कोयले की कमी: मेट्रो, अस्पतालों में हो सकता है बिजली संकट

01:56 pm Apr 29, 2022 | सत्य ब्यूरो

दिल्ली सरकार ने चेताया है कि कोयले की कमी के कारण राजधानी में बिजली संकट पैदा हो सकता है। इस वजह से मेट्रो ट्रेन, अस्पतालों में बिजली की आपूर्ति बाधित हो सकती है। दिल्ली के ऊर्जा मंत्री सत्येंद्र जैन ने इस संबंध में एक आपात बैठक की है और केंद्र सरकार को पत्र भी लिखा है।

जैन ने केंद्र सरकार से कहा है कि वह दिल्ली के सभी पावर प्लांट्स को कोयले की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करे जिससे कि राजधानी में बिजली का संकट ना पैदा हो।

जम्मू-कश्मीर से लेकर बिहार, झारखंड, राजस्थान और आंध्र प्रदेश तक कई राज्यों में 2 से 8 घंटे के पावर कट लग रहे हैं और लोगों ने सोशल मीडिया पर इसे लेकर काफी विरोध भी जताया है। 

जैन ने कहा है कि राजधानी को जिन पावर प्लांट से बिजली मिलती है उनमें 1 दिन से भी कम का कोयला बचा है जबकि उनके पास कम से कम 21 दिन का कोयला होना चाहिए। उन्होंने कहा है कि इस वजह से ब्लैक आउट हो सकता है और मेट्रो और अस्पतालों में बिजली की आपूर्ति बाधित हो सकती है। 

उन्होंने कहा कि सरकार हालांकि पूरे हालात पर नजर रख रही है और कोशिश की जा रही है कि लोगों को बिजली का संकट न झेलना पड़े।

अक्टूबर, 2021 में भी ऐसे ही हालात बने थे जब तमाम पावर प्लांट्स में कोयले की कमी होने की वजह से केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को अहम बैठक करनी पड़ी थी।

एनटीपीसी, दादरी-II और झज्जर (अरावली) पावर प्लांट दिल्ली की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करते हैं। इन पावर प्लांट में कोयले का काफी कम स्टॉक बचा है।

इसके अलावा ऊंचाहार, कहलगांव, फरक्का पावर प्लांट से भी दिल्ली को बिजली मिलती है। इनमें से दादरी-II पावर प्लांट से दिल्ली को सबसे ज्यादा 728 मेगावाट जबकि ऊंचाहार पावर प्लांट से 100 मेगावाट बिजली मिलती है।

नेशनल पावर पोर्टल की रिपोर्ट के मुताबिक ये सभी पावर प्लांट कोयले की कमी का सामना कर रहे हैं।

भयंकर गर्मी के वक्त में अगर बिजली संकट पैदा हुआ तो निश्चित रूप से राजधानी और उसके आसपास के लोगों की मुश्किलों में इजाफा होगा। ऑल इंडिया पावर इंजीनियर फेडरेशन ने कहा है कि देश भर के थर्मल प्लांट कोयले की कमी से जूझ रहे हैं और यह देश में बिजली संकट के आने का संकेत है।

ऊर्जा मंत्रालय के मुताबिक, देश में बिजली की खपत बढ़ी है और अगले महीने इसमें 8 फीसद की बढ़ोतरी हो सकती है। निश्चित रूप से अगर कोई बड़े कदम नहीं उठाए गए तो हालात खराब हो सकते हैं।