मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने जब ऑल इंडिया इत्तेहादुल मजलिस-ए-मुसलिमीन (एआईएमआईएम) को भारतीय जनता पार्टी की 'बी' टीम क़रार दिया था और कहा था कि वह पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव 2021 बीजेपी को मदद पहुँचाने के लिए लड़ेगी तो इसके नेता असदउद्दीन ओवैसी ने तीखी प्रतिक्रिया जताई थी। लेकिन अब बीजेपी के ही एक सांसद ने यही बात कही है।
क्या कहा साक्षी महाराज ने?
उत्तर प्रदेश के उन्नाव से बीजेपी सांसद साक्षी महाराज ने कहा, "यह ईश्वर की कृपा है, भगवान उन्हें शक्ति दें। उन्होंने पहले बिहार में हमारी मदद की, अब वे उत्तर प्रदेश और बाद में पश्चिम बंगाल में हमारी मदद करेंगे।"
बता दें कि असदउद्दीन ओवैसी की पार्टी पर यह आरोप पहले भी कई बार लग चुका है कि वह उम्मदीवार उन जगहों पर खड़े करती है जहाँ ग़ैर-बीजेपी दल मजबूत स्थिति में होते हैं, वह पार्टी उम्मीदवार इस तरह खड़े करती है कि वह मुसलिम वोट ले जाए, दूसरे ग़ैर-बीजेपी दलों को मुसलिम वोट के बँटने से बीजेपी को फ़ायदा होता है।
एआईएमआईएम के ख़िलाफ़ इमाम सगंठन
बीते दिनों पश्चिम बंगाल इमाम एसोसिएशन ने राज्य के मुसलमानों से अपील की थी कि वे पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव 2021 में एआईएमआईम को वोट न दें। एसोसिएशन के मुहम्मद याहया ने कहा था कि एआईएमआईएम को गया हर वोट बीजेपी को जाएगा। उन्होंने सवाल उठाया था कि आख़िर क्यों हैदराबाद का एक राजनेता ऐसे राज्यों में चुनाव लड़ने जा रहा है, जहाँ बीजेपी को विपक्ष से कड़ी चुनौती मिल रही है।
याहया की अपील अहम इसलिए है कि पश्चिम बंगाल में मुसलमानों की आबादी लगभग 27 प्रतिशत है और लगभग 100 सीटें ऐसी हैं, जहाँ मुसलमान चुनाव नतीजों को प्रभावित करने की स्थिति में हैं।
इसके पहले ममता बनर्जी ने भी ओवैसी पर इसी तरह के आरोप लगाए थे। इसके अलावा राज्य के सत्तारूढ़ दल के वरिष्ठ नेता और सांसद सौगत राय ने कहा था,
“
"एआईएमआईएम कुछ नहीं बस बीजेपी की प्रॉक्सी टीम है, लेकिन राज्य के मुसलमान मजबूती के साथ ममता बनर्जी के साथ खड़े हैं।"
सौगत राय, सांसद, तृणमूल कांग्रेस
असदउद्दीन ओवैसी होने का मतलब!
ओवैसी ने पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस और इसकी नेता ममता बनर्जी को आड़े हाथों लेते हुए कहा था कि राज्य में मुसलमानों की स्थिति बहुत ही खराब है, आर्थिक स्थिति हो, शिक्षा की स्थिति हो या रोज़गार का मामला हो, पश्चिम बंगाल के मुसलमानों की हालत बुरी है।
इसके पहले ओवैसी की पार्टी पर यह आरोप लगा था कि बिहार के विधानसभा चुनाव में उसने बीजेपी की मदद की है और उसकी वजह से बांग्लादेश से सटे सीमाई इलाकों में राष्ट्रीय जनता दल को नुक़सान हुआ था क्योंकि मुसलमानों का एक बड़ा तबका एआईएमआईएम की ओर मुड़ गया था।
बता दें कि 243 सीटों वाली बिहार विधानसभा चुनाव में ओवैसी की पार्टी ने 14 उम्मीदवार खड़े किए थे, जिसमें पाँच सीटों पर उसे जीत हासिल हुई थी। ये सीटें हैं- अमौर, कोचधमाम, जोकीहाट, बैसी और बहादुरगंज। ये सभी मुसलिम-बहुल सीटें हैं।
विपक्षी दलों के महागबंधन को 15 सीटों का नुक़सान हुआ था, यह माना गया था कि एआईएमआईएम आरजेडी के मुसिलम वोट बैंक में सेंध लगाने में कामयाब हुआ और उसके मुसलिम-यादव गठजोड़ को उसने तोड़ दिया।
असदउद्दीन ओवैसी ने इस पर प्रतिक्रिया जताते हुए सवाल उठाया था कि आरेजडी के दिग्ग़ज मुसलमान नेता अब्दुल बारी सिद्दक़ी केवटी से बीजेपी के मुरारी मोहन झा से चुनाव क्यों हार गए। यह सच है कि यहां एआईएमआईएम ने उम्मीदवार खड़ा नहीं किया थ।
बंगाल की राजनीति में एआईएमआईएम
साक्षी महाराज का बयान इसलिए महत्वपूर्ण है कि पश्चिम बंगाल के 341 ब्लॉकों में से 200 से ज़्यादा में एआईएमआईएम ने अपनी शाखाएँ खोल लीं हैं, सभी ज़िलों में इसकी ईकाइयां सक्रिय हो गई हैं और मुसलमान इससे जुड़ने लगे हैं। एआईएमआईएम और राजधानी कोलकाता के नज़दीक स्थित फ़ुरफुरा शरीफ़ के प्रमुख के बीच बातचीत भी हुई थी।
लेकिन इस बीच पार्टी को झटका लगा जब इसकी राज्य ईकाई के प्रमुख एस. के. अब्दुल कलाम ने पार्टी छोड़ दी और तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए। उन्होंने पार्टी छोड़ते समय कहा था कि "पश्चिम बंगाल शांति और सांप्रदायिक भाईचारे का स्थान रहा है, लेकिन बीते कुछ समय से यहाँ के हवा में ज़हर घोला जाने लगा है, इसलिये उन्होंने पार्टी छोड़ दी।"
बीजेपी सांसद का एआईएमआईएम से जुड़ा बयान इसलिए भी अहम है कि राज्य के मुर्शिदाबाद, मालदा, उत्तर दिनाजपुर, दक्षिण दिनाजपुर, कूचबिहार और रायगंज में मुसलमानों की आबादी 50 प्रतिशत या उससे ज़्यादा है। लगभग 40 विधानभा सीटों पर मुसलमान बहुसंख्यक हैं जहां उनकी आबादी 50 से 70 प्रतिशत के बीच है।
इसके अलावा उत्तर चौबीस परगना, दक्षिण चौबीस परगना और नदिया की कम से कम 30 सीटों पर मुसलमानों की आबादी चुनावों को प्रभावित करने वाली है।
बीजेपी ने ममता बनर्जी पर मुसलिम तुष्टीकरण का आरोप लगाया है और एआईएमआईएम उन पर मुसलमानों की उपेक्षा करने का आरोप लगा रही है। ऐसे में तृणमूल कांग्रेस साक्षी महाराज की बात को मुसलमानों तक कितनी पहुँचा पाएंगी और बंगाली मुसलमान उस पर कितना यकीन करेंगे, यह अहम है।