बिहार में दो करोड़ बिजली उपभोक्ताओं के लिए स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने के मामले में विपक्ष, खासकर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव इतने हमलावर हैं कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को बचाव में उतरना पड़ा है। नीतीश कुमार ने कहा है कि सभी जिलों के डीएम स्मार्ट प्रीपेड मीटर के फायदे के बारे में लोगों को बताएँ।
रोचक बात यह है कि ऊर्जा विभाग के पूर्व प्रधान सचिव संजीव हंस पर यह आरोप लगा है कि उन्होंने स्मार्ट प्रीपेड बिजली मीटर बनाने वाली कंपनी से घूस में मर्सिडीज कार ली थी। हालाँकि विपक्ष अभी घूसखोरी के इस कथित मामले को बहस में नहीं ला पाया है। इस मामले की जांच ईडी और बिहार सरकार की स्पेशल विजिलेंस यूनिट कर रही है।
बिहार में स्मार्ट प्रीपेड मीटर के बारे में यह शिकायत मिलती है कि बिजली बिल अधिक आता है और कई बार रिचार्ज करने के बावजूद सेवाएं सही तरीके से नहीं मिलती हैं। इस बारे में सरकार का कहना है कि लोगों की समस्याओं को हल किया जा रहा है।
ऐसा लगता है कि जब से तेजस्वी यादव ने यह उम्मीद छोड़ दी है कि नीतीश कुमार उनके साथ वापस आ सकते हैं तब से गंभीर मुद्दों पर खुलकर नीतीश कुमार को घेरना करना शुरू किया है। ताजा मुद्दा स्मार्ट प्रीपेड मीटर का है जिसे तेजस्वी यादव ने ‘स्मार्ट चीटर’ का नाम दिया है। यही नहीं, तेजस्वी यादव बिहार में बिजली की दर को लेकर भी सरकार पर हमले कर रहे हैं और आरोप लगाते हैं कि देश भर में बिहार उन राज्यों में शामिल है जहां बिजली की दर सबसे ज़्यादा है।
ऊर्जा मंत्री विजेंद्र प्रसाद यादव का आरोप है कि स्मार्ट प्रीपेड बिजली मीटर का विरोध राजनीतिक द्वेष के कारण किया जा रहा है। उन्होंने दावा किया कि राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के यहां स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगने के बाद पहले से 17 प्रतिशत कम बिजली बिल आया है। हालांकि जब उनसे यह पूछा गया कि स्मार्ट मीटर लगाने वाली कंपनी ने बिजली कंपनी के पूर्व अधिकारी को एक कीमती कार तोहफे में दी है तो उनका कहना था कि इसका कोई सबूत है क्या?
लेकिन ऐसा लगता है कि मंत्री की सफाई को सरकार ने काफी नहीं माना और खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार स्मार्ट प्रीपेड बिजली मीटर के बचाव में आ गए। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रीपेड स्मार्ट मीटर को लेकर भ्रम फैलाया जा रहा है। उन्होंने अभियान चलाकर स्मार्ट प्रीपेड मीटर के फायदे के बारे में लोगों को बताने को कहा।
आरजेडी ने प्रीपेड बिजली मीटर के मुद्दे पर 1 अक्टूबर से राज्यव्यापी आंदोलन शुरू करने की घोषणा कर रखी है और इसमें कांग्रेस भी उसके साझीदार बनने वाली है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से पहले उनके ऊर्जा मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव ने भी इस मामले में मोर्चा संभालने की कोशिश की थी और कहा था कि लोगों को स्मार्ट प्रीपेड मीटर में भरोसा है।
ऊर्जा विभाग का कहना है कि बिहार में अब तक 50 लाख 23 हज़ार स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाये जा चुके हैं। इनमें से शहरी क्षेत्र में 17.47 लाख तथा ग्रामीण क्षेत्र में 32.76 लाख स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगे हैं। लेकिन अब भी बिहार में लगभग डेढ़ करोड़ बिजली उपभोक्ता ऐसे हैं जिनके यहां स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाए जाने हैं। बिहार में पांच कंपनियों को स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाए जाने का काम मिला हुआ है।
सरकार एक ओर दावा कर रही है कि जिन 50 लाख लोगों के यहां स्मार्ट प्रीपेड बिजली मीटर लगा है वह इसकी सेवा से खुश हैं तो विपक्ष का कहना है कि स्मार्ट मीटर से बिजली का बिल बहुत अधिक आ रहा है और लोग परेशान हैं। इस बीच यह ख़बर भी आ रही है कि स्मार्ट प्रीपेड बिजली मीटर का विरोध करने के कारण पूरे के पूरे गांव की बिजली काट दी जा रही है।
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश सिंह का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्रों में स्मार्ट मीटर लगाने का विरोध हो रहा है तो सरकार विरोध करने वालों पर एफ़आईआर दर्ज कर रही है। उन्होंने इसे बिजली कंपनी की तानाशाही बताते हुए कहा कि यह बर्दाश्त नहीं की जाएगी। अखिलेश का कहना है कि अडानी के खजाने को भरने के लिए बिहार में प्रीपेड स्मार्ट मीटर लगाए जा रहे हैं।
इधर तेजस्वी यादव का कहना है कि जिन उपभोक्ताओं के यहां स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाए गए हैं वह अपने बिजली बिल से परेशान हैं। तेजस्वी ने आरोप लगाया कि एनडीए की 19-20 साल की सरकार के दौरान तीन-तीन बार मीटर बदले गए हैं। उन्होंने कहा कि इसमें क्या खेल चल रहा है, लोग इसके बारे में जानना चाहते हैं।
तेजस्वी ने पहले ही कह रखा है कि अगर महागठबंधन की सरकार बनती है तो बिहार में हर कनेक्शन पर 200 यूनिट बिजली मुफ्त दी जाएगी। बिजली और बिजली मीटर का यह मुद्दा सरकार पर कितना असर डाल पाएगा और चुनाव में इसका क्या फायदा होगा, यह जानने में तो अभी समय लगेगा लेकिन इसके बहाने बिहार के विपक्षी दल लोगों के बीच जा रहे हैं और सक्रियता दिखा रहे हैं।