लगातार तेज़ी से आगे बढ़ते रहने और ऊँचाई पर छलाँग लगाते रहने के बाद भारतीय शेयर बाज़ार में सोमवार को ज़ोरदार मंदी देखी गई। बंबई स्टॉक एक्सचेंज के संवेदनशील सूचकांक यानी सेंसेक्स में सोमवार को एक हज़ार अंकों से ज़्यादा की गिरावट देखी गई। एक सत्र में यह बहुत बड़ी गिरावट समझी जाती है।
समझा जाता है कि कई देशों में कोरोना महामारी के बढ़ने, रिलायंस इंडस्ट्रीज में सऊदी अरैमको कंपनी की 20 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदने से इनकार करने और इस वजह से उसके शेयर की कीमतों के टूटने के कारण ऐसा हुआ है।
कृषि क़ानूनों के वापस लेने के फ़ैसले का भी शेयर बाज़ार पर बुरा असर पड़ा क्योंकि इसे सुधार को पीछे धकेलने की दिशा में उठाया गया कदम माना गया है।
सेंसेक्स में सोमवार को 1170.12 अंकों की गिरावट देखने को मिली। वहीं, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज यानी निफ्टी 348.25 अंक टूटकर 17,416.55 अंकों पर बंद हुआ।
रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने शुक्रवार को देर रात को सऊदी अरब की कंपनी को अपनी तेल रिफाइनरी और पेट्रोरसायन कारोबार में 20 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने के प्रस्तावित 15 अरब डॉलर के सौदे के पुनर्मूल्यांकन की घोषणा की थी। इसका असर सोमवार सेंसेक्स में भी दिखा, कंपनी के शेयर 4% से अधिक नीचे आ गए।
3,600 अंक टूटा
बीएसई का सेंसेक्स 19 अक्टूबर को 62,245 के उच्चतम स्तर पर पहँचने के बाद सोमवार को 58,700 से नीचे आ गया, यानी 3,600 अंकों से ज़्यादा की टूटन एक महीने में देखी गई।
लेकिन मामला यहीं ख़त्म होने को नहीं है। समझा जाता है कि अगले कुछ हफ़्तों में यह ट्रेंड जारी रहेगा और शेयर बाज़ार में कीमतें गिरेंगी। सेंसेक्स में उतार-चढ़ाव होता रहेगा, पर कुल मिला कर इसके टूटने और नीचे गिरने के आसार अधिक हैं।
अमेरिकी फ़ेडरल रिज़र्व सरकारी बॉन्डों की खरीद में कमी कर सकता है और इसका असर भी अंतरराष्ट्रीय शेयर बाज़ार पर पड़ सकता है।
हालांकि भारत में कोरोना टीकाकरण की रफ़्तार को लेकर कोई चिंता नहीं है, पर समझा जाता है कि यूरोप में कोरोना संक्रमण बढ़ने से वहाँ लॉकडाउन होने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है और इसका असर भी अंतरराष्ट्रीय शेयर बाज़ार पड़ सकता है।