बिहार में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक सरगर्मियाँ तेज हो गई हैं। एनडीए और इंडिया गठबंधन के साथ ही इस बार प्रशांत किशोर भी राजनीतिक पारी शुरू कर रहे हैं और इन बदले राजनीतिक हालात में तेजस्वी यादव ने भी इससे निपटने के लिए राजनीतिक यात्रा की रणनीति बनाई है। यह यात्रा किस तरह की होगी और क्या मक़सद होगा, यह जानने से पहले यह जान लीजिए कि आख़िर इसको लेकर क्या जानकारी समाने आई है।
राजद नेता तेजस्वी प्रसाद यादव 15 अगस्त के बाद बिहार भर में यात्रा शुरू करने वाले हैं। तेजस्वी ने अगले साल विधानसभा चुनावों से पहले अपनी गति बनाए रखने के लिए यात्रा को कई चरणों में बाँटा है। यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब बिहार में विपक्ष सरकार पर कई मुद्दों पर विफल रहने का आरोप लगा रहा है।
हाल ही में यह मुद्दा भी गर्म रहा था कि नीतीश कुमार केंद्र में एनडीए सरकार होने के बावजूद बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नहीं दिला पाए। आरजेडी आरोप लगाता रहा है कि नीतीश ने एनडीए को इसी शर्त पर समर्थन दिया था और अब बीजेपी ने उनको ठेंगा दिखा दिया है।
दूसरा बड़ा मुद्दा- आरक्षण का है जिसपर आरजेडी नीतीश कुमार को घेर रहा है। राज्य सरकार की नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण की सीमा को 50% से बढ़ाकर 65% कर दिया गया था, लेकिन हाईकोर्ट द्वारा इस आदेश को रद्द कर दिया गया था। बाद में राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में इस फ़ैसले को चुनौती दी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट से भी राहत नहीं मिली। अब आरजेडी आरोप लगा रहा है कि वह केंद्र सरकार से कहकर कोटा वृद्धि को संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल क्यों नहीं करा रही है?
तीसरा बड़ा मुद्दा राज्य में क़ानून-व्यवस्था का है। आरजेडी राज्य में क़ानून व्यवस्था का मुद्दा लगातार उठा रही है। इसके अलावा युवाओं की बेरोजगारी, सरकारी नौकरियों आदि के मुद्दे भी प्रमुख हैं।
तेजस्वी यादव की यात्रा में बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देना, कोटा वृद्धि को संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल करना, युवाओं को रोजगार देना, क़ानून व्यवस्था सुधारना जैसे मुद्दे शामिल हो सकते हैं।
आरजेडी के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुबोध कुमार मेहता ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, 'तेजस्वी जी की यात्रा के दौरान वे बिहार से संबंधित कई मुद्दों पर बात करेंगे, जिसमें केंद्र द्वारा बिहार को विशेष श्रेणी का दर्जा देने से इनकार करना, नीतीश कुमार द्वारा बिहार सरकार के कोटा वृद्धि को संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए केंद्र पर दबाव बनाने में विफल रहना और राज्य में कानून व्यवस्था की गिरावट शामिल है।'
अंग्रेज़ी अख़बार ने आरजेडी सूत्रों के हवाले से कहा है कि यात्रा का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि प्रशांत किशोर जैसे नए खिलाड़ी कोई राजनीतिक लाभ न उठा सकें। सूत्र ने कहा, 'लोगों के पास जाना जवाब खोजने और संदेहों को दूर करने का सबसे अच्छा तरीका है। जब प्रशांत किशोर अक्टूबर में अपनी पार्टी शुरू करेंगे, तो हम लोगों के बीच होंगे, हमारे नेता तेजस्वी जी अपने नौकरी के वादे को दोहराएंगे। हमने लोकसभा चुनाव से पहले तेजस्वी जी की यात्रा के दौरान उनके नौकरी के वादे को पूरा करने पर उत्साही भीड़ की प्रतिक्रिया देखी थी।' हालाँकि, आरजेडी प्रवक्ता प्रशांत किशोर की राजनीतिक शुरुआत को कोई तरजीह नहीं देते हैं।
राजद का यह भी मानना है कि तेजस्वी की यह यात्रा एनडीए को बैकफुट पर ला देगी। ऐसा इसलिए कि न तो जेडीयू और न ही भाजपा का बिहार में ऐसी यात्रा आयोजित करने का रिकॉर्ड है।
बता दें कि भले ही राजद ने बिहार की 40 लोकसभा सीटों में से केवल चार पर जीत हासिल की, लेकिन पार्टी 2019 की तुलना में अपने वोट शेयर में छह प्रतिशत की वृद्धि की है। इसका 22.14% वोट शेयर सभी दलों में सबसे अधिक था। भाजपा और जेडीयू क्रमशः 20.5% और 18.52% वोट शेयर ही पा सके थे। तो सवाल है कि क्या आरजेडी की इस यात्रा से उसे बड़ा राजनीतिक लाभ होगा?