चुनाव आयोग ने संतुलन बनाने के लिए कांग्रेस के साथ भाजपा को भी नोटिस भेजा

09:59 pm Nov 16, 2024 | सत्य ब्यूरो

चुनाव आयोग ने शनिवार को राष्ट्रीय स्तर पर दो प्रमुख प्रतिद्वंद्वी दलों - भाजपा और कांग्रेस के पार्टी अध्यक्षों से स्पष्टीकरण मांगा और उनसे अपने स्टार प्रचारक अमित शाह और राहुल गांधी द्वारा की गई टिप्पणियों पर स्पष्टीकरण देने को कहा। टिप्पणियाँ कथित तौर पर चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन करती हैं।

भाजपा के जेपी नड्डा और कांग्रेस के मल्लिकार्जुन खड़गे को महाराष्ट्र और झारखंड में मतदान होने से दो दिन पहले सोमवार को 1 बजे तक अपना जवाब देना होगा। महाराष्ट्र और झारखंड (दूसरा चरण) में 20 नवंबर को मतदान है। भाजपा ने राहुल गांधी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें दावा किया गया था कि कांग्रेस नेता ने 6 नवंबर को मुंबई में एक भाषण में "अन्य राज्यों पर महाराष्ट्र राज्य से कथित अवसर छीनने और छीनने का आरोप लगाया था।"

भाजपा ने आरोप लगाया कि "राहुल गांधी अपने बयानों से महाराष्ट्र के युवाओं को कथित तौर पर भड़का रहे हैं जो देश की एकता और अखंडता के लिए बेहद खतरनाक है। जैसा कि अपेक्षित था राहुल गांधी का भाषण झूठ से भरा था। भाजपा ने अपनी शिकायत में कहा, ''भारत के राज्यों के बीच असंतोष, दुश्मनी और दुर्भावना पैदा करने के इरादे से राहुल गांधी ने अपने भ्रामक बयान से महाराष्ट्र, गुजरात और अन्य राज्यों के लोगों के बीच विभाजन पैदा करने की कोशिश की है।'' राहुल के 11 नवंबर के भाषण को मुद्दा बनाया गया था। हालांकि यह अकेले राहुल का आरोप नहीं है। तमाम विपक्षी दलों और मीडिया की खोजपूर्ण रिपोर्टों में कहा गया है कि महाराष्ट्र समेत कई राज्यों से तमाम प्रोजेक्ट गुजरात ट्रांसफर कर दिए गए।

कांग्रेस की ओर से भाजपा नेताओं के साम्प्रदायिक भाषणों के खिलाफ चुनाव आयोग में शिकायत की गई। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि गृह मंत्री अमित शाह ने 12 नवंबर को धनबाद में एक चुनावी रैली के दौरान "कांग्रेस और उसके सहयोगियों के बारे में कई झूठे, विभाजनकारी, दुर्भावनापूर्ण और निंदनीय बयान" दिए।

कांग्रेस ने 13 नवंबर को अपनी शिकायत में कहा- "अपने भाषण के दौरान, अमित शाह ने आरोप लगाया कि कांग्रेस और उसके सहयोगी अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी), और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के खिलाफ हैं और देश में आतंकवाद को बढ़ावा दे रहे हैं। झारखंड में भाजपा के अभियान में यह एक आम कहानी बन गई है, अमित शाह ने कांग्रेस पर एसटी, एससी और ओबीसी समुदायों के सदस्यों से आरक्षण छीनने और उन्हें एक विशेष धार्मिक अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों को देने की योजना बनाने का भी आरोप लगाया है।

कांग्रेस ने आरोप लगाया, "अमित शाह द्वारा दिए गए बयान मतदाताओं को धर्म और जाति के आधार पर उकसाने, वोटों को मजबूत करने और सांप्रदायिक असुरक्षा पैदा करके उन्हें भाजपा के लिए वोट करने के लिए प्रेरित करने के एकमात्र इरादे से दिए गए हैं।"

बता दें कि आदर्श आचार संहिता, स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए लागू है। जिसमें कहा गया है कि कोई भी पार्टी या उम्मीदवार किसी भी ऐसी गतिविधि में शामिल नहीं होगा जो समुदायों के बीच मतभेदों को बढ़ा सकता है या आपसी नफरत पैदा कर सकता है या विभिन्न जातियों और समुदायों, धार्मिक या भाषाई के बीच तनाव पैदा कर सकता है। आचार संहिता में यह भी कहा गया है कि अन्य राजनीतिक दलों की आलोचना उनकी नीतियों और कार्यक्रम, पिछले रिकॉर्ड और कार्य तक ही सीमित रहनी चाहिए।

चुनाव आयोग ने शिकायतों को नजरन्दाज किया

महाराष्ट्र, झारखंड और यूपी में 9 सीटों पर होने जा रहे चुनाव के बीच सबसे जहरीला भाषण यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का था। जिसमें उन्होंने कहा कि बंटोगे तो कटोगे। इसके तुरंत बाद भाजपा ने खुद को इस बयान से अलग करते हुए एक हैं तो सेफ हैं का नारा दिया। यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य, भाजपा नेता पंकजा मुंडे और भाजपा के सहयोगी दलों ने योगी के नारे को गलत बताया और कहा कि मोदी जी का ही नारा सही है। शेष कोई नारा भाजपा का नहीं है। चुनाव आयोग तक योगी के साम्प्रदायिक भाषणों की शिकायत पहुंची लेकिन चुनाव आयोग ने योगी को कोई नोटिस जारी नहीं किया। 

मोदी का मंगलसूत्र वाला भाषणा

लोकसभा चुनाव 2024 में पीएम मोदी ने राजस्थान की कई चुनाव में भाषण दिया। जिसे लेकर कांग्रेस ने चुनाव आयोग में शिकायतें कीं लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। अपने भाषणों में मोदी ने यह तक कहा था कि अगर कांग्रेस या इंडिया गठबंधन सत्ता में आया तो हिन्दू महिलाओं का मंगलसूत्र छीन कर मुस्लिमों को दे देंगे। जिसके पास दो घर होगा, एक घर मुसलमान को दे देंगे। जिसके पास दो भैंस होगी, एक भैंस मुसलमान को दे दी जाएगी। मोदी के इन भाषणों की अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी चर्चा रही। लेकिन भारत के चुनाव आयोग ने मोदी को रोकने की कोशिश नहीं की और न ही कोई नोटिस दिया। कांग्रेस ने जब यह मुद्दा उठाया तो उल्टा कांग्रेस को ही आयोग ने राहुल के बयानों को लेकर नोटिस भेज दिया।