छत्तीसगढ़ में माओवादियों के ख़िलाफ़ बड़ी कार्रवाई हुई है। पुलिस ने दावा किया है कि पिछले ढाई दशकों में सबसे बड़े अभियानों में से एक में पुलिस ने मुठभेड़ में 30 से ज़्यादा माओवादियों को मार गिराया है।
पुलिस के अनुसार नारायणपुर-दंतेवाड़ा सीमा पर स्थित जंगल में सुरक्षा बलों की माओवादियों से शुक्रवार को मुठभेड़ हुई। जिला रिजर्व गार्ड और विशेष कार्य बल यानी एसटीएफ़ ने गुरुवार को माओवादी विरोधी अभियान शुरू किया था और शुक्रवार दोपहर 12.30 बजे उनका उनसे संपर्क हुआ। मुठभेड़ अभी भी जारी है। रिपोर्टों के अनुसार एके सीरीज सहित कई असॉल्ट राइफलें और अन्य हथियार बरामद किए गए हैं।
पुलिस ने बताया कि छत्तीसगढ़ के 24 साल के इतिहास में सबसे बड़े अभियान में दंतेवाड़ा जिले के अबूझमाड़ में शुक्रवार को सुरक्षा बलों को बड़ी सफलता मिली है। पुलिस के अनुसार, दंतेवाड़ा और नारायणपुर के जिला रिजर्व गार्ड ने क्षेत्र में माओवादियों की मौजूदगी की विशेष खुफिया सूचना पर कार्रवाई करते हुए अलग-अलग पुलिस शिविरों से अभियान चलाया।
इस साल अप्रैल में लोकसभा चुनाव से पहले बस्तर संभाग के कांकेर जिले में हुई मुठभेड़ में 29 माओवादी मारे गए थे। बता दें कि डीआरजी एक विशेष बल है जिसमें आत्मसमर्पण करने वाले माओवादी शामिल हैं। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार पुलिस ने बताया, 'मुठभेड़ दोपहर में तीन गांवों - गोवेल, नेंडूर और तुलतुली के आसपास के जंगल क्षेत्र में हुई।' तीनों गांव अबूझमाड़ में आते हैं।
इसके साथ ही इस साल मारे गए माओवादियों की संख्या 187 हो गई है। कुल 15 सुरक्षाकर्मी और 47 नागरिक भी मारे गए हैं।
अगस्त में राज्य की राजधानी रायपुर में गृहमंत्री अमित शाह ने घोषणा की थी कि माओवादियों के साथ आखिरी लड़ाई करीब है और यह निर्मम होगी। उन्होंने यह भी कहा था कि मार्च 2026 तक देश वामपंथी उग्रवाद से मुक्त हो जाएगा।
गोवा के आकार के बराबर, अबूझमाड़ को नक्सलियों का गढ़ माना जाता है। सुरक्षा बलों का दावा है कि उन्होंने विभिन्न अभियानों में 50 प्रतिशत या लगभग 4000 वर्ग किलोमीटर भूमि पर कब्ज़ा कर लिया है। राज्य में आखिरी बड़ी मुठभेड़ 3 सितंबर को हुई थी, जब दंतेवाड़ा और बीजापुर जिलों की सीमा पर छह महिलाओं सहित नौ माओवादी मारे गए थे।