहुँचे, वहाँ शोर-शराबा करने लगे और प्रदर्शनकारी किसानों को गालियाँ दीं। शिकायत में कहा गया है, 'पुलिस के सामने उन्होंने शांतिपूर्वक विरोध कर रहे किसानों की पिटाई शुरू कर दी।'
किसान यूनियन से पहले बुधवार को झड़प के दिन ही बीजेपी नेता की शिकायत पर भारतीय किसान यूनियन के क़रीब 200 अज्ञात सदस्यों के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज की गई थी। यह शिकायत बीजेपी के नव नियुक्त महासचिव अमित वाल्मीकि ने कौशांबी पुलिस स्टेशन में दी थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि उनके लिए आयोजित स्वागत जूलुस में भारतीय किसान यूनियन के कार्यकर्ताओं ने उनके वाहनों में तोड़फोड़ की और जातिगत आधार पर बेइज्जती की।
इस पूरे मामले में किसानों ने आरोप लगाया कि यह भारतीय जनता पार्टी की साज़िश है कि किसी तरह किसानों के प्रदर्शन को ख़त्म किया जाए।
बता दें कि किसान संघ के नेताओं ने बीजेपी के ख़िलाफ़ मोर्चा खोल रखा है। टिकैत ने भी कहा कि गाँवों में बीजेपी नेताओं को घुसने नहीं दिया जाएगा और प्रदर्शन स्थल पर आने वाले बीजेपी नेताओं की गिरफ़्तारी की जानी चाहिए।
किसानों की मांग है कि केंद्र सरकार तीन नए कृषि क़ानूनों को रद्द करे और एमएसपी को लेकर गारंटी क़ानून बनाए। किसानों ने 26 नवंबर से दिल्ली के बॉर्डर्स पर अपना आंदोलन शुरू किया था। इसके बाद किसानों और सरकार के बीच कई दौर की बातचीत हुई लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला।
26 जनवरी को किसानों के ट्रैक्टर मार्च के दौरान लाल किले पर हुई हिंसा के बाद से सरकार और किसानों के बीच बातचीत बंद है। ग़ाज़ीपुर के अलावा सिंघु और टिकरी बॉर्डर पर भी किसानों का आंदोलन जारी है।
कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ दिल्ली के बॉर्डर्स पर आंदोलन कर रहे किसानों ने 26 जून को आंदोलन के सात महीने पूरे होने के मौक़े पर देश भर में राज्यपालों के आवास पर पहुंचकर उन्हें ज्ञापन सौंपा था। कोलकाता, चंडीगढ़, लखनऊ, बेंगलुरू सहित कई जगहों पर किसान सड़क पर उतरे थे। हरियाणा और पंजाब के कई शहरों में भी किसानों ने प्रदर्शन किया था।