दिल्ली के एलजी वीके सक्सेना के एक और आदेश को लेकर अरविंद केजरीवाल ने तीखा हमला किया है। उन्होंने गुरुवार को कहा कि उपराज्यपाल के एक नए आदेश से दिल्ली सरकार की सेवाएँ और कार्यप्रणाली पूरी तरह से बाधित हो जाएगी। एलजी के आदेश में उनकी मंजूरी के बिना सैकड़ों सलाहकारों और सहयोगियों की नियुक्ति पर रोक लगा दी गई है।
केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट का हवाला देते हुए ट्वीट किया, 'मुझे नहीं पता कि माननीय एलजी को यह सब करके क्या हासिल होगा? मुझे उम्मीद है कि माननीय सुप्रीम कोर्ट इसे तुरंत रद्द कर देगा।'
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की यह प्रतिक्रिया गुरुवार को तब आई है जब सेवा विभाग ने बुधवार को एक आदेश निकाला। एएनआई द्वारा जारी एलजी के उस पत्र पर ही केजरीवाल ने प्रतिक्रिया दी है। आदेश में कहा गया है कि दिल्ली सरकार के तहत सभी विभागों, बोर्डों, आयोगों और स्वायत्त निकायों को पत्र लिखकर निर्देश दिया है कि वे उपराज्यपाल की मंजूरी के बिना व्यक्तियों को फेलो और सलाहकार के रूप में शामिल करना बंद करें। सेवा विभाग उपराज्यपाल को रिपोर्ट करता है।
यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार के बीच इस बात को लेकर लड़ाई चल रही है कि शहर की नौकरशाही को कौन नियंत्रित करता है। मई में सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश ने दिल्ली सरकार को नियंत्रण दे दिया था, लेकिन कुछ दिनों बाद केंद्र ने एक अध्यादेश जारी कर इसे वापस ले लिया।
बहरहाल, सेवा विभाग का यह आदेश उपराज्यपाल वीके सक्सेना द्वारा भर्ती में कथित अनियमितताओं का हवाला देते हुए केजरीवाल सरकार द्वारा विभिन्न विभागों में नियुक्त लगभग 400 'विशेषज्ञों' की सेवाओं को समाप्त करने के कुछ दिनों बाद आया है। इस फ़ैसले को आम आदमी पार्टी सरकार ने असंवैधानिक करार दिया। केजरीवाल सरकार इसे अदालत में चुनौती देने की योजना बना रही है।
एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार पत्र में यह भी कहा गया है कि दिल्ली विधानसभा उपराज्यपाल की मंजूरी के बिना ऐसे जनशक्ति को नियुक्त करने या काम लेने में सक्षम नहीं है। सेवा विभाग ने वित्त विभाग से उपराज्यपाल की मंजूरी के बिना लगे लोगों के लिए वेतन जारी नहीं करने के लिए कहा। उपराज्यपाल कार्यालय ने पहले कहा था कि नियुक्तियों में संविधान द्वारा निर्धारित अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़े वर्गों के लिए अनिवार्य आरक्षण नीति का भी पालन नहीं किया गया है।