छत्तीसगढ़ में इस बार दो चरणों में चुनाव हो रहे हैं। राज्य की कुल 90 विधानसभा सीटों में से 20 के लिए सात नवंबर को मतदान हुए और 70 सीटों के लिए 17 नवंबर को मतदान हो रहा है। तीन दिसंबर को मतगणना की जाएगी। राज्य के चुनाव में किस दल की स्थिति कैसी है और कौन सी पार्टी मज़बूत स्थिति में होगी? इस बार क्या पिछले चुनाव नतीजों से अलग परिणाम होगा?
राज्य में 2018 के विधानसभा चुनाव में क़रीब-क़रीब एकतरफ़ा मुक़ाबला रहा था। 90 सीटों वाली विधानसभा में कांग्रेस ने 68 सीटें जीती थीं, जबकि बीजेपी सिर्फ़ 15 पर ही जीत सकी थी। 7 सीटों पर अन्य ने जीत दर्ज की थी।
छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में वोट प्रतिशत के हिसाब से भी कांग्रेस काफी आगे रही थी। इसने क़रीब 43 फ़ीसदी वोट हासिल किए थे, जबकि बीजेपी 33 फीसदी ही वोट पा सकी थी। अन्य ने क़रीब 24 फ़ीसदी वोट पाए थे।
इस बार कांग्रेस के सामने सरकार बचाने की चुनौती होगी, जबकि भाजपा एक बार फिर राज्य की सत्ता में आने की कोशिश करेगी। हालाँकि, चुनावी सर्वे में कांग्रेस की स्थिति मज़बूत बताई जा रही है। इस बीच भाजपा ने छत्तीसगढ़ के लिए 21 उम्मीदवारों का एलान कर दिया है। इन सभी 21 सीटों पर इस वक्त कांग्रेस का कब्जा है।
मौजूदा मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के चेहरे के साथ ही पार्टी चुनाव लड़ सकती है। चुनावी विश्लेषकों का मानना है कि चुनाव से कुछ समय पहले टीएस सिंहदेव को पार्टी ने उपमुख्यमंत्री बनाकर कुछ हद तक उनकी नाराजगी दूर करने की कोशिश की है। बता दें कि टीएस सिंहदेव 2018 में मुख्यमंत्री पद की रेस में थे और सरकार बनने के बाद आंतरिक की ख़बरें आती रही थीं। वैसे, बीजेपी सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ेगी यानी उसकी तरफ़ से मुख्यमंत्री का चेहरा कोई नहीं है।