'नौकरशाही जिहाद' और 'UPSC Jihad' को लेकर सुदर्शन न्यूज़ और इसके एडिटर इन चीफ़ सुरेश चव्हाणके ख़िलाफ़ कई लोगों ने एफ़आईआर दर्ज कराने के लिए शिकायतें दी हैं। लेकिन इस मामले में अभी तक रिपोर्ट दर्ज किए जाने की कोई ख़बर नहीं है। सुरेश चव्हाणके के एक ट्वीट से भी यह पता चलता है जिसमें उन्होंने कहा है कि उनके ख़िलाफ़ हज़ारों शिकायतें दी गई हैं, हालाँकि इसके साथ ही उन्होंने इन शिकायतों को 'फ़ेक' बता दिया है।
सुरेश चव्हाणके ने दो दिन पहले ही सिविल सेवा में मुसलिम समुदाय के लोगों के जाने पर निशाना साधते हुए एक प्रोमोशनल वीडियो पोस्ट किया है। इसमें उन्होंने कहा है कि वह सुदर्शन न्यूज़ पर 'कार्यपालिका में मुसलिम घुसपैठ' को 28 अगस्त से 'पर्दाफ़ाश' करेंगे। इस पोस्ट में उन्होंने मुसलिमों के लिए 'नौकरशाही जिहाद' और 'UPSC Jihad' जैसे शब्दों का प्रयोग किया है। इस पर सामाजिक कार्यकर्ताओं से लेकर आईपीएस एसोसिएशन, आईपीएस अफ़सरों और आईएएस अधिकारियों ने आपत्ति की है और इसे नफ़रत फैलाने वाला क़रार दिया है।
सामाजिक कार्यकर्ता साकेत गोखले, तहसीन पूनावाला जैसे लोगों द्वारा दी गई इन शिकायतों में नफ़रत फैलाने और सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने का आरोप लगाया गया है। ट्विटर पर तो लोग यह आरोप लगा रहे हैं कि सरकारी नीतियों का विरोध करने वालों के सामान्य बयान पर भी पुलिस उनके ख़िलाफ़ ऐसी एफ़आईआर तुरंत दर्ज कर लेती है, लेकिन इस मामले में ऐसा नहीं है। साकेत गोखले और तहसीन पूनावाला ने शिकायत की जिन कॉपियों को ट्विटर पर साझा किया है उन पर प्रतिक्रिया में लोग सरकार पर भी सवाल उठा रहे हैं।
साकेत गोखले ने आज शिकायत की प्राप्ति रसीद को ट्वीट करते हुए लिखा, 'सुदर्शन टीवी के नफ़रत फैलाने वाले सुरेश चव्हाणके के ख़िलाफ़ मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, अहमदनगर की अदालत में शिकायत दर्ज कराई है। ये लोग 'फ्रिंज ल्यूनेटिक्स' (मानसिक रूप से बीमार) नहीं हैं। वे सरकार से सीधे समर्थन प्राप्त करते हैं। चव्हाणके ने अपने नफ़रत वाले ट्वीट में पीएम मोदी को टैग किया। उन्हें पता है कि उनका आशीर्वाद है।'
इससे एक दिन पहले तहसीन पूनावाला ने सुरेश चव्हाणके और सुदर्शन टीवी के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज कराने के लिए दिल्ली पुलिस को शिकायत भेजी थी। इसकी जानकारी उन्होंने ट्विटर पर दी। उन्होंने ट्वीट किया है कि सुदर्शन न्यूज़ टीवी पर 'नौकरी में मुसलमानों की घुसपैठ' नाम से प्रसारित होने वाला कार्यक्रम स्पष्ट रूप से सांप्रदायिक है और हमारे मुसलिम नागरिकों के ख़िलाफ़ नफ़रत और हिंसा को उकसाएगा।
इनके ट्वीट के बाद आईपीएस एसोसिएशन ने भी बयान जारी किया था। एसोसिएशन ने सुरेश चव्हाणके के उस वीडियो को सांप्रदायिक नफ़रत फैलाने वाला बताया है। इसने ट्वीट किया, 'धर्म के आधार पर सिविल सेवाओं में उम्मीदवारों को निशाना बनाने वाली एक समाचार को सुदर्शन टीवी द्वारा बढ़ावा दिया जा रहा है। हम पत्रकारिता के सांप्रदायिक और ग़ैरज़िम्मेदाराना पत्रकारिता की निंदा करते हैं।'
इस विवाद के बीच ही ट्विटर पर सुरेश चव्हाणके के ट्विटर एकाउंट को सस्पेंड करने की माँग ज़ोर पकड़ रही है, लेकिन इसको लेकर ट्विटर ने भी कोई कार्रवाई नहीं की है। सुरेश चव्हाणके ने ट्वीट किया है, 'सत्य की जीत! ट्विटर को मेरे किसी भी ट्वीट में कुछ ग़लत नहीं मिला। लेफ़्ट द्वारा मेरे ख़िलाफ़ पुलिस थानों में हज़ारों फ़र्ज़ी शिकायतें दी गईं, लेकिन अदालत में भी सत्य की जीत होगी!'
वैसे, सुदर्शन न्यूज़ और सुरेश चव्हाणके के ख़िलाफ़ कथित तौर पर इसलामोफोबिया और नफ़रत फैलाने वाली ख़बरें प्रकाशित करने के आरोप लगते रहे हैं। फ़ेक न्यूज़ को उजागर करने वाली प्रतिष्ठित वेबसाइट ऑल्ट न्यूज़ ने 2019 में इस पर एक पूरी रिपोर्ट छापी थी। रिपोर्ट में सुदर्शन न्यूज़ की कई ख़बरों को फ़ेक बताया गया था।
जब 50 लाख का जुर्माना लगा था
फ़ेक ख़बर को लेकर सुदर्शन टीवी और सुरेश चव्हाणके को पिछले साल मार्च में तब तगड़ा झटका लगा था जब कोची के कोझिकोड़ कोर्ट ने एक ऐसी ही ख़बर के लिए 50 लाख रुपये का जुर्माना लगाया था। दरअसल, मामला यह था कि सुदर्शन टीवी ने 20 अगस्त 2016 को एक फ़ेक वीडियो का प्रसारण किया था जिसमें दिखाया गया था कि चेन्नई में मालाबार गोल्ड के एक कार्यक्रम में पाकिस्तान का स्वतंत्रता दिवस समारोह मनाया गया। लेकिन वह वीडियो वास्तव में दुबई की एक वित्तीय कंपनी द्वारा वहाँ पाकिस्तान के स्वतंत्रता दिवस समारोह मनाने का था। इसके ख़िलाफ़ अदालत में मामला चला और फिर कोर्ट ने सुदर्शन न्यूज़ और सुरेश चव्हाणके पर हर्जाना लगाया।
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, नवंबर 2016 में अपने चैनल सुदर्शन न्यूज के एक पूर्व कर्मचारी के साथ कथित तौर पर बलात्कार, अननेचुरल सेक्स, हत्या का प्रयास करने और धोखाधड़ी करने के आरोप में सुरेश चव्हाणके के ख़िलाफ़ नोएडा पुलिस में एक एफ़आईआर दर्ज की गई थी। उस एफ़आईआर में कई मामलों में जेल की सज़ा काट रहे आसाराम बापू के बेटे नारायण साई का भी नाम था। पुलिस ने मामले की जाँच की थी लेकिन पुलिस द्वारा जनवरी 2017 में दायर क्लोजर रिपोर्ट के अनुसार आरोपों की पुष्टि नहीं की गई थी।
इस मामले को लेकर आज सुरेश चव्हाणके ने फिर से तब ट्वीट किया जब स्वरा भास्कर ने उन आरोपों का ज़िक्र किया। सुरेश चव्हाणके ने ट्वीट किया, 'फ़र्ज़ी ख़बरें न फैलाएँ। अब मैं ऐसे किसी भी केस में आरोपी नहीं हूँ। ट्वीट को डिलीट कीजिए नहीं तो क़ानूनी कार्रवाई करूँगा।'
वैसे, नफ़रत फैलाने के मामले में 2017 में सुरेश चव्हाणके गिरफ़्तार भी हो चुके हैं। तब चव्हाणके ने संभल के एक धार्मिक स्थल पर जाकर जल चढ़ाने का एलान किया था। यूपी पुलिस ने चव्हाणके को समुदायों के बीच नफरत फैलाने, सांप्रदायिक माहौल बिगाड़ने, धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने और चैनल के ज़रिए अफवाह फैलाने के आरोप में 13 अप्रैल को गिरफ्तार किया था। वह 14 अप्रैल को रिहा हो गए थे। तब यह पहली बार हुआ था कि किसी चैनल के एडिटर इन चीफ़ को सांप्रदायिकता के आरोप में गिरफ़्तार किया गया हो।