लखनऊ में शुक्रवार को बीजेपी और निषाद पार्टी की संयुक्त रैली हुई। इसमें निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद, गृह मंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी शामिल हुए। रमाबाई अंबेडकर मैदान में आयोजित रैली में शाह ने कहा कि पिछड़े समाज के लिए वर्षों से एक अलग मंत्रालय बनाने की मांग थी, इसे मोदी सरकार ने पूरा किया है। रैली में बड़ी संख्या में बीजेपी और निषाद पार्टी के कार्यकर्ता जुटे।
बीजेपी के पास अपना दल (एस) और निषाद पार्टी के रूप में दो क्षेत्रीय सहयोगी उत्तर प्रदेश में हैं। दोनों ही दल बीजेपी से सीट बंटवारे में ज़्यादा सीटें मांग रहे हैं।
शाह ने कहा कि उत्तर प्रदेश में सपा, बसपा की सरकारें बनी, तो उन्होंने सिर्फ अपनी जाति के लोगों के लिए काम किया लेकिन सभी पिछड़ी जातियों, सभी गरीबों के हित में काम मोदी सरकार ने किया है। उन्होंने कहा कि सपा-बसपा की सरकारों में माफ़ियाओं को बढ़ावा दिया गया लेकिन योगी सरकार ने माफ़ियाओं को उखाड़ फेंका है।
दूसरी ओर अखिलेश यादव ने रालोद, सुभासपा, महान दल के बाद अपने चाचा की प्रसपा के साथ भी गठबंधन तय कर लिया है। माना जा रहा है कि अखिलेश यादव जल्द ही सीट बंटवारे का भी एलान कर देंगे।
निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद का कहना है कि निषाद मतदाता उत्तर प्रदेश की 160 विधानसभा सीटों पर प्रभाव रखते हैं।
पूर्वांचल में है असर
निषाद समाज (मल्लाह) के ज़्यादातर लोग मछली पकड़ने के काम से जुड़े हैं। गोरखपुर में इस समाज की तादाद 15 फ़ीसदी से ज़्यादा है। इसके अलावा महाराजगंज, जौनपुर और पूर्वांचल के कुछ और इलाक़ों में भी निषाद वोटरों का अच्छा प्रभाव माना जाता है। पूर्वी उत्तर प्रदेश में इस समुदाय की आबादी 13 फ़ीसदी मानी जाती है।कुछ महीने पहले जब पुलिस ने मल्लाहों की नाव तोड़ दी थी तो कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा तुरंत प्रयागराज पहुंच गई थीं। एसपी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी मल्लाहों के समर्थन में आवाज़ उठाई थी। बीजेपी को बैकफ़ुट पर आते हुए तुरंत इस मामले में जांच के आदेश देने पड़े थे।