नीतीश कुमार के शासन वाले बिहार में एक बार फिर ज़हरीली या नकली शराब पीने से कई लोगों को जान गंवानी पड़ी है। ये मौतें बेतिया और गोपालगंज में हुई हैं। बेतिया में 8 लोगों की मौत हुई है जबकि गोपालगंज में 16 लोगों की जान गई है। बेतिया और गोपालगंज में ये मौतें बीते दो दिन में हुई हैं।
हालांकि पुलिस और प्रशासन ने अभी तक मौतों की वजह को लेकर कुछ नहीं कहा है और मौत की वजह की जांच की जा रही है।
जबकि गांव वालों का कहना है कि जिन लोगों की मौत हुई है, उन्होंने नकली शराब पी थी। इनमें से कुछ लोगों की सेहत बिगड़ गई और उन्हें अस्पताल ले जाया गया, जहां उन्होंने दम तोड़ दिया। कुछ लोग अभी भी अस्पताल में भर्ती हैं।
चार लोग गिरफ़्तार
मरने वालों में अधिकतर दलित समुदाय से हैं। बताया जा रहा है कि इन इलाक़ों में कुछ स्थानीय व्यापारियों द्वारा शराब बेची जा रही है। पुलिस ने ऐसे कुछ लोगों की पहचान की है। हालात को देखते हुए प्रभावित इलाक़ों में पुलिस और प्रशासन तैनात है। पुलिस ने इस मामले में चार लोगों को गिरफ़्तार कर लिया है और उनसे पूछताछ की जा रही है।
इसके अलावा मुज़फ्फरपुर के रूपौली गांव में बीते कुछ दिनों में 8 लोगों की मौत हो चुकी है। इस साल जनवरी से अब तक नवादा, पश्चिमी चंपारण, मुज़फ्फरपुर, सिवान और रोहताश जिलों में 70 से ज़्यादा लोगों की मौत शराब पीने के कारण हो चुकी है।
इससे पता चलता है कि बिहार में शराबबंदी पूरी तरह फ़ेल हो चुकी है और ज़हरीली शराब ग़रीब लोगों की जान ले रही है।
तेजस्वी का नीतीश पर हमला
विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने इन मौतों को लेकर नीतीश कुमार को निशाने पर लिया है। तेजस्वी का कहना है कि ज़हरीली शराब से बिहार में दिवाली के दिन 35 से अधिक लोग मारे गए हैं। उन्होंने कहा, “हाँ! किसी की सनक से बिहार में कागजों पर शराबबंदी है अन्यथा खुली छूट है क्योंकि ब्लैक में मौज और लूट है।”
मंत्री जी का तर्क
घटना के बाद बिहार सरकार के मंत्री जनक राम गोपालगंज पहुंचे और पीड़ित परिवारों से मिले। उन्होंने तर्क दिया कि यह बिहार की एनडीए सरकार को बदनाम करने की साज़िश हो सकती है।
सहयोगी दल भी नाराज़
विपक्ष का कहना है कि नीतीश सरकार में शराब की तस्करी चरम पर है। नीतीश के सहयोगी जीतन राम मांझी भी शिकायत कर चुके हैं कि शराबबंदी में कमजोर तबके के लोग पकड़े जाते हैं। इसी तरह वीआईपी के अध्यक्ष मुकेश सहनी भी कह चुके हैं कि राज्य में शराबबंदी ठीक ढंग से लागू नहीं है।
मालूम हो कि बिहार में शराबबंदी लागू है लेकिन बावजूद इसके यह चर्चा आम है कि वहां पर आसानी से शराब मिल जाती है। भ्रष्ट अफ़सरों और पुलिस का एक बड़ा तंत्र है, जो इस काम में लगा हुआ है।
नीतीश सरकार ने अप्रैल, 2016 में शराब बनाने, इसका व्यापार करने, स्टोर करने, लाने-ले जाने, बिक्री और पीने पर रोक लगा दी थी। नीतीश लगातार लोगों से कहते हैं कि जनता शराबबंदी की मुहिम को सफल बनाए लेकिन जिस हिसाब से लोगों की जान नकली शराब से जा रही है, उससे पता चलता है कि उनकी यह मुहिम कारगर साबित नहीं हुई है।