कोरोना वायरस की चपेट में जिस तरह से अमेरिका है, वह काफ़ी भयावह है। इस वायरस से मरने वालों की संख्या अब दुनिया में सबसे ज़्यादा अमेरिका में हो गई है और यह 20 हज़ार से भी ज़्यादा हो गई है। वहाँ एक दिन पहले ही सिर्फ़ एक दिन में मरने वालों की संख्या 1830 थी। अमेरिका के बाद सबसे ज़्यादा क़रीब 19 हज़ार लोगों की मौत इटली में हुई है।
अमेरिका मौत के मामले में ही नहीं, बल्कि इस वायरस से प्रभावित लोगों की संख्या के मामले में भी काफ़ी आगे है। कोरोना पॉजिटिव लोगों की संख्या बढ़कर अमेरिका में पाँच लाख 32 हज़ार से भी ज़्यादा हो गई है। यह संख्या दुनिया के दूसरे चार सबसे ज़्यादा प्रभावित देशों की संख्या के बराबर है।
अमेरिका के बाद सबसे ज़्यादा प्रभावित स्पेन है और वहाँ एक लाख 63 हज़ार लोग अब तक संक्रमित हुए हैं और 16 हज़ार से ज़्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। इटली में एक लाख 52 हज़ार लोग वायरस से संक्रमित हैं और 19468 लोगों की मौत हो चुकी है। फ्रांस में एक लाख 29 हज़ार लोग कोरोना पॉजिटिव हैं और क़रीब 14 हज़ार लोग मारे गए हैं। और जर्मनी में एक लाख 25 हज़ार लोग संक्रमित हैं और वहाँ अपेक्षाकृत काफ़ी कम 2871 लोगों की मौत हुई है। पूरी दुनिया में क़रीब 17 लाख 80 हज़ार लोग इस वायरस से संक्रमित हो चुके हैं और एक लाख 8 हज़ार लोगों की मौत हो चुकी है।
अमेरिका की ऐसी हालत इसलिए हुई कि वायरस पर काबू पाने के लिए पहले से तैयारी सही से नहीं की गई और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का रवैया इस वायरस के प्रति अजीबोगरीब रहा। जब पूरी दुनिया खौफ़ में थी, अमेरिका में भी तेज़ी से मामले बढ़ रहे थे तो 23 मार्च को एक प्रेस वार्ता में ट्रंप कह रहे थे कि हमारा देश बंद होने के लिए थोड़े ही बना है। ट्रंप का कहना था कि कोरोना से जितने लोग मरेंगे उससे अधिक लोग अर्थव्यवस्था चौपट होने से मरेंगे। लिहाज़ा कोरोना से राष्ट्रव्यापी बंदी कोई समाधान नहीं है।
वैसे ट्रंप का ऐसी अजीबोगरीब बातें कहना कोई नयी बात नहीं है। ट्रंप ने यह भी कहा था कि कोरोना एक सामान्य फ्लू यानी सर्दी-जुकाम की तरह ही है जो 'चमत्कारिक ढंग से' ग़ायब हो जाएगा। अमेरिका जैसे देश के राष्ट्रपति यदि कोरोना जैसे वायरस पर ऐसा नज़रिया रखेंगे तो स्थिति कितनी बुरी हो सकती है इसका अंदाज़ा भर लगाया जा सकता है। हालाँकि हालात बेहद ख़राब हो गए तो ट्रंप होश में आए और लोगों की जानें बचाने की बात करने लगे हैं।