क्या इस बार भी बीजेपी दीवाली के मौके पर पटाखों पर लगी रोक को हिन्दुओं के भावनात्मक मुद्दे से जोड़ कर उसका राजनीतिक फ़ायदा उठाने की कोशिश करेगी?
यह सवाल इसलिए उठ रहा है कि दिल्ली सरकार ने इस बार भी दीवाली के मौके पर पटाखों की खरीद-बिक्री, उत्पादन और भंडारण पर पूरी तरह पाबंदी लगा दी है। पटाखे चलाने पर भी रोक लगाई गई है।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने एक ट्वीट कर इसकी जानकारी दी है और कहा है कि बढ़ते हुए प्रदूषण की वजह से यह फ़ैसला किया गया है।
क्या कहा है केजरीवाल ने?
उन्होंने एक दूसरे ट्वीट में कहा कि पिछले साल पटाखों के भंडारण पर प्रतिबंध देर से लगाया गया था, इस कारण व्यापारियों को नुक़सान हुआ था।
उन्होंने सभी व्यापारियों से अपील की कि वे पटाखों का भंडारण न करें।
प्रतिबंध क्यों?
बता दें कि दिल्ली में दीवाली के समय पटाखों पर प्रतिबंध पिछले तीन साल से लग रहा है। साल 2018 में एक अध्ययन में पता चला था कि दीवाली के ठीक बाद राजधानी दिल्ली में वायु प्रदूषण का स्तर यकायक बहुत बढ़ जाता है।
उत्सव में छोड़े गए पटाखों का असर लंबे समय तक रहता है और राष्ट्रीय राजधानी देश के सबसे अधिक प्रदूषित शहरों में एक हो जाता है।
पिछले साल यानी 2020 में दीवाली के बाद दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक यानी एअर क्वालिटी इनडेक्स 414 पर पहुँच गया, जो 'सीवियर' यानी बहुत ज़्यादा है। यह 2016 के बाद से सबसे ज़्यादा है।
हॉर्वर्ड विश्वविद्यालय के एक शोध में पाया गया है कि वायु प्रदूषण बढ़ने से लोगों के कोरोना संक्रमण की संभावना बढ़ जाती है और संक्रमण ज़्यादा ख़तरनाक भी हो जाता है।
पर्यावरण मंत्रालय की बैठक
ऐसे समय जब देश कोरोना की दूसरी लहर से बाहर नहीं निकला है और तीसरी लहर की संभावना से इनकार नहीं किया जा रहा है, यह शोध अहम है। इससे यह साफ होता है कि वायु प्रदूषण किसी सूरत में नहीं बढ़ने दिया जाना चाहिए।
'इंडियन एक्सप्रेस' के अनुसार, मंगलवार को हुई एक बैठक में दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने वायु प्रदूषण रोकने के लिए दस बिन्दु का एक एक्शन प्लान बनाने को कहा है।