पहले बीजेपी पीएम मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ती रही और खुद पीएम मोदी लोकलुभावन घोषणाओं को 'रेवड़ी कल्चर' बताते रहे। वह खुद चुनाव में मुफ़्त 'रेवड़ियाँ' बाँटने को अर्थव्यवस्था को बर्बाद करने वाला और जनता को मूर्ख बनाने वाला क़रार देते रहे थे। अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी आप को जिन घोषणाओं के लिए रेवड़ियाँ बाँटने का आरोप बीजेपी लगाती रही थी, वह खुद ही अब दिल्ली चुनाव में आप से आगे निकलती हुई दिख रही है।
बीजेपी ने मंगलवार को दिल्ली चुनाव के लिए संकल्प पत्र-2 जारी किया है। इसमें इसने छात्रों, युवाओं, दलितों और ऑटो-टैक्सी चालकों के लिए कई घोषणाएँ की हैं। सरकारी संस्थानों में ज़रूरतमंद छात्रों को केजी से पीजी तक मुफ्त शिक्षा देने, युवाओं को प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए 15,000 की वित्तीय सहायता देने जैसी घोषणाएँ की गई हैं। कुछ दिनों पहले ही जारी संकल्प पत्र-1 में महिलाओं के लिए 2500 रुपये मासिक सहायता, 500 रुपये में एलपीजी सिलेंडर और वरिष्ठ नागरिकों के लिए 2500 रुपये पेंशन का वादा किया गया था।
दिल्ली के विधानसभा चुनावों में बीजेपी और आप ने कैसी-कैसी घोषणाएँ की हैं, यह जानने से पहले यह जान लें कि रेवड़ी को लेकर क्या विवाद रहा है। पीएम मोदी पहले ऐसी घोषणाओं को मुफ़्त की रेवड़ियाँ बाँटना कहकर विपक्षी दल, खासकर, अरविंद केजरीवाल और उनकी आम आदमी पार्टी पर निशाना साधते रहे हैं।
कर्नाटक में चुनाव के दौरान जब कांग्रेस ने 200 यूनिट मुफ़्त बिजली, महिला मुखिया को 2000 रुपये देने जैसी घोषणाएँ की थीं तब पीएम मोदी ने कहा था, 'हमारे देश में कुछ राजनीतिक दलों ने राजनीति को सिर्फ सत्ता और भ्रष्टाचार का साधन बना दिया है और इसे हासिल करने के लिए वह साम, दाम, दंड, भेद हर तरह का तरीका अपना रहे हैं।'
तब प्रधानमंत्री मोदी ने आगे कहा था, "इन राजनीतिक दलों को देश के भविष्य की और आने वाली पीढ़ियों की कोई चिंता नहीं है। मुफ्त की रेवड़ी की राजनीति की वजह से कई राज्य बेतहाशा खर्च ‘अपनी दलगत राजनीति की भलाई के लिए' कर रहे हैं। राज्य कर्ज में डूबते चले जा रहे हैं और आने वाले पीढ़ियों का भी वह खाए जा रहे हैं। देश ऐसे नहीं चलता, सरकार ऐसे नहीं चलती है। सरकार को पीढ़ियाँ बनाने के लिए भी काम करना होता है। सरकार को वर्तमान के साथ-साथ भविष्य का भी सोचना पड़ता है।" बाद में कई राज्यों में चुनावों में भी पीएम मोदी ने रेवड़ियों को लेकर ऐसे ही बयान दिए थे।
हालाँकि तब सवाल पूछे जाने लगे थे कि क्या चुनाव पूर्व '15 लाख रुपये हर भारतीय के खाते में डाले जाएँगे' का यह वादा 'मुफ्त की रेवड़ियाँ' बांटना कहा जाएगा या नहीं? ऐन चुनाव से पहले किसानों को 6000 रुपये देने की घोषणा को क्या कहा जाएगा?
चुनाव तक मुफ्त राशन योजना को बढ़ाने को क्या कहा जाएगा? और चुनाव के घोषणा पत्र में 3 एलपीजी सिलेंडर मुफ़्त देने, महिलाओं की मुफ़्त बस यात्रा, छात्राओं को स्कूटी, लैपटॉप देने, मछुआरों को 4000 रुपये देने जैसी घोषणाओं को क्या कहा जाएगा? क्या इन्हें फ्रीबीज या मुफ्त की रेवड़ियाँ कहा जा सकता है?
वैसे, इन चुनावी घोषणाओं के बीच 'रेवड़ी' को लेकर जो सवाल उठ रहे हैं, उस पर अदालत की भी पहले टिप्पणी आ चुकी है। जब अगस्त 2022 में यह मामला आया था तब तत्कालीन सीजेआई एनवी रमना ने कहा था कि अदालत राजनीतिक दलों को वादे करने से नहीं रोक सकती क्योंकि लोगों की भलाई करना सरकार की जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा था कि मुद्दा यह है कि जनता का पैसा सही खर्च करने का सही तरीका क्या है और यह मामला बहुत जटिल है। सुनवाई के दौरान तत्कालीन सीजेआई रमना ने कहा था, 'क्या हम मुफ्त शिक्षा के वादे को फ्रीबीज कह सकते हैं, क्या पीने के मुफ्त पानी, बिजली की न्यूनतम यूनिटों के वादे को फ्रीबीज कहा जा सकता है।' उन्होंने कहा था, 'कुछ लोग कहते हैं कि पैसा बर्बाद हो रहा है कुछ कहते हैं कि यह भलाई के लिए है और अब यह मामला जटिल होता जा रहा है।' बाद में उन्होंने यह भी कहा था कि एक राजनेता द्वारा 'फ्रीबी' के रूप में किए गए वादे और 'कल्याण योजना' के बीच अंतर करने की ज़रूरत है।
बहरहाल, पीएम मोदी और बीजेपी भले ही मुफ़्त में रेवड़ियाँ बाँटने के ख़िलाफ़ बोलते रहे हों, लेकिन खुद इसने दिल्ली चुनाव में अब तक कई ऐसी घोषणाएँ की हैं।
दिल्ली चुनाव में बीजेपी की घोषणाएँ
- सरकारी शिक्षण संस्थानों में दिल्ली के ज़रूरतमंद छात्रों को केजी से पीजी तक मुफ्त शिक्षा।
- युवाओं को प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए 15,000 रुपये की सहायता और 2 बार के यात्रा व आवेदन शुल्क की प्रतिपूर्ति
- महिलाओं के लिए 2500 रुपये मासिक सहायता, ग़रीब तबके की महिलाओं को 500 रुपये में एलपीजी सिलेंडर।
- मातृ सुरक्षा वंदना में 6 पोषण किट, हर गर्भवती महिला को 21,000 रुपये दिए जाएंगे।
- 60 से 70 वर्ष के बुजुर्गों की सीनियर सिटीजन पेंशन बढ़ाकर 2,500 कर दी जाएगी।
- 70 वर्ष से अधिक के वरिष्ठ नागरिकों, विधवाओं, बेसहारा महिलाओं की पेंशन 3,000 होगी।
- तकनीकी और व्यावसायिक पाठ्यक्रमों के लिए अनुसूचित जाति के विद्यार्थियों को 1,000 रुपये प्रति माह का स्टाइपेंड।
- ऑटो-टैक्सी चालकों के लिए वेलफेयर बोर्ड, 10 लाख रुपये का जीवन बीमा, 5 लाख रुपये का दुर्घटना बीमा एवं वाहन बीमा और उनके बच्चों के लिए छात्रवृत्ति।
आप के क्या वादे हैं?
दिल्ली चुनाव के लिए आप ने अब तक महिला सम्मान योजना सहित कई वादे किए हैं।
- 18 साल और ज़्यादा उम्र की महिला को हर महीने 2100 रुपये (महिला सम्मान योजना)।
- 200 यूनिट तक फ्री बिजली जारी रखना
- महिलाओं को फ्री बस सेवा
- दिल्ली में फ्री शिक्षा जारी रखना
- फ्री इलाज जारी रखना
- 24 घंटे पानी के साथ-साथ अब तक मिलने वाला 20 हजार लीटर फ्री पानी जारी रखना
- बुजुर्गों को फ्री तीर्थ यात्रा
- 60 साल से ज़्यादा उम्र के लोगों का प्राइवेट और सरकारी अस्पताल में फ्री इलाज
वैसे, अरविंद केजरीवाल बीजेपी की घोषणाओं पर हमला कर रहे हैं और उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर उनके 'रेवड़ी' वाले बयान पर कटाक्ष किया है। उन्होंने कहा है कि पीएम को यह स्वीकार करना चाहिए कि 'मुफ्त की रेवड़ियाँ' यानी फ्रीबीज देश के लिए हानिकारक नहीं हैं, बल्कि 'भगवान का प्रसाद' हैं।
केजरीवाल ने कहा, 'क्या जेपी नड्डा ने आज (शुक्रवार को) रेवड़ियों का एलान करने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इसके बारे में पूछ लिया? क्योंकि नरेंद्र मोदी कई बार कह चुके हैं, अरविंद केजरीवाल जनता को फ्री रेवड़ियां बाँटकर ग़लत कर रहा है। अगर मोदी जी ने रेवड़ियाँ बांटने को कहा है तो सार्वजनिक रूप से आकर कहें, केजरीवाल सही कर रहा है और मैंने ग़लत बोला।'
वैसे, बीजेपी द्वारा महाराष्ट्र में महिलाओं के लिए घोषित योजना लाडकी बहिन योजना पर सवाल उठ रहे हैं। महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम अजित पवार ने लाडकी बहिन योजना को लेकर चेतावनी जारी की है और कहा है कि अयोग्य लाभार्थी खुद से इस योजना का फायदा लेना छोड़ दें। एक तरफ़ महाराष्ट्र में बीजेपी के नेतृत्व वाली महायुति सरकार का यह रवैया है कि 1500 रुपये देने में बहाने बनाये जा रहे हैं, दूसरी तरफ़ उसी बीजेपी ने दिल्ली में महिलाओं को 2500 रुपये देने का वादा किया है। अभी तक उसने इस योजना की शर्तें दिल्ली में नहीं बताई हैं, जबकि महाराष्ट्र में पहले पैसा दे दिया और अब दोबारा जीत कर आये हैं तो महिलाओं को शर्तें बताई जा रही हैं।
(इस रिपोर्ट का संपादन अमित कुमार सिंह ने किया है।)