बिहार में इन दिनों विधानसभा चुनाव की बहार है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के दावों को सुनिए, लालू राज से मुक़ाबला करते हुए ऐसे बताते हैं कि जैसे उन्होंने पिछले 15 साल में बहुत बढ़िया शासन दिया हो। यही काम उनके साथ सरकार में शामिल बीजेपी भी करती है।
नीतीश की पार्टी जेडीयू और बीजेपी के नेता बताते हैं कि बिहार में अपराध का माहौल पूरी तरह ख़त्म हो गया है और चारों ओर अमन-सूकून का माहौल है। उनके मुताबिक़, जनता सुशासन बाबू के राज में बेख़ौफ़ गुजर-बसर कर रही है।
लेकिन बक्सर में एक महिला और उसके अबोध बच्चे के साथ दरिंदों ने जो हैवानियत की है, उसके बाद नीतीश कुमार और बीजेपी के नेताओं को अपना चेहरा आइने में ज़रूर देखना चाहिए। और ऐसा नहीं है कि बिहार में अपराध नहीं हो रहे हैं, ख़ूब अपराध हो रहे हैं।
कुछ दिन पहले ही महादलित समाज के नेता शक्ति मलिक की बदमाशों ने घर में घुसकर हत्या कर दी थी। इसके अलावा महिलाओं और बच्चियों के साथ बलात्कार, हत्या, लूट और अपहरण की वारदात भी जमकर हो रही हैं। न जाने किस मुंह से नीतीश कुमार और उनके सहयोगी अपराध का माहौल ख़त्म हो जाने का दावा करते हैं।
बक्सर की घटना दिल दहला देने वाली है। एक महिला अपने 5 साल के बच्चे के साथ बैंक जा रही थी। उसने सोचा होगा कि थोड़ी देर में बैंक से काम ख़त्म करके लौट आएगी। उसे नहीं पता था कि वह सुशासन बाबू के ऐसे बिहार में जी रही है, जहां चुनावी दावों की भरमार है और एक महिला की आबरू पर हाथ डालने वाले बदमाशों को पुलिस का कोई ख़ौफ़ नहीं है।
घर से थोड़ी दूर पहुंची थी कि रास्ते में कुछ दरिंदों ने पहले उसे अगवा किया और फिर उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया।
सबसे बड़ा सवाल यह है कि यह घटना दिन-दहाड़े हुई है। ऐसे में पुलिस कहां थी। क्योंकि दिन-दहाड़े ही बदमाशों ने महिला को अगवा किया, बलात्कार किया और तड़के तालाब में फ़ेंक दिया, पुलिस को आख़िर इतने बड़े अपराध का पता क्यों नहीं चला।
महिला सुरक्षा के नाम पर सिर्फ भाषण
चश्मदीदों के मुताबिक़, महिला की चीखें सुनकर तड़के वे तालाब में पहुंचे। जैसे-तैसे दोनों को बाहर निकाला गया और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भेजा गया। यहां बच्चे को मृत घोषित कर दिया गया। बताया गया है कि महिला ने अपने बच्चे को बचाने की बहुत कोशिश की लेकिन वह ख़ुद बदहवास हालत में थी और हाथ-पांव बंधे थे, इसलिए तालाब से बाहर नहीं आ सकी। अब वह और उसका परिवार दहाड़ मार-मारकर रो रहा है। लेकिन कोई उस महिला को बताए कि राज्य में महिलाओं की सुरक्षा सिर्फ़ चुनावी भाषणों तक ही सीमित है।
पुलिस का कहना है कि 2 अभियुक्तों को गिरफ़्तार कर लिया गया है और बाक़ी की तलाश जारी है। बताया जा रहा है कि 6-7 हैवानों ने इस घटना को अंजाम दिया है। पुलिस के मुताबिक़, बाक़ी अभियुक्तों की पहचान कर ली गई है और उन्हें जल्द दबोच लिया जाएगा।
यह वारदात ऐसे वक्त में हुई है, जब चुनाव के कारण पूरे राज्य में पुलिस अलर्ट है, बड़ी संख्या में पैरामिलिट्री फ़ोर्स और अन्य बलों के जवानों को तैनात किया गया है। इस स्थिति में अपराधियों का इतनी बड़ी वारदात को अंजाम देने का मतलब यही है कि नीतीश सरकार की पुलिस सोई हुई है।
इसके बाद वही शुरू हुआ, जो हर ऐसी बड़ी घटना के बाद हर राज्य में होता है कि विपक्ष का सरकार पर हमला बोलना। बिहार में भी विपक्ष ने यही कहा कि क़ानून व्यवस्था ख़त्म हो गई है, अपराधी बेख़ौफ़ हैं, फलां-फलां और ये बात वे लोग कर रहे हैं जिनके अपने राज में अपराध चरम पर था।
कुल मिलाकर महिला सुरक्षा के नाम पर या आम आदमी को सुरक्षा देने के मामले में तमाम राज्य सरकारें बुरी तरह फ़ेल हैं, फिर वो चाहे उत्तर प्रदेश की सरकार हो, बिहार की हो या फिर राजस्थान की।
होता यही है कि ऐसे संवेदनशील मसलों पर राजनीति शुरू हो जाती है और नेता दो दिन तक न्यूज़ चैनलों को बाइट देने के बाद अपने काम-धंधों में जुट जाते हैं। नेताओं की सुरक्षा के लिए पुलिस तैनात है और उन पर कोई आसानी से हाथ भी नहीं डालता। लेकिन जनता क्या करेगी, वो ऐसे नेताओं को कब तक भुगतती रहेगी, जिनके पास उसे देने के लिए सुरक्षा के नाम पर सिर्फ भाषण है।
लेकिन देखना होगा कि जनता बक्सर की इस घटना के बाद क्या वास्तव में नीतीश सरकार को क़ानून और व्यवस्था के मुद्दे पर सबक सिखाती है, अभी उसके पास मौक़ा भी है।