दिल्ली के पूर्व उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को ईडी ने गुरुवार को दिल्ली शराब नीति मामले में गिरफ्तार कर लिया। इसी मामले में सीबीआई ने क़रीब दो हफ्ते पहले गिरफ्तार किया था और वह फिलहाल तिहाड़ जेल में हैं। इस मामले में जमानत याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई होनी है, लेकिन इससे पहले ईडी ने उन्हें गिरफ़्तार कर लिया। इसका मतलब है कि सीबीआई द्वारा गिरफ़्तारी के मामले में यदि उन्हें जमानत मिल भी जाती है तो भी वह जेल से बाहर नहीं आ पाएँगे।
दिल्ली के मुख्यमंत्री और आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर कहा है कि 'मनीष को पहले सीबीआई ने गिरफ़्तार किया। सीबीआई को कोई सबूत नहीं मिला, रेड में कोई पैसा नहीं मिला। कल बेल पर सुनवाई है। कल मनीष छूट जाते। तो आज ईडी ने गिरफ़्तार कर लिया। इनका एक ही मक़सद है - मनीष को हर हालत में अंदर रखना। रोज़ नये फ़र्ज़ी मामले बनाकर। जनता देख रही है। जनता जवाब देगी।'
सिसोदिया को 26 फ़रवरी को सीबीआई ने दिल्ली शराब नीति के मामले में गिरफ्तार किया था। सिसोदिया को छह मार्च को अदालत ने 20 मार्च तक की न्यायिक हिरासत में भेज दिया था।
नई शराब नीति लाने के मामले में सिसोदिया और अन्य पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे। उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने पिछले साल सीबीआई जांच के आदेश दिए थे। दिल्ली सरकार ने इसके बाद नई शराब नीति को वापस लिया। आप ने कहा था कि उपराज्यपाल वीके सक्सेना के इस आदेश से करोड़ों रुपये के राजस्व के नुकसान का आरोप लगाया। यानी नई शराब नीति से दिल्ली सरकार के खजाने को फायदा हो रहा था लेकिन एलजी की जिद की वजह से पुरानी शराब नीति फिर से लागू करना पड़ी।
इसी शराब नीति के मामले में ईडी ने भी पहले ही कार्रवाई शुरू कर दी है। ईडी ने गिरफ्तार करने से पहले सिसोदिया से जेल में ही दो दिन तक पूछताछ की।
बता दें कि दिल्ली आबकारी नीति को लेकर केंद्रीय एजेंसी की कार्रवाई को आप सरकार राजनीतिक फायदे के लिए कार्रवाई बताती रही है। जब इस मामले में चार्जशीट दायर की गई थी तब मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने चार्जशीट को "काल्पनिक कथा" क़रार दिया था। केजरीवाल ने कहा था कि केंद्र द्वारा प्रवर्तन निदेशालय का इस्तेमाल उनकी सरकार को अस्थिर करने के लिए किया जा रहा है। उन्होंने आगे कहा था, 'ईडी ने इस सरकार के कार्यकाल में 5,000 चार्जशीट दायर की हैं। इन मामलों में कितनी सजा हुई है? ... मामले फर्जी हैं, झूठे आरोप लगाए गए हैं।'
इस मामले में आप को विपक्षी दलों का साथ मिला है। जब से सीबीआई ने सिसोदिया को गिरफ़्तार किया है तब से अधिकतर प्रमुख विपक्षी दल अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी का समर्थन करते दिखे हैं। इन दलों ने सरकार पर राजनीतिक बदले की कार्रवाई करने का भी आरोप लगाया। ऐसा करने वालों में तृणमूल कांग्रेस से लेकर उद्धव ठाकरे खेमे की शिवसेना, नीतीश का जेडीयू, तेलंगाना की सत्तारूढ़ भारत राष्ट्र समिति, तेजस्वी यादव का राष्ट्रीय जनता दल, अखिलेश की सपा और कांग्रेस की सहयोगी झारखंड मुक्ति मोर्चा भी शामिल हैं। इन सबने सिसोदिया की गिरफ्तारी की निंदा की है।
जेल से सिसोदिया का खुला ख़त
मनीष सिसोदिया ने गुरुवार को जेल में रहते हुए 'शिक्षा की राजनीति' बनाम 'जेल की राजनीति' पर एक खुला पत्र लिखा है।
उन्होंने लिखा, 'बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने की तुलना में राजनीतिक विरोधियों को जेल में डालना बहुत आसान है। बीजेपी की शिक्षा की राजनीति के साथ असली समस्या यह है कि वह राष्ट्र का निर्माण करती है, नेताओं का नहीं।' उन्होंने लिखा, 'शिक्षा की राजनीति आसान काम नहीं है और निश्चित रूप से राजनीतिक सफलता का नुस्खा नहीं है। आज भाजपा के शासन में भले ही जेल की राजनीति जीत रही हो, लेकिन भविष्य शिक्षा की राजनीति का है।'