एक के बाद एक आए कर्नाटक हाई कोर्ट के दो फ़ैसलों की वजह से मुख्यमंत्री येदियुरप्पा की मुसीबतें बढ़ गयी हैं। इन फ़ैसलों के कारण उनके ख़िलाफ़ बीजेपी के भीतर ही आवाज़ें मुखर होने लगी हैं। उन्हें मुख्यमंत्री पद से हटाये जाने की कोशिश फिर से शुरू हो सकती हैं।
सूत्रों के मुताबिक़, तीन वरिष्ठ विधायकों - बसनगौड़ा पाटिल यतनाल, अरविंद लिम्बावली और सतीश रेड्डी ने पार्टी की एक आंतरिक बैठक में येदियुरप्पा पर अपने खास लोगों की तरफ़दारी करने, उनके लिए काम करने, परियोजनाएं मंजूर करने का आरोप लगाया। आने वाले कुछ एक दिनों में अन्य विधायकों के भी इसी तरह आवाज़ बुलंद करने का अनुमान है।
गौर करने वाली बात है कि मंगलवार को कर्नाटक हाई कोर्ट ने येदियुरप्पा की उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें उन्होंने 2015 में दर्ज एक एफ़आईआर को रद्द करने की गुहार लगाई थी। येदियुरप्पा पर आरोप है कि मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने बैंगलोर के मातडहल्ली में 1.1 एकड़ जमीन को गैर क़ानूनी तरीके से 'डीनोटिफाई' यानी निरूपण किया।
इस कार्रवाई की वजह से जेडीएस के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री कुमारवामी को फायदा हुआ और यह ज़मीन उनके एक बेहद करीबी रिश्तेदार (पत्नी के भाई) ने खरीद ली। कोर्ट ने एफ़आईआर रद्द करने से इनकार करने के साथ-साथ येदियुरप्पा पर पच्चीस हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है।
भ्रष्टाचार का आरोप
बीते दिनों हाई कोर्ट ने येदियुरप्पा की एक और याचिका खारिज कर दी थी। भ्रष्टाचार के एक अन्य मामले में येदियुरप्पा पर गंभीर आरोप हैं। इस मामले में येदियुरप्पा पर उपमुख्यमंत्री रहते हुए सरकार द्वारा बेल्लान्दुर में अधिग्रहित भूमि के एक हिस्से को निजी व्यक्तियों/कंपनियों के हवाले करने का आरोप है। अधिग्रहित भूमि का इस्तेमाल सरकारी काम के लिए होना था, जबकि इसे डीनोटिफाई कर अन्य लोगों के हवाले करने का रास्ता खोला गया।
वैसे तो येदियुरप्पा ने इन फ़ैसलों के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट जाने का मन बना लिया है, लेकिन बीजेपी के कई विधायक और नेता येदियुरप्पा के ख़िलाफ़ पार्टी आलाकमान से तगड़ी शिकायत करने की तैयारी में हैं।
बीएल संतोष।
विजयेंद्र के दख़ल से नाराज़गी
सरकारी कामकाज में येदियुरप्पा के बेटे विजयेंद्र की दख़लअंदाज़ी से कई मंत्री, विधायक और नेता नाराज़ हैं। विपक्ष भी विजयेंद्र को 'सुपर सीएम' कहते हुए बीजेपी सरकार पर राजनीतिक हमले बोल रहा है। अब तक दबी जुबान में येदियुरप्पा के ख़िलाफ़ बोलने वाले बीजेपी के नेता भी हाई कोर्ट के फ़ैसलों के बाद मुखर होने को तैयार हैं।
सूत्र बताते हैं कि बीजेपी के संगठन महामंत्री बी.एल. संतोष ने एक बार फिर से येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री पद से हटाने की अपनी कोशिश तेज़ कर दी हैं। उनकी नज़र मुख्यमंत्री की कुर्सी पर है।
मुख्यमंत्री पद के अन्य दावेदार- सदानंद गौड़ा, जगदीश शेट्टर, प्रह्लाद जोशी, बी आर पाटिल यतनाल भी सक्रिय हो गये हैं। कोर्ट से मिले झटकों के बाद येदियुरप्पा भी अपने समर्थक विधायकों के जरिये विरोधियों की कोशिशों को नाकाम करने की रणनीति बनाने में जुट गये हैं।
येदियुरप्पा को हटाना आसान नहीं
सूत्र बताते हैं कि बीजेपी नेतृत्व के लिए फिलहाल येदियुरप्पा को हटाना आसान नहीं है। उन्हें हटने के लिए मजबूर किये जाने से न सिर्फ लिंगायत समुदाय बल्कि किसान भी बीजेपी से कट सकते हैं। बीजेपी नेतृत्व की मजबूरी है कि वह येदियुरप्पा की बात माने। इस समय जब दिल्ली में किसान आंदोलन चरम पर है, येदियुरप्पा जैसे किसान नेता को मुख्यमंत्री पद से हटाना नयी मुसीबतों को बुलावा देने जैसा होगा।
येदियुरप्पा बीजेपी के अकेले ऐसे नेता हैं, जो 75 साल की उम्र पार करने के बावजूद मुख्यमंत्री बने हुए हैं। 77 साल के येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री पद छोड़ने के लिए मनाने की कोशिशें पहले भी हो चुकी हैं। उन्हें किसी बड़े राज्य का गवर्नर बनाने की पेशकश भी की गई है। लेकिन येदियुरप्पा कर्नाटक से हटने को तैयार नहीं हैं। उनके करीबी बताते हैं कि 2023 के विधानसभा चुनाव में भी वे ही बीजेपी के मुख्यमंत्री उम्मीदवार बनेंगे।
लेकिन कोर्ट के ताजा फ़ैसलों से येदियुरप्पा के विरोधियों को बड़ा मौका मिल गया है। चूंकि मामले भ्रष्टाचार से जुड़े हैं, कोर्ट ने एफ़आईआर रद्द करने से इनकार किया है, जुर्माना ठोका है, ऐसे में विरोधियों को लगता है कि इस बार येदियुरप्पा को हटाया जाना तय है।
कोर्ट के फ़ैसलों के बाद कांग्रेस के नेता येदियुरप्पा से इस्तीफा देने की मांग करने लगे हैं। राजनीति के जानकार बताते हैं कि अगर येदियुरप्पा को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिलती है तब उनका जाना तय है और बीजेपी नेतृत्व नया मुख्यमंत्री तय करेगा।