कांग्रेस पार्टी उत्तर प्रदेश की करहल सीट पर अपना उम्मीदवार नहीं उतारेगी। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव मैनपुरी जिले की इस सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। मंगलवार को इस सीट से नामांकन का आखिरी दिन था, लेकिन कांग्रेस प्रत्याशी ने यहां से नामांकन नहीं भरा। इस सीट के लिए कांग्रेस ने पहले ही उम्मीदवार की घोषणा कर दी थी। पार्टी ने यहां से ज्ञानवती यादव को टिकट दिया था, लेकिन अब उनसे टिकट वापस ले लिया गया है। इस सीट पर तीसरे चरण में मतदान होना है।
इसी तरह कांग्रेस ने जसवंत नगर सीट से भी अपना प्रत्याशी शिवपाल यादव के मुकाबले में नहीं उतारा है। वहां भी नामांकन का आज आखिरी दिन था। लेकिन कांग्रेस ने अपने प्रत्याशी को पर्चा न भरने को कहा।
बीजेपी ने करहल से केंद्रीय मंत्री एसपी सिंह बघेल को अखिलेश के मुकाबले उतारा है। इसी तरह बीजेपी ने जसवंत नगर से विवेक शाक्य को शिवपाल सिंह यादव के सामने उतारा है। बघेल सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के सुरक्षाकर्मी थे। फिर मुलायम ने उन्हें सपा से तीन बार चुनाव लड़ाया। दो बार वो हारे और तीसरी बार जीते। इसके बाद बघेल बीएसपी में और फिर वहां से बीजेपी में पहुंच गए।
कांग्रेस की क्या है रणनीतिकांग्रेस और सपा चुनाव मिलकर लड़ चुके हैं। लेकिन उसमें दोनों को खास सफलता नहीं मिली। कांग्रेस को लग रहा है कि 2022 में अखिलेश की सरकार बन सकती है। ऐसे में वो संबंध बिगाड़ना नहीं चाहती है। इसके अलावा एक वजह यह भी है कि अगर सपा बहुमत से कुछ दूर रहती है तो उस स्थिति में भी कांग्रेस सपा को समर्थन देकर उसकी सरकार बनवा देगी। कांग्रेस की नजर 2024 को लोकसभा चुनाव पर है, जिसे वो पूरी गंभीरता से लड़ना चाहती है। वैसे सपा भी अमेठी और रायबरेली से राहुल गांधी और सोनिया गांधी के खिलाफ प्रत्याशी नहीं उतारती रही है।इस बीच कांग्रेस सूत्रों ने बताया कि अगर रालोद के जयंत चौधरी और बीएसपी की मायावती चुनाव लड़ते हैं तो भी कांग्रेस उनके खिलाफ प्रत्याशी नहीं उतारेगी। दूसरी तरफ कांग्रेस गोरखपुर में भी चंद्रशेखर आजाद को समर्थन देने पर विचार कर रही है।
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