महाराष्ट्र में राहुल ने कहा- लगता है कि मोदी जी ने संविधान कभी नहीं पढ़ा

06:39 pm Nov 14, 2024 | सत्य ब्यूरो

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने गुरुवार को दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लगता है कि संविधान की "लाल किताब" कोरी है क्योंकि उन्होंने इसे कभी नहीं पढ़ा है। महाराष्ट्र के नंदुरबार में एक रैली को संबोधित करते हुए, गांधी ने कहा कि संविधान में भारत की आत्मा और बिरसा मुंडा, डॉ बी आर अंबेडकर और महात्मा गांधी जैसे राष्ट्रीय प्रतीकों के सिद्धांत शामिल हैं।

राहुल ने कहा- "भाजपा को संविधान के लाल रंग (जिसे गांधी रैलियों में प्रदर्शित कर रहे हैं) पर आपत्ति है। लेकिन हमें इसकी परवाह नहीं है कि रंग लाल है या नीला। हम संविधान को बचाने के लिए प्रतिबद्ध हैं और इसे बनाए रखने के लिए तैयार हैं।" राहुल गांधी ने कहा, "मोदी जी को लगता है कि मेरे पास जो संविधान (पुस्तक) है, उसमें पेज खाली है क्योंकि उन्हें पता नहीं है कि इसमें क्या है।"

राहुल ने आगे कहा कि "लेकिन मोदीजी, यह पुस्तक खाली नहीं है। इसमें भारत की आत्मा और ज्ञान है। इसमें बिरसा मुंडा, बुद्ध, महात्मा फुले, डॉ अंबेडकर, महात्मा गांधी जैसे राष्ट्रीय प्रतीकों के सिद्धांत शामिल हैं। यदि आप पुस्तक को खाली कहते हैं, तो आप इस प्रतीक का अपमान करते हैं।''

लोकसभा में विपक्ष के नेता ने कहा, कांग्रेस चाहती है कि आदिवासियों, दलितों और पिछड़े वर्गों को निर्णय लेने में प्रतिनिधित्व मिले। भाजपा के नेताओं ने चुनाव अभियान में राहुल गांधी द्वारा प्रदर्शित "लाल किताब" को "शहरी नक्सलवाद" से जोड़ने की कोशिश की। यानी भाजपा का कहना है कि राहुल गांधी के विचार नक्सलवादियों से प्रभावित है, तभी वो लाल किताब दिखाते रहते हैं। कई दलित संगठनों ने भाजपा द्वारा संविधान को लाल किताब बताने पर आपत्ति जताई है।

राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि पीएम मोदी और भाजपा ऐसी टिप्पणियां करके राष्ट्रीय प्रतीकों का अपमान कर रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) आदिवासियों को आदिवासी के बजाय "वनवासी" कहकर उनका अपमान करते हैं।

नेता विपक्ष ने कहा-  आदिवासी देश के पहले मालिक हैं और जल, जंगल और ज़मीन पर उनका पहला अधिकार है। लेकिन भाजपा चाहती है कि आदिवासी बिना किसी अधिकार के जंगल में रहें। बिरसा मुंडा ने इसके लिए लड़ाई लड़ी और गांधी ने जान दे दी।'' विपक्षी महा विकास अघाड़ी (एमवीए) के घोषणापत्र पर प्रकाश डालते हुए, राहुल गांधी ने कहा कि महिलाओं, किसानों और युवाओं को 3,000 रुपये मासिक सहायता और मुफ्त बस यात्रा, 3 लाख रुपये तक के कृषि ऋण माफी और बेरोजगार युवकों को 4,000 रुपये प्रति माह सहायता जैसे प्रावधानों से संरक्षित किया जाएगा।

उन्होंने जाति जनगणना की मांग दोहराते हुए कहा कि इससे महाराष्ट्र में आदिवासियों, दलितों और पिछड़े वर्गों की संख्या और संसाधनों में उनकी हिस्सेदारी का पता लगाने में मदद मिलेगी। राहुल गांधी ने दावा किया कि वर्तमान में आठ प्रतिशत आदिवासी आबादी में से निर्णय लेने में उनकी हिस्सेदारी केवल एक प्रतिशत है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि महाराष्ट्र से पांच लाख नौकरियां छीन ली गई हैं क्योंकि विभिन्न बड़ी परियोजनाओं को दूसरे राज्यों में ट्रांसफर कर दिया गया है।

उन्होंने कहा, ''हमारी सरकार इसकी इजाजत नहीं देगी। महाराष्ट्र के लिए बनी परियोजनाएं यहीं रहेंगी जबकि गुजरात के लिए बनी परियोजनाएं वहीं रहेंगी।'' गांधी ने आरोप लगाया कि वेदांता-फॉक्सकॉन सेमीकंडक्टर परियोजना, टाटा-एयरबस और आईफोन कंपनियों की इकाइयां, एक ड्रग पार्क और एक पेट्रोकेमिकल संयंत्र को राज्य से बाहर ले जाया गया।

उन्होंने दावा किया कि सरकार चलाने वाले 90 अधिकारियों में से केवल एक आदिवासी समुदाय से है। इन 90 अधिकारियों द्वारा खर्च के लिए दिए जाने वाले 100 रुपये में से आदिवासी अधिकारी केवल 10 पैसे का निर्णय लेता है। प्रत्येक 100 व्यक्तियों के लिए, आठ आदिवासी हैं, जबकि आपकी भागीदारी 100 रुपये में से 10 पैसे है। आदिवासी अधिकारी कांग्रेस नेता ने कहा, ''हमें अच्छे विभाग आवंटित नहीं किए गए हैं। हमें इसे बदलना होगा।''