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जनसंख्या नियंत्रण कानून: जेडीयू और बीजेपी आमने-सामने

जनसंख्या नियंत्रण कानून: जेडीयू और बीजेपी आमने-सामने

बिहार में मामूली बढ़त के साथ चल रही एनडीए की सरकार के दलों में बीच-बीच में आने वाली रार की खबरों के बीच जनसंख्या नियंत्रण के मुद्दे पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और बीजेपी नेता आमने-सामने आ गये हैं।

बिहार में मामूली बढ़त के साथ चल रही एनडीए की सरकार के दलों में बीच-बीच में आने वाली रार की खबरों के बीच जनसंख्या नियंत्रण कानून के मुद्दे पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और बीजेपी नेता आमने-सामने आ गये हैं। हालांकि नीतीश के करीबी बीजेपी नेता सुशील मोदी उनसे सहमत नजर आते हैं। 

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के प्रस्तावित जनसंख्या नियंत्रण कानून पर राय जानने के लिए सोमवार को जब पत्रकारों ने नीतीश कुमार से सवाल किया तो उन्होंने साफ तौर पर कहा कि सिर्फ कानून बनाकर ऐसा नहीं किया जा सकता। नीतीश कुमार ने पत्रकारों से पूछा कि चीन में क्या हुआ, पहले एक, बाद में दो बच्चों की नीति बनी और अब क्या हो रहा है।

नीतीश कुमार ने बिहार में जनसंख्या नियंत्रण के लिए महिला शिक्षा का सहारा लेने की बात कही और आंकड़ों से साबित किया कि कैसे बिना कानून के भी राज्य में प्रजनन दर कम हुई है। 

उन्होंने कहा कि बहुत से लोगों की सोच है कानून बना देने से जनसंख्या पर नियंत्रण हो जाएगा तो यह उनकी सोच है। उन्होंने बिना किसी का नाम लिये कहा था कि दूसरे राज्य अगर कानून बनाते हैं तो वह उनकी मर्जी है।

दूसरी ओर उसी दिन बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने बयान दिया कि दो बच्चों को लेकर यूपी का प्रस्तावित कानून अच्छा है और ऐसी नीतियों को प्रोत्साहन देना चाहिए। 

एक-दूसरे के उलट बयान 

इसके बाद इस मुद्दे पर जेडीयू और बीजेपी के मंत्री-नेताओं ने खुलकर एक-दूसरे से उलट बयान दिये। भवन निर्माण मंत्री और जेडीयू नेता अशोक चौधरी ने नीतीश कुमार के समर्थन में बयान देते हुए कहा कि जनसंख्या नियंत्रण के लिए देश को बिहार की नीतियों से सीखना चाहिए। इसी तरह शिक्षा मंत्री और जेडीयू नेता विजय चौधरी ने नीतीश कुमार की लड़कियों को शिक्षित कर प्रजनन दर कम करने की नीति को सही ठहराया। जेडीयू के वरिष्ठ नेता केसी त्यागी ने भी बयान दिया कि सिर्फ कानून बना देने से जनसंख्या नियंत्रण नहीं हो सकता।

दूसरी ओर पंचायती राज मंत्री और बीजेपी नेता सम्राट चौधरी कहते हैं कि जनसंख्या नियंत्रण के लिए कानून जरूरी है। वे पंचायत चुनाव में भी दो बच्चों का कानून लागू करने की वकालत कर रहे हैं। बिहार में इस समय शहरी निकायों में यह कानून लागू है। 

देखिए, जनसंख्या नियंत्रण कानून पर चर्चा- 

फायरब्रांड बीजेपी नेता और केन्द्रीय मंत्री गिरिराज सिंह भी इस बहस में कूद पड़े हैं और कहते हैं कि विकास के लिए जनसंख्या नियंत्रण कानून जरूरी है। इसी तरह बीजेपी नेता और पथ निर्माण मंत्री नितिन नवीन पूछते हैं कि बिना कानून के जनसंख्या कैसे नियंत्रित होगी। 

 - Satya Hindi

सुशील मोदी की अलग राय 

इन बीजेपी नेताओं के उलट मुख्यमंत्री के नजदीकी माने जाने वाले बीजेपी नेता व पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी एक तरह से नीतीश कुमार की बात को ही आगे बढ़ाते नजर आते हैं। वे कहते हैं कि लड़कियों में शिक्षा का प्रसार व जनसंख्या नियंत्रित करने वालों को प्रोत्साहित करके ही वृद्धि दर पर प्रभावी रोक संभव है। 

मोदी का यह भी कहना है कि बिहार की वर्तमान प्रजनन दर 2.7 प्रतिशत को 2025 तक 2.1 प्रतिशत और  2031 तक मात्र 2.0 प्रतिशत पर लाने का लक्ष्य है। 

महिला शिक्षा से कम होगी जनसंख्या

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस मुद्दे पर कहा था कि बिहार में प्रजनन दर 4 प्रतिशत के आसपास थी, आज यह घटकर 3 प्रतिशत से कम हो गयी है। उन्होंने उम्मीद जतायी कि 2040 तक प्रजनन दर काफी कम हो जाएगी। उन्होंने बताया कि इंटरमीडिएट तक शिक्षा पाने वाली बिहार की महिलाओं में प्रजनन दर 1.6 प्रतिशत है जबकि राष्ट्रीय औसत 1.7 प्रतिशत है। पहले इस समूह में प्रजनन दर 2 प्रतिशत थी। 

इधर, उप मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता रेणु देवी ने कहा कि जनसंख्या नियंत्रण के लिए पुरुषों को शिक्षित करना भी जरूरी है। उनका कहना है कि शिक्षा और जागरूकता की कमी के कारण पुरुष महिलाओं पर अधिक बच्चों के लिए दबाव डालते हैं।

अन्य मुद्दों पर भी मतभेद 

नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू और बीजेपी में कई अन्य मुद्दों पर भी अलग-अलग राय रही है। उदाहरण के लिए तीन तलाक के मुद्दे पर जेडीयू की राय बीजेपी से बिल्कुल अलग थी, हालांकि जब इस पर अड़ने की बारी आयी तो जेडीयू ने संसद में बीजेपी का ही साथ दिया। इसी तरह कश्मीर और धारा 370 के बारे में दोनों दलों की राय अलग थी लेकिन जेडीयू ने इस पर भी अपनी राय बदलते हुए सरकार के कदम का साथ दिया। 

फिलहाल यूनिफाॅर्म सिविल कोड भी एक ऐसा मुद्दा है जिसपर दोनों दलों की राय एक नहीं है। नीतीश कुमार ने इस मुद्दे पर बयान दिया है कि अगर अनुच्छेद 44 में समान नागरिक संहिता का उल्लेख है तो अनुच्छेद 47 में शराबबंदी की बात कही गयी है। जैसे बिहार में शराबबंदी है, वैसा पूरे देश में क्यों नहीं है।

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