कोरोना संक्रमण के मामले 10 फ़रवरी तक जहाँ एक दिन में क़रीब 10 हज़ार आ रहे थे वहीं अब ये बढ़कर 72 हज़ार से ज़्यादा हो गए हैं। कई राज्यों में कोरोना की दूसरी लहर शुरू हो चुकी है। दूसरे राज्यों में दूसरी लहर जैसी स्थिति नहीं है, लेकिन संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं। स्थिति यह है कि सिर्फ़ आठ राज्यों में ही पूरे देश में सक्रिए कोरोना संक्रमण के मामलों के क़रीब 85 फ़ीसदी मामले हैं। अब यदि बाक़ी राज्यों में स्थिति ख़राब हुई तो देश भर में संक्रमण के मामले काफ़ी ज़्यादा बढ़ सकते हैं और ऐसी आशंका है कि यह आँकड़ा एक लाख के भी पार चला जाए।
इससे पहले जब कोरोना की पहली लहर आई थी तब सितंबर के मध्य में एक दिन में संक्रमण के मामले 97 हज़ार से ज़्यादा आए थे। इसके बाद संक्रमण के मामले कम होते गए। फ़रवरी के दूसरे हफ़्ते की शुरुआत तक स्थिति कम होती हुई लग रही थी। लेकिन इसके बाद जो संक्रमण के मामले बढ़ने लगे तो वे अब तक बढ़ते ही जा रहे हैं।
कोरोना संक्रमण के मामलों में बीते 24 घंटों में जबरदस्त उछाल आया और संक्रमण का यह आँकड़ा 72,330 तक जा पहुँचा है। यह बीते साल 11 अक्टूबर के बाद से अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है। 11 अक्टूबर को कोरोना के 74,383 मामले रिकॉर्ड किए गए थे। भारत में अब तक कुल 1,22,21,665 लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुके हैं जबकि 1,62,927 लोगों की मौत हो चुकी है। बीते 24 घंटों में मौतों का आंकड़ा भी बढ़ा है और 459 लोगों की मौत हुई है।
ताज़ा उछाल पहले से कहीं ज़्यादा तेज़ गति से आया है। इस साल 10 फ़रवरी को एक दिन में कोरोना संक्रमण के मामले क़रीब 12 हज़ार आए थे जो 31 मार्च तक बढ़कर 72 हज़ार हो गए। यानी 49 दिनों में हर रोज़ के मामलों में 60 हज़ार संक्रमण के मामले बढ़े। पिछली बार यानी पहली लहर में पिछले साल कोरोना संक्रमण के मामले 12 हज़ार से बढ़कर 72 हज़ार को पार करने में 74 दिन लगे थे। 13 जून को क़रीब 12 हज़ार संक्रमण के मामले आए थे और 26 अगस्त को क़रीब 75 हज़ार।
तो दूसरी लहर क्या ज़्यादा आक्रामक आएगी? ऐसा निश्चित तौर पर तो नहीं कहा जा सकता है लेकिन दुनिया के कई देशों में यह दिखा है कि थोड़ी सी ढिलाई होते ही संक्रमण ज़्यादा तेज़ गति से बढ़ा है। अमेरिका और यूरोप के देश इसकी मिसाल हैं।
अमेरिका में भी जब पहली लहर आई थी तब एक दिन में सबसे ज़्यादा क़रीब 78 हज़ार संक्रमण के मामले आए थे। लेकिन दूसरी लहर में वहाँ बेतहाशा बढ़ोतरी हुई। हर रोज़ संक्रमण के मामले 3 लाख से भी ज़्यादा आए। दूसरी लहर ज़्यादा लंबे समय तक भी चली।
अमेरिका में संक्रमण के मामलों में यह बढ़ोतरी तब हुई जब हाल में अमेरिका में चुनाव हुआ है। ट्रंप ने जमकर जनसभाएँ कीं। उनकी सभाओं में आए लोगों को सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों को तोड़ते और मास्क नहीं लगाए हुए देखा गया।
कई यूरोपीय देशों में तो अब कोरोना की तीसरी लहर आ गई है, लेकिन इससे पहले जब दूसरी लहर आई थी तब वहाँ भी संक्रमण के मामले काफ़ी ज़्यादा बढ़े हुए थे। फ़्रांस में कोरोना संक्रमण की पहली लहर जब अपने चरम पर थी तो एक दिन में सबसे ज़्यादा संक्रमण के मामले क़रीब 7500 आए थे, लेकिन जब दूसरी लहर आई तो नवंबर महीने में 80 हज़ार से भी ज़्यादा मामले आ गए थे। अब जब तीसरी लहर है तो फिर से वहाँ 45 हज़ार से ज़्यादा मामले आ रहे हैं।
फ्रांस के अलावा रूस, स्पेन, इंग्लैंड, इटली, जर्मनी, पोलैंड और यूक्रेन जैसे देशों में भी ऐसी ही स्थिति थी और उन देशों में जब कोरोना की दूसरी लहर आई तो उन देशों में हर रोज़ 10 हज़ार से लेकर 35 हज़ार संक्रमण के मामले आ रहे थे।
हालाँकि उन देशों ने लापरवाहियाँ भी बरती थीं। उन देशों ने लॉकडाउन में जब ढील दी थी तो लोगों ने मास्क उतारकर फेंक दिए थे, उत्सव मनाने लगे थे और सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का उल्लंघन करना शुरू कर दिया था।
अब भारत के कई हिस्सों में कोरोना की दूसरी लहर है। लापरवाहियाँ भी वैसी ही हैं। बाज़ारों में लोगों के चेहरे पर मास्क न के बराबर दिख रहे हैं और सोशल डिस्टेंसिंग को भी जैसे भूला दिया गया है। होली जैसे उत्सव भी जोर-शोर से मनाया गया है। चुनावी रैलियाँ भी हुई हैं। ऐसे में इस आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है कि कोरोना संक्रमण के मामले आने वाले दिनों में बढ़े।